गौठान बन गए पशु नस्ल सुधार के केन्द्र : ग्रामीण जनजीवन को मिली एक नई गति

रायपुर, छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी ग्राम योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने और उसे सुदृढ़ बनाने में संजीवनी जैसी असरकारक साबित हुई है। सुराजी योजना के चार प्रमुख घटकों में से एक गरूवा वास्तव में राज्य में पशुधन संरक्षण और संवर्धन में अहम रोल अदा किया है। गरूवा कार्यक्रम के तहत पशुधन की देखभाल और उनकी संरक्षण के लिए गांव-गांव में बने गौैठान वर्तमान समय में गांव और ग्रामीणों की बेहतरी की केन्द्र बन गए हैं। इन गौठानों में एक ओर जहां पशुओं की देखभाल, उनके चारे, पानी व्यवस्था, पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण, टीकाकरण एवं पशु नस्ल सुधार के तहत बधियाकरण एवं गर्भाधान को सहजता से अंजाम दिया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर इन गौठानों में ही गांव की महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा सब्जी उत्पादन, सीमेंट पोल, अगरबत्ती, पापड़, बड़ी, आचार, दोना पत्तल निर्माण जैसी आय मूलक गतिविधियों के संचालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई गति मिली हैं।

गौठानों में पशुधन के उचित व्यस्थापन के साथ-साथ पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि हेतु पशुधन विकास विभाग द्वारा योजनाबद्व तरीके से नस्ल सुधार का कार्य किया जा रहा है। गौठानों में नस्ल सुधार के लिए बधियाकरण के साथ ही कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक का इस्तेमाल विभाग करता है। जिससे देशी नस्ल की मादा पशु को गर्भित करने हेतु उच्च आनुवांशिक क्षमता उत्पादकता वाले नर पशु के फ्रोजेन सीमन का प्रयोग किया जाता है। जिससे उच्च नस्ल और अधिक उत्पादक क्षमता वाले बछड़े जन्म लेते हैं। कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से उत्पन्न बछिया अधिक दूध उत्पादन करती है। इससे पशु पालकों के आय में भी बढ़ोत्तरी होती है।

कृ़ित्रम गर्भाधान का लाभ कम समय में अधिक से अधिक पशुओं को प्रदाय करते हुए पशुधन विभाग द्वारा ‘हीट सिन्क्रोनाइजेशन‘ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक के माध्यम से बड़ी संख्या में मादा पशुओं को एक साथ गर्भधारण की अवस्था में लाकर उनमें कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। इस तकनीक से लम्बे समय से बांझपन से ग्रसित मादा पशु भी ठीक होकर गर्भधारण के योग्य होती है। छत्तीसगढ़ राज्य के 9 जिलों में हीट सिन्क्रोनाइजेशन के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान का कार्य प्राथमिकता से किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ राज्य में बीते वित्तीय वर्ष में 6 लाख 20 हजार मादा पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान किया गया। यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य के प्रत्येक जिले के 300 गांव में कृत्रिम गर्भाधान का कार्य, नेशनल एआई प्रोग्राम के तहत विशेष अभियान संचालित कर किया जा रहा है। राज्य के रायगढ़ जिले में नेशनल एआई प्रोग्राम के तहत कृत्रिम गर्भाधान की उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया था। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सुराजी योजना के तहत गांव में निर्मित गौठान से पशु नस्ल सुधार और कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को बढ़ावा मिला है। इससे राज्य में पशुओं की उत्पादकता, उनकी क्षमता एवं दुग्ध उत्पादन को बेहतर बनाने में मदद मिली है।

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