नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने आज महाराष्ट्र में विधायकों द्वारा विधान परिषद् की 9 रिक्त सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव कराने की व्यवहार्यता से संबंधित मामले की समीक्षा की। मुख्य निर्वाचन चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा,निर्वाचन आयुक्तों श्री अशोक लवासा और श्री सुशील चंद्रा के साथ अमरीका से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए इस बैठक में शामिल हुए।
महाराष्ट्र में 24 अप्रैल 2020 को विधानपरिषद् की नौ सीटें रिक्त हुईं(अनुलग्नक ए)। निर्वाचन आयोग ने 03 अप्रैल 2020 को कोविड से उपजी परिस्थितियों के मद्देनजर अगले आदेश तक चुनाव स्थगित करने के लिए अनुच्छेद 324 के तहत एक आदेश जारी किया।
निर्वाचन आयोग को महाराष्ट्र के मुख्य सचिव का 30 अप्रैल, 2020 का लिखा एक पत्र मिला है, जिसमें, उन्होंने महामारी को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की जानकारी दी है और कहा कि राज्य सरकार के आकलन के अनुसार विधान परिषद् की रिक्त नौ सीटों पर सुरक्षित माहौल में चुनाव कराए जा सकते हैं। राज्य सरकार ने निर्वाचन आयोग को आश्वासन दिया है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि चुनाव सामाजिक दूरी का पालन करते हुए स्वच्छ स्थितियो में कराए जांए तथा इसके लिए सक्षम अधिकारियों द्वारा लागू किए गए अन्य उपायों का भी अनुपालन हो।
लॉकडाउन के कारण फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों की आवाजाही की अनुमति से संबधित केंद्रीय गृह मंत्रालय के 29 अप्रैल 2020 के आदेश का हवाला देते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि वह चुनाव कराते समय गृह मंत्रालय के इन आदेशों के पालन का पूरा ध्यान रखेगी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त को महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से 30 अप्रैल 2020 को लिखा एक डीओ पत्र भी प्राप्त हुआ है जिसमें राज्य में विधान परिषद् की रिक्त सीटों पर चुनाव कराने की व्यवहार्यता के बारे में हैं। पत्र में राज्यपाल ने यह भी कहा है कि श्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पद की शपथ लेने के छह महीने की अवधि के भीतर यानी 27 मई, 2020 या उससे पहले उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा या विधानमंडल का सदस्य बनना जरुरी है। उन्होंने यह भी लिखा है कि जमीनी स्तर पर अब स्थितियों ठीक हैं सरकार द्वारा दी गई छूट के बाद से इसमें सुधार होता दिखाई दे रहा है। इसलिए, पूरी स्थिति को ध्यान में रखते हुए, निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया गया है कि चुनाव कराने के तौर-तरीकों पर विचार किया जाए।
निर्वाचन आयोग ने विभिन्न राजनीतिक दलों- महाराष्ट्र विधानमंडल कांग्रेस पक्ष, शिव सेना विधी मंडल पक्ष, और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से उक्त चुनाव कराए जाने के बारे में किए गए अनुरोध का भी संज्ञान लिया।
उपरोक्त सभी को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने ऐसी अप्रत्याशित परिस्थितियों में पिछले उदाहरणों की समीक्षा की जब उसने पूर्व प्रधानमंत्रियों के मामलों में 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव,1996 में एचडी देवेगौड़ा और कई राज्यों के मुख्यमंत्री (जैसे 1991 में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत,1997 में बिहार की मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी, 1993 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विजय भास्कर रेड्डी तथा 2017 में उत्तर प्रदेश और चार अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री उत्तर और 2017 में नागालैंड के मुख्यमंत्री के संबंध में समान संवैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपचुनाव कराए थे।
इन सभी बातों को ध्यान में रखने के बाद, आयोग ने महाराष्ट्र में उक्त द्विवार्षिक चुनाव कराने का निर्णय लिया है। चुनाव की अनुसूची का विवरण अनुबंध बी में संलग्न है।
आयोग ने यह भी निर्णय लिया कि केंद्रीय गृह सचिव, जो आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष हैं, को अधिनियम के प्रावधानों के तहत चुनाव के लिए निर्वाचन प्रक्रिया का सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करना चाहिए।
आयोग ने मुख्य सचिव को राज्य से एक अधिकारी की प्रतिनियुक्ति करने का भी निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव कराने की व्यवस्था करते समय कोविड19 के बारे में दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया जाए। आयोग ने इस चुनाव के लिए महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। आयोग ने अगले सप्ताह में पूर्व में स्थगित किए गए अन्य चुनावों की समीक्षा करने का भी निर्णय लिया है।