केन्द्र सरकार उद्योगपतियों की सुविधा के लिये श्रम कानूनों में बदलाव कर रही है
विदेशी कम्पनियों के लिये पहले सुविधाये तैयार की जा रही है
रायपुर/ 14 मई 2020। केन्द्र की भाजपा सरकार देश में वर्षो पुराने श्रमिकों के हितो के लिये बनाये गये श्रम कानूनो को बदलने जा रही है इसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है । छ.ग. कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए.इकबाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केन्द्र सरकार पर यह आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस की आड़ में नरेन्द्र मोदी की सरकार श्रम कानूनों में अनावश्यक बदलाव करने जा रही है । जबकि कोरोना की वजह से देश में 14 करोड़ लोगों का रोजगार छिन गया है और देश में बेरोजगारी 27% के साथ अपने चरम पर है । सरकार रोजगार तो नहीं दे पा रही है उलटे श्रमिकों की वर्षो से धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल से मेहनत कर श्रम कानून अर्जित किये है । इन कानूनों के अर्न्तगत उन्हे सुविधा एवं सम्मानजनक वेतन सामाजिक सुरक्षा आदि प्राप्त किये है जिसे केन्द्र सरकार एक झटके में समाप्त करने जा रही है ।
प्रवक्ता एम.ए.इकबाल ने प्रेस विज्ञप्ति आगे बताया कि श्रम कानून जिसमें बदलाव करने की भाजपा सरकार योजना बना रही है उसमें प्रमुख रूप से काम के घंटे जो अभी 8 घंटे है उसे बढ़ाकर 12 घंटे करना । समस्त श्रम कानूनों को 3 साल के लिये निरस्त करना । कार्यस्थल पर गंदगी के खिलाफ कोई कार्यवाही न होना । मजदूर की काम के दौरान मृत्यु हो जाने पर संबंधित अधिकारी सूचना नहीं देना । शौचालय न हो तो उसकी शिकायत नहीं की जा सकती । औद्योगिक ईकाईया अपने हिसाब से मजदूर रख सकते है और निकाल सकते है । मजदूरो की बदहाली की सुनवाई श्रम न्यायालय भी संज्ञान नहीं लेगा और न ही उपर अपील में सुनवाई होगी । नई कम्पनी में महिला रूम व बच्चों के देखभाल के लिये क्रेच बनाना भी अनिवार्य नहीं होगा । न्यूनतम वेतन कानून, बोनस कानून, अनुबंध कानून, कर्मकार तिपूर्ति कानून, संविदा श्रमिक कानून, असंगठित मजदूर कानून , स्वास्थ्य एवं बीमा कानून आदि-आदि अनेक कानून।
श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी विरोध जताया है । उनके अनुसार कोरोना वायरस की महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये श्रम कानूनो मे बदलाव से श्रमिकों को शोषण होगा और इससे उनकी आवाज दबाई जा रही है, यह मानव अधिकारो का हनन है ।
प्रवक्ता एम.ए.इकबाल ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मई को टी.वी. पर 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज की घोषणा की वह पूरी तरह खोदा पहाड़ निकली चूहिया की तरह साबित हुआ । क्योंकि यह मात्र उद्योपतियों को बढ़ावा देने वाला है और श्रमिकों के लिये विशेषकर प्रवासी श्रमिको को इसमें कोई राहत नहीं है । इस पैकेज से ऐसा लग रहा है कि जैसे कि चीन से विदेशी कम्पनियां निकलना चाहती है उनके निवेश और देश में उद्योग स्थापित करने का खुला न्यौता है जो श्रमिकों की छाती को रौंदता हुआ आयेगा ऐसा लगता है । सरकार की नीति और नियत साफ दिख रही है कि वह पूंजीपति वादी व्यवस्था को बढ़ावा देना चाहते है । गरीब किसान मजदूर की उनकी 1% भी चिंता नहीं है । आज भी देश में लाकडाउन में मजदूर परिवार सहित सैंकड़ो मील पैदल चलकर अपने घर जाने मजबूर है जिसकी चिंता भी सरकार को नहीं है । सरकार को अपनी आर्थिक पैकेज में प्रवासी मजदूरो को जल्द से जल्द रोजगार प्रदान करने की सोच रखना चाहिये था । श्रमिक और श्रम कानूनों को उन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार और उसका निदान की सोच का अभाव झलकता है ।
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