अब बंद खदानों में भी केज कल्चर से होगा मछली पालन

रायपुर, मछली पालन विभाग द्वारा राज्य में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब बंद एवं अनुपयोगी पड़ी पत्थर के खदानों में भी केज कल्चर से मछली पालन किया जाएगा। विभाग द्वारा इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। बंद पड़ी पत्थर के खदानों को मछली पालन के लिए मछुआ सहकारी समितियों को 10 वर्षीय पट्टे पर दिए जाने की शुरूआत भी विभाग ने राजनांदगांव जिले से की है। राजनांदगांव जिले के ग्राम पंचायत मुढ़ीपार ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम मनगटा की तीन पत्थर की खदानों को, मछली पालन के लिए विभाग ने विधिवत मछुआ सहकारी समिति बाबू नवागांव को 10 वर्षीय पट्टे पर दे दिया है। इन खदानों में केज कल्चर लगाए जाने के लिए विभाग एवं डीएमएफ मद से राशि स्वीकृत किए जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

यहां उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में मछली पालन को बढ़ावा दिए जाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। इसी प्रयास के अंतर्गत केज कल्चर से मछली पालन में अच्छी सफलता मिली है। छत्तीसगढ़ राज्य, केज कल्चर से जलाशयों में मछली पालन के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के कई जलाशयों में केज कल्चर से मछली पालन किया जा रहा है। जिसमें सरोदा दादर जलाशय, क्षीर पानी जलाशय, घोंघा जलाशय, झुमका जलाशय, भरतपुर जलाशय, तौरेंगा जलाशय प्रमुख रूप से शामिल है। जलाशयों में केज कल्चर से मछली उत्पादन की सफलता को देखते हुए अब इस पद्धति को बंद अनुपयोगी पड़ी पत्थर की खदानों में मछली पालन के लिए शुरू करने की कार्ययोजना विभाग ने तैयार की है। राज्य में जहां भी पत्थर की खदानें बंद एवं अनुपयोगी है और उनमें पर्याप्त जल भराव है, वहां केज कल्चर से मछली पालन किए जाने की योजना है।

ज्ञातव्य है कि राज्य में राष्ट्रीय प्रोटीन परिपूरक मिशन के अंतर्गत जलाशयों में केज कल्चर से मछली पालन शुरू किया गया है। इसके तहत जलाशयों में निर्धारित जगह पर फ्लोटिंग ब्लॉक बनाए जाते हैं। सभी ब्लॉक इंटरलॉकिंग होते हैं। ब्लॉकों में निर्धारित माप के जाल लगते हैं। सामान्य तरीके से मछली पालन के बजाय केज कल्चर से मत्स्य पालन ज्यादा लाभकारी है। एक केज कल्चर से मत्स्य पालन की लागत को घटाने के बाद लगभग 70 से 75 हजार रूपए की आय होती है।
संचालक मछली पालन ने बताया कि बंद एवं अनुपयोगी पड़ी पत्थर खदानों में केज कल्चर से मछली पालन ज्यादा आसान एवं लाभप्रद होगा। इससे मछुआ सहकारी समितियों के आय में भी वृद्धि होगी। छत्तीसगढ़ राज्य में अभी प्रति वर्ष 4.85 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हो रहा है। राज्य में सघन मछली उत्पादन हेतु मछली पालन विभाग द्वारा 200 हेक्टेयर में तालाब का निर्माण कर मस्त्य बीज उत्पादन का प्रस्ताव है। जिससे 65 हजार मानव दिवस का सृजन होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *