प्रदेश भाजपा अध्यक्ष साव, नेता प्रतिपक्ष चंदेल बस्तर से खाली हाथ लौटे – कांग्रेस


*बस्तर की जनता ने भाजपा नेताओं के दौरे को नकारा – कांग्रेस*
*बस्तर के लोग भाजपा के 15 साल के कुशासन और शोषण को भूले नहीं है*
रायपुर/ 26 सितंबर 2022। बस्तर का दौरा कर वापस आये भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को भाजपा की बस्तर में भाजपा की बदहाल जमीन हकीकत समझ आ गयी होगी। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बस्तर की जनता भाजपा के कुशासन और आदिवासी उत्पीड़न के 15 साल को अभी तक भूली नहीं है। इसी कारण भाजपा नेताओं के दौरे को बस्तर की जनता ने नकार दिया। भाजपा नेता सिर्फ सैरसपाटा कर के वापस आ गये। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बस्तर में एक नुक्कड़ सभा नहीं कर पाये। भाजपा नेताओं बस्तर दौरा सिर्फ भाजपा के जिला कार्यालयों और नेताओं के घर चाय पीने तक सीमित रहा। बस्तर की जनता, भाजपा के 15 साल के कुशासन में बस्तर में जो शोषण हुआ, बस्तर में जो कत्लेआम हुआ, बस्तर में अशांति फैली हुई थी उसको भूली नहीं है। एड़समेटा, हिड़मा मड़कम की हत्या, सारकेगुड़ा, झलियामारी जैसी हृदय विदारक घटनायें बस्तर की जनता नहीं भूली है। बस्तर की जनता इन घटनाओं के लिये भाजपा से जवाब चाहती है जो भाजपा अध्यक्ष नहीं दे पाये। बस्तर के आदिवासियों की 4000 एकड़ से अधिक जमीनों को रमन सरकार द्वारा जबरिया लैंड बैक बनाकर, बंधक बनाकर रखा था। बस्तर में साढ़े चार लाख से अधिक वनाधिकार पट्टों को लंबित रखने के लिये, बस्तर के हजारों निर्दोष आदिवासियों को जेल, सलाखो के पीछे बंद रखा गया, बस्तर के 300 स्कूलों को बंद कर दिया था, बस्तर के रोजी-रोटी को बाधित करने के लिये, बस्तर में 15 साल शोषण का चला। आज भी बस्तर के लोग रमन राज के उत्पीड़न को याद कर सहम जाते है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इन चार सालों में भाजपा और उसकी केंद्र सरकार ने बस्तर और बस्तर के निवासियों के लिये कुछ भी नहीं किया जिसके आधार पर बस्तर की जनता भाजपा को माफ करे, बस्तर जीत का दावा भाजपा का ख्याली पुलाव मात्र है। बस्तर के लोग भाजपा के शोषण और आतंक के राज को कभी भूल नहीं सकते है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बस्तर में शांति बहाली का नया युग शुरू हुआ। लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीने वापस कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार के प्रति वहां के निवासियों के भरोसे को बढ़ाया। वन अधिकार पट्टो के पुनरीक्षण का काम शुरू किया गया, जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिये जस्टिस पटनायक की कमेटी बनाकर रिहाई शुरू किया गया। बस्तर में भाजपा सरकार द्वारा बंद किये गये 300 से अधिक स्कूलों को फिर से शुरू किया गया। तेंदूपत्ता संग्राहकों के मानदेय को 2500 से बढ़ाकर 4000 किया गया। बस्तर में लोगों के ईलाज के लिये हाट बाजार क्लिनिक शुरू किया गया। युवाओं के रोजगार के लिये बस्तर बटालियन और कनिष्ठ चयन बोर्ड का गठन किया गया। समर्थन मूल्य में खरीदी जाने वाले लघुवनोपजो की संख्या 7 से बढ़ाकर 65 किया गया। भूपेश सरकार के राज में बस्तर के चहुंमुखी विकास के रास्ते खोले गये।

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