रायपुर, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेन्द्र पप्पू बंजारे ने केंद्र की भाजपा सरकार को मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि लॉकडाउन में श्रम कानून में किए जा रहे बदलाव को लेकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई मानवाधिकारों को रौंदने का बहाना नहीं हो सकता है. केंद्र के आदेश पर अनेक राज्यों द्वारा श्रमकानूनों में संशोधन किया जा रहा है, जो मजदूरों के साथ न्याय उचित नही।
कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने कहा किसी भी उद्योगों में श्रम कानूनों का पालन कड़ाई से नहीं होता और जो हैं भी उन्हें भी निलंबित या खत्म किया जा रहा है. जिसकी जितनी भी निंदा किया जाय कम है. देश में नौकरियों की कमी है और लोगों को मनमाने तरीके से इस्तीफा लेकर नौकरियों से निकाला जा रहा है. कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने श्रम कानून में बदलाव से खतरे को बताते हुए कहा कि आशंका है कि उद्योगों को जांच और निरीक्षण से मुक्ति देने से कर्मचारियों का शोषण बढ़ेगा।शिफ्ट व कार्य अवधि में बदलाव की मंजूरी मिलने से हो सकता है लोगों को बिना साप्ताहिक अवकाश के प्रतिदिन ज्यादा घंटे काम करना पड़े. श्रमिक यूनियनों को मान्यता न मिलने से कर्मचारियों के अधिकारों की आवाज कमजोर पड़ेगी.उद्योग-धंधों को ज्यादा देर खोलने से वहां श्रमिकों को डबल शिफ्ट करनी पड़ सकती है.
पहले प्रावधान था कि जिन उद्योग में 100 या ज्यादा मजदूर हैं, उसे बंद करने से पहले श्रमिकों का पक्ष सुनना होगा और अनुमति लेनी होगी. अब ऐसा नहीं होगा.
कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने आशंका ब्यक्त करते हुए कहा कि मजदूरों के काम करने की परिस्थिति और उनकी सुविधाओं पर निगरानी खत्म हो जाएगी.आशंका है कि व्यवस्था जल्द पटरी पर नहीं लौटी तो उद्योगों में बड़े पैमाने पर छंटनी और वेतन कटौती शुरू हो सकती है। ग्रेज्युटी से बचने के लिए उद्योग ठेके पर श्रमिकों को भर्ती बढ़ा सकते है। केंद्र सरकार के इस संशोधन को माननीय छतीसगढ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल जी एवम श्रम मंत्री शिव डहरिया जी से अनुरोध कर कांग्रेस सचिव ने आग्रह कर कहा की किसी भी सूरत में छत्तीसगढ़ में श्रम कानून के संशोधन को मान्यता नही दिया जाना चाहिए।