सुकमा, कोरोना वायरस कोविड-19 के प्रसार के नियंत्रण एवं रोकथाम के मद्देनजर घोषित लॉक डाउन के दौरान सुकमा जिले के ग्रामीण संग्राहकों द्वारा जंगलों से संग्रहित किये गये वनोपज आज उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में मददगार साबित हो रही है। जिले में वन विभाग के द्वारा 25 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के जरिये वन धन विकास योजनान्तर्गत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से लघु वनोपज का संग्रहण किया जा रहा है। इन महिला समूहों द्वारा अपने गांवों सहित प्रमुख बसाहटों में लघु वनोपज का संग्रहण कर तत्काल संग्राहकों को नकद भुगतान किया जा रहा है।
राज्य शासन के मंशानुरूप वन धन विकास योजनांतर्गत महिला स्व सहायता समूहों द्वारा जिले में अब तक 2029 क्विंटल वनोपज की खरीदी की जा चुकी है, जिसमें 1 हजार 595 क्विंटल आटी इमली,154 क्विंटल महुआ फूल, 7 क्विंटल हर्रा, 161 क्विंटल बेहड़ा, 99 क्विंटल चरोटा बीज, 9 क्विंटल फूलझाडू सहित अन्य वनोपज शामिल हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय किये जा रहे वनोपज का भुगतान संग्राहकों को त्वरित किया जा रहा है। अब तक 56 लाख 54 हजार 372 रुपये का वनोपज क्रय किया जा चुका है।
वन विभाग के उप वनमंडलाधिकारियों, रेंज आफिसरों सहित अन्य मैदानी अमला और प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के पदाधिकारियों के द्वारा सभी ईलाकों में महिला स्व सहायता समूहों को उच्च गुणवत्ता के वनोपज संग्रहण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम हेतु सोशल डिस्टेंस सम्बन्धी दिशा-निर्देशों का पालन करने की समझाईश दी जा रही है। जिसके तहत वनोपज संग्रहण के दौरान एक-दूसरे से निर्धारित दूरी, मास्क पहनने या गमछे-रुमाल से फेस कवर करने इत्यादि के बारे में महिला समूहों को अवगत कराया जा रहा है। वहीं ग्रामीण संग्राहकों को भी इस सम्बंध में जागरूक किये जाने कहा जा रहा है। जिले में वन धन विकास योजनान्तर्गत वनोपज संग्रहण कार्य में ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला समूहों की व्यापक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण संग्राहकों को उनके लघु वनोपज का वाजिब दाम उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले में इन महिला समूहों की सहभागिता से आने वाले दिनों में ज्यादा से ज्यादा वनोपज का संग्रहण होने की उम्मीद है।