वर्चुअल क्लास रूम: शिक्षकों और छात्रों का बढ़ा उत्साह

रायपुर, नये जमाने के मुताबिक भावी पीढ़ी को शिक्षा देने के लिए छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर स्कूली बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की पढ़ाई के लिए सीजीस्कूल डॉट इन (cgschool.in) पोर्टल शुरू किया गया है। स्कूली बच्चों को कोरोना संकट के दौरान वर्चुअल क्लास रूम की पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है। जल्द ही इसे प्रदेश के चुनिंदा जिलों में शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। ऑनलाइन शिक्षा के लिए शुरू किए गए पोर्टल में अब तक 10 लाख 83 हजार विद्यार्थी और एक लाख 41 हजार शिक्षक ऑनलाइन जुड़ चुके हैं। विषय विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा वीडियो लेक्चर तैयार कर अपलोड किया जा रहा है।

“छत्तीसगढ़ शासन ने डिजिटल क्लासरूम का पायलट प्रोजेक्ट कुछ चुनिन्दा स्कूलों में प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला जी के मार्गदर्शन में प्रारंभ किया था। उस समय इसे केवल शिक्षा में तकनीकी का इस्तेमाल कर ऐसी शालाओं में जहां विषय शिक्षक नही हैं, कुशल विषय शिक्षक के माध्यम से अध्यापन का लाभ दिलाने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया था, परन्तु किसे मालूम था कि पूरे विश्व में कोरोना के नाम पर ऐसी आपदा आयेगी जिससे हमारी इस पायलट परियोजना हमारी आवश्यकता या मजबूरी बन जाएगी । इस अनुभव को उपयोग करने का अवसर हमें तत्काल एक माह के भीतर ही मिल गया। छत्तीसगढ़ शायद पहला राज्य है जहां स्कूल शिक्षा विभाग ने बिना किसी बाह्य विशेषज्ञों के एन.आई.सी. के सहयोग से एक सप्ताह के भीतर ही पूरी वेबसाईट बना डाली।”

बलौदाबाजार हायर सेकंडरी स्कूल, चांपा में भौतिकी के व्याख्याता श्री कौशिक मुनि त्रिपाठी गत तीन वर्षों से शासकीय स्कूल में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। इसके पूर्व उन्हें निजी विद्यालयों में अध्यापन का पन्द्रह वर्ष का अनुभव है। उन्होंने निजी स्कूल में अध्यापन के दौरान स्मार्ट कक्षा का उपयोग कर बच्चों को सिखाने का कार्य किया था। इसी अनुभव के आधार पर उन्होंने राज्य में डिजिटल कक्षा के पायलट परियोजना में भौतिकी विषय के अध्यापन का कार्य किया। उनके इस अनुभव के आधार पर उन्हें “पढई तुंहर दुआर” के अंतर्गत प्रथम चरण में ही राज्य स्तर से कक्षा लेने का अवसर प्राप्त हुआ।

श्री कौशिक मुनि त्रिपाठी द्वारा कक्षा दसवीं के गणित में बहुपद को समझाने का प्रयास किया गया। उनकी कक्षा में राज्य के अलग-अलग हिस्सों से कुल चवालीस बच्चों ने सक्रिय सहभागिता दी। इस कक्षा के संचालन में शिक्षक को तकनीकी समर्थन देने को-होस्ट के रूप में सोमा बर्मन एवं गौरव गोस्वामी जुड़े रहे। श्री त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने अपनी इस कक्षा के लिए बहुत तैयारी की। विषय को स्पष्ट करने के लिए पीपीटी आदि भी बनाए। बच्चों से पूछे जा सकने योग्य सवालों को भी तैयार किया।

दुर्ग जिले के सेक्टर-9 भिलाई की शिक्षिका सुश्री आशा ठाकुर ने बताया कि “राज्य में इस कार्यक्रम को बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। अब हमें अपनी शालाओं को वर्चुअल क्लास रूम में रूप में विकसित कर नियमित कक्षाओं के विकल्प के रूप में चलाने हेतु आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। ऐसा हो जाने पर हम सब अपने-अपने घरों में बैठक एक नियमित शाला जैसे ही नियमित कक्षाओं का आयोजन कर सकेंगे। मुझे पहले गणित की ऑनलाइन कक्षाएं यू-ट्यूब के माध्यम से लेने का अनुभव था। अब मैं अपनी लाइव कक्षाएं इस वेबसाइट के माध्यम से लेने लगी हूँ। बच्चों को गणित सीखने में मजा आ रहा है।”

कोरिया जिले के विकासखण्ड बैकुंठपुर की प्राथमिक शाला महुआपारा के सहायक शिक्षक श्री जयप्रकाश साहू ने बताया कि “पढई तुंहर दुआर’’ छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग की एक अभिनव पहल है और इसके माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सफल होगी। समुदाय और विद्यार्थी में इस योजना को लेकर काफी उत्सुकता है। हमारे बच्चे इन कक्षाओ को नियमित रूप से देखने लगे हैं और प्रश्नों के जवाब भी दे पा रहे हैं। लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों में भी बच्चों को घर पर रहकर अपनी पढ़ाई जारी रख पाने में यह योजना सफल होगी ऐसा मेरा मानना है।”

बलौदाबाजार हायर सेकंडरी स्कूल, चांपा में कक्षा दसवी के विद्यार्थी श्री मुकेश वर्मा ने बताया कि “मुझे पहली बार इस प्रकार से आनलाइन कक्षा देखने का अवसर मिला। हम और राज्य के अन्य जिलों से जुड़े साथी सभी ने गणित के बहुपद नामक पाठ को ध्यान से सुना, देखा और समझा। सर ने कक्षा के अंत में कुछ सवाल भी पूछे जिसका सभी बच्चों ने सही-सही जवाब दिया। मैं अब अगली कक्षा के इंतजार में हूँ। यदि हमे अगले दिन की कक्षा के पाठ की जानकारी पहले से मिल जाए तो हम उसकी तैयारी कर सकते हैं और शंका समाधान का अवसर भी हमे मिल सकेगा।”

राज्य में इस आपदा के दौरान बच्चों की शिक्षा को कैसे घर पर रहकर जारी रखा जाए, इसके विकल्प के रूप में यह योजना काफी मददगार साबित हो सकेगी। धीरे धीरे इसकी पहुँच बढ़ेगी और बच्चे एक नियमित कक्षा के विकल्प के रूप में इसका अच्छे से इस्तेमाल कर सकेंगे ।

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