कोरबा .कोरोना संक्रमण के कारण एक ओर जहां बैंकों में कामकाज सीमित हो गया है, बैंकों में भीड़ लगाने पर मनाही है, एटीएम मशीन काउंटरों पर सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन के मानक जरूरी किये गये हैं तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में भी लोगों को बैंकिंग सुविधाओं के लिए किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो रही है। ऐसी परिस्थितियों में भी पिछले दो महिनें में कोरबा जिले के ग्रामीण इलाकों के बीस हजार 467 लोगों ने दो करोड़ दो लाख रूपये से अधिक का लेनदेन अपने बैंक खातों से घर बैठे कर लिया है। किसी ने पेंशन निकाली है, तो किसी ने मनरेगा की मजदूरी पाई है।
कोरबा जिले में गांव-गांव तक बैंकिंग सेवाओं को पहुॅंचाने के लिये 63 बैंक सखियों द्वारा लगातार काम किया जा रहा है। घर-घर पहुॅंचकर लेपटाॅप या छोटी सी हाथ से चलने वाली कियोस्क टाइप मशीन से यह बैंक सखियाॅं किसी महिला को वृद्धावस्था पेंशन की राशि दे रही हैं, तो किसी ग्रामीण को मनरेगा की मजदूरी का भुगतान भी कर रही हैं। बैंकों में जमा ग्रामीणों के रूपये उनके घर में पहुॅंचकर उन्हें आसानी से मिल जा रहे हैं। कोरबा जिले में वर्तमान में पाॅंच बैंकों की 63 बैंक सखियाॅं ग्रामीणों को नगद राशि निकालने, जमा करने, एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर करने जैसी सेवायें घर पहुॅंचकर दे रही हैं। इन बैंक सखियांे द्वारा ग्रामीण क्षेत्रांे में लोगों के नये खाते खोलने और उनके खाते में बचत राशि की जानकारी भी तत्काल दी जा रही है। जिले में पिछले दो महिनों में इन बैंक सखियांे द्वारा 20 हजार 467 लोगों के बैंक खातों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। जिनसे दो करोड़ दो लाख रूपये से ज्यादा का लेनदेन हो चुका है। बैंक सखियों ने पिछल दो महिने में छह हजार 941 पेंशन हितग्राहियों, दो हजार 293 मनरेगा मजदूरों, दो हजार 482 जनधन खाताधारकों और सात हजार 786 सामान्य खाता धारकों को कोरोना संक्रमण के इस दौर में घर पहुंचकर राशि उपलब्ध कराई है। इस दौरान मुंह पर मास्क लगाने के साथ-साथ सोशल डिस्टेसिंग का भी पूरा ध्यान रखा गया है।
किसी बीमार के ईलाज के लिये तत्काल राशि उपलब्ध कराना हो तो बैंक सखी अपने लेपटाॅप और माॅरफो डिवाईस या पाॅस मशीन लेकर सीधे अस्पताल में भर्ती मरीज तक पहुॅंच जाती है और उसके अंगूठे के निशान से ही जरूरत की राशि उसके खाते से निकालकर तत्काल उपलब्ध करा देती है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एस जयवर्धन ने बताया कि जिले में वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की 52, भारतीय स्टेट बैंक की 5, पंजाब नेशनल बैंक की 3 और यूनियन बैंक की एक और ओरिएन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स की 2 बैंक सखियाॅं कार्यरत् हैं। हर एक बैंक सखी का कार्यक्षेत्र तीन से पाॅंच ग्राम पंचायतों को मिलाकर निर्धारित किया गया है। ग्राम पंचायतों में निर्धारित जगहों पर भी उपस्थित रहकर यह बैंक सखियाॅं लोगों को मनरेगा मजदूरी भुगतान, छात्रवृत्ति भुगतान, सामाजिक सुरक्षा पेंशनों का वितरण और अपने बैंक खातों में जमा रूपयों के लेनदेन-नगद निकासी-जमा की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं।
कोरोना काल में शिवकुमारी बनीं बैंक आईकाॅन- विकासखण्ड करतला के ग्राम पंचायत कलगामार में बैंक सखी के रूप में श्रीमती शिवकुमारी राठिया कार्यरत् हैं। शिव-शक्ति महिला स्व सहायता समूह की सदस्य श्रीमती राठिया ओरिएन्टल बैंक आॅफ काॅमर्स की बैंक सखी हैं। वे सितम्बर 2019 से बैंक सखी के रूप में काम कर रही हैं और कलगामार सहित आसपास की ग्राम पंचायतों के 1431 बैंक खातों की देखरेख और उनसे रूपयों का लेनदेन की पूरी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभा रही हैं। श्रीमती राठिया बताती हैं कि कोरोना संक्रमण से बने हालातों में बैंकों में भीड़ नहीं होने के निर्देष है। लोगों को अपने खातों से पैसा निकालने के लिए बैंकों में देर-देर तक इंतजार करना पड़ रहा है। साथ ही कोरोना फैलने का डर अलग सता रहा है। श्रीमती शिवकुमारी ने बताया कि वे अपने कियोस्क मशीन के साथ घर-घर जाकर लोगों को उनके खातों से पैसा निकालकर दे रहीं हैं। शिवकुमारी लोगों को सबसे पहले अपने हाथों को सेनेटाइज करने के लिए सेनेटाइजर देती हैं।
एक व्यक्ति का अंगूठा बायो मैट्रिक पहचान के लिए मशीन पर लगाने के बाद मशीन को सेनेटाइज किया जाता है। लेनदेन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा पालन किया जाता है। शिवकुमारी जैसी ही अन्य बैंक सखियां भी ग्रामीणों से लेनदेन के दौरान उन्हें कोरोना बीमारी के बारे में जानकारी देती हैं और उससे बचाव के तरीके भी बताती हैं। शिवकुमारी ने उन्होंने अभी तक लगभग 30 लाख रूपयों का लेनदेन बैंक सखी के रूप में कर दिया है। वे बताती हैं कि बुजुर्ग, दिव्यंाग, बीमार, विद्यार्थियों सहित जरूरतमंद लोगों को समय पर उनकी बैंकों में जमा राशि घर पहुॅंचाकर मिल जाने से लोग उन्हें बहुत धन्यवाद और दुआयें देते हैं। इससे उन्हें हर महीने चार हजार रूपये का कमीशन बैंक की तरफ से मिल जाता है और डेढ़ हजार रूपये का मानदेय बिहान योजना से मिलता है। श्रीमती राठिया बताती हैं कि हर महीने निश्चित आमदनी से अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में उन्हें बहुत सहुलियत मिल रही है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर में नई वस्तुयें खरीदने तक की योजना अब वे बिना किसी चिन्ता के बनाकर पूरी कर भी लेती हैं।