हां, रमन सिंह जी हमें तो नींद नहीं आ रही है, आप कैसे सो पा रहे हैं: शिव डहरिया

·      श्रमिकों के कष्ट, पीड़ा और दुर्दशा के लिए ज़िम्मेदार तो केंद्र के फ़ैसले हैं

·      आपने तो उनसे भी टिकट के पैसे मांग लिए, खर्च तो हम उठा रहे हैं

रायपुर। 15 मई 2020। मज़दूरों के पैरों पर पड़े छालों पर रमन सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ के श्रम मंत्री शिव डहरिया ने कहा है कि आश्चर्य हुआ है कि जिन लोगों को शर्मिंदा होना चाहिए, जिन लोगों को श्रमिकों से माफ़ी मांगनी चाहिए वे लोग दूसरों से पूछ रहे हैं कि उन्हें नींद आती है या नहीं.

श्रम मंत्री शिव डहरिया ने कहा है, “रमन सिंह जी ! माननीय मुख्यमंत्री जी को इन दिनों नींद नहीं आ रही है, न ही मंत्रिमंडल के किसी सदस्य को नींद आ रही है. हमारे श्रमिक साथी जब हज़ारों मील भूखे प्यासे बिना विश्राम किए सड़कों पर हों तो नींद कैसे आ सकती है?”

उन्होंने कहा है कि इन श्रमिक भाई-बहनों, उनके वृद्ध माता पिता और छोटे छोटे बच्चों को सिर पर गठरी उठाए, जैसे तैसे साइकिल पर बैठे और ट्रकों पर किसी बेजान सामान की तरह लदे देखकर हम सबको शर्मिंदगी भी होती है. मन बेचैन होता है कि इन्हें किस तरह से सहायता पहुंचाई जाए.

श्रम मंत्री ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह बयान देते समय भूल गए कि देश के करोड़ों श्रमिक आज जो दुख, पीड़ा और कष्ट झेल रहे हैं उसके लिए उत्तरदायी  केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही है. अगर केंद्र सरकार ने बिना विचार किए लॉक-डाउन न किया होता, राज्यों से विचार विमर्श कर लिया होता तो आज यह स्थिति नहीं होती. उन्होंने कहा है कि लाख शर्मिंदगी और दुख के बाद आख़िरकार लाचारी ही अनुभव होती है क्योंकि आज भी निर्णय लेने का अधिकार केंद्र के पास है और सारे संसाधन भी उन्हीं के पास है.

शिव डहरिया ने कहा है, “मैं रमन सिंह जी से पूछना चाहता हूं कि वे टीवी पर, अख़बारों में और सोशल मीडिया पर जब इन मज़दूरों की पीड़ा को देखते हैं तो वे क्यों सोचते हैं? उनकी तो मजबूरी है, लाचारी है कि वे शीर्ष पर बैठे अपने दोनों नेताओं के बारे में कुछ नहीं बोल सकते. वे दिल पर हाथ रखकर सोचें कि इसके लिए ज़िम्मेदार आख़िर कौन है?”

उन्होंने कहा है कि जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है तो रमन सिंह जी घर पर दिखावटी धरना देने की बजाय सड़कों पर उतर कर देखें कि किस तरह दूसरे प्रदेशों से आ रहे मज़दूरों के लिए भोजन, पानी की व्यवस्था राज्य सरकार ने की है और किस तरह बसों में बिठाकर उन्हें उनके राज्यों तक भेजा जा रहा है. जो श्रमिक हमारे प्रदेश के हैं उन्हें उनके गृह ज़िलों तक भेजा जा रहा है.

रमन सिंह के बयान पर श्रम मंत्री डहरिया ने कहा है कि ‘सूपा बोले तो बोले छलनी क्या बोले जिसमें 72 छेद’. उन्होंने कहा है कि कभी रमन सिंह यह भी बताएं कि दो महीनों से बेरोज़गार बैठे श्रमिकों से ट्रेन की टिकट के पैसे मांगने के बाद भाजपा के किस किस नेता के हलक से रोटी उतर रही है और उन्हें कैसी नींद आ रही है. कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी ने तो तत्काल कांग्रेस की सरकारों और संगठन से कहा कि वे श्रमिकों की यात्रा का खर्च वहन करें, रमन सिंह की पार्टी और उनके नेताओं ने क्या किया? सिर्फ़ बयान देने से कुछ नहीं होगा.

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से श्रमिकों की पीड़ा में सहभागिता व्यक्त करते हुए श्रम मंत्री शिव डहरिया ने कहा है कि वे केंद्र की भाजपा सरकार के दिशाहीन फ़ैसले से देश के श्रमिक वर्ग को जो पीड़ा झेलनी पड़ रही है उसमें कांग्रेस का एक एक कार्यकर्ता उनके साथ है.

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