रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कोरोना काल की आड़ में राशन के चावल को डकारकर किए जा रहे बड़े घोटाले की अनदेखी पर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर जमकर निशाना साधा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना गाइडलाइन व लॉकडाउन के चलते राशन दुकानों तक नहीं पहुँच सके सैकड़ों उपभोक्ताओं का राशन बँट जाने की जो ऑनलाइन रिपोर्ट दुकानदारों ने दी है, उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले के सामने आने के बाद राशन दुकानों के मार्फ़त राशन-वितरण की समूची प्रक्रिया की जाँच होनी चाहिए जिससे करोड़ों रुपए के घोटाले का भंडाफोड़ होगा।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने आश्चर्य जताया कि राशन के चावल घोटाले का यह सिलसिला पिछले एक साल से बेखटके चल रहा है और इन घोटालेबाजों ने उन लोगों के नाम पर राशन हजम कर लिया जो अब इस दुनिया में रहे ही नहीं हैं। राजधानी के सिर्फ़ एक वार्ड में ही लगभग 200 उपभोक्ता कोरोना काल में राशन नहीं ले पाए, जिनका प्रति कार्ड 35 किलो के हिसाब से 07 हज़ार किलो और सालभर में 84 हज़ार किलो यानी 840 क्विंटल चावल का फ़र्जी तौर पर आहरण किया गया है और बाज़ार में 20 रुपए प्रति किलो की दर से 16.80 लाख रुपए का राशन (चावल) बेचा गया है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि यह तो राजधानी के एक वार्ड में हुआ घोटाला है, और बाकी के वार्डों की बात करें तो यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने बड़े पैमाने पर यह खेल चल रहा है! श्री श्रीवास्तव ने कहा कि सबसे ज़्यादा एपीएल राशनकार्डों से इस घोटाले को अंजाम दिया गया है और राशन दुकानदारों ने डॉक्टर, जनप्रतिनिधि, इंजीनियर, बड़े व्यापारी और पुलिस वालों के नाम पर राशन उठाया है, क्योंकि इस श्रेणी के उपभोक्ताओं सिर्फ़ पहचान पत्र के नाम पर अपना राशन कार्ड बनवा रखा है और वे कभी राशन उठाते नहीं हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने हैरानी जताई कि बजाय इस घोटाले की तह तक जाकर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कहने के, संबंधित अधिकारी अब गोलमोल बातें करके अपना पल्ला झाड़ने पर आमादा नज़र आ रहे हैं। श्री श्रीवास्तव ने आशंका जताई कि क्या यह पूरा घोटाला सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक संरक्षण में अंजाम दिया जा रहा है, जिसके चलते संबंधित अधिकारी इतना ग़ैर-ज़िम्मेदाराना ज़वाब दे रहे हैं? क्या इसमें भी कमीशनखोरी चल रही है? चूँकि केंद्र सरकार की ओर से ग़रीबों को मुफ़्त बाँटने के लिए मिले चावल को पंचायतों को बेचने और ग़रीबों के राशन के चावल में घोटाला करने वाली इस प्रदेश सरकार की अब कोई विश्वसनीयता नहीं रह गई है, इसलिए अब भाजपा केंद्र सरकार से पुन: चावल घोटाले की उच्चस्तरीय जाँच की मांग करेगी।