दुर्ग। जिले के धमधा विकासखण्ड के समस्त हेल्थ एवं वेलनेस सेंटरों व स्वास्थ्य केन्द्रों में आज विश्व महामारी स्वच्छता दिवस मनाया गया। इस अवसर पर किशोरी बालिकाओं को माहवारी स्वच्छता के संबंध में जानकारी दिया गया । इसके अलावा किशोरी बालिकाओं को हाथ धोने का सही तरीका सिखाया गया और मितानिन और मितानिन ट्रेनर द्वारा निशुल्क सेनेटरी पैड का वितरण किया गया।
मितानिन कार्यक्रम के जिला समन्वयक भीखू देशमुख ने जानकारी देते हुए बताया,“हर साल 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस यानी वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन (माहवारी से जुड़ी साफ-सफाई) डे मनाया जाता है। हर महिला इस मासिक चक्र से गुजरती है। मासिक धर्म प्रकृति से जुड़ी प्रक्रिया है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 2014 में हुई थी। इसे मनाने का मकसद (Purpose) यही है कि लड़कियों/महिलाओं को पीरियड्स के उन खास दिनों में स्वच्छता (Cleanliness) और सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा सके। महिलाओं के पीरियड्स आमतौर पर 28 दिनों के भीतर आते हैं, ये पांच दिनों तक रहता है। इसी कारण इस खास दिवस को मनाने के लिए साल के पांचवें महीने मई की 28 तारीख को चुना गया”।
वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे की थीम और उद्देश्य
इस वर्ष वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे की थीम एक्शन एंड इन्वेस्टमेंट इन मेन्सट्रुअल हाइजीन एंड हेल्थ यानी ‘मासिक धर्म स्वच्छता और स्वास्थ्य में कार्रवाई, निवेश रखी गई है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य मासिक धर्म के दौरान लड़कियों और महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों के बारे में जागरूकता पैदा करना और कई तरह की सावधानियां बरतना है।
इसलिए है इसका खास महत्व
धमधा ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ डीपी ठाकुर ने बताया, “पहले के समय में इस विषय पर कोई खुलकर बात नहीं करता था। ऐसे में वे इसके लिए मानसिक रूप से पहले से तैयार नहीं होती थीं। इस वजह से वे न तो इसके प्रति जागरूक होती थीं और न ही इससे होने वाली बीमारियों के बारे में ही जानती थीं। ऐसे में इस दिवस के बहाने लोगों को इस ओर जागरूक किया जाता है कि मासिक धर्म कोई अपराध नहीं। यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। ऐसे में इस पर घर और समाज में खुलकर बात करने की जरूरत पर बल दिया जाता है। ताकि इस दौरान स्वच्छता के महत्व को भी समझा जा सके”।
डॉ ठाकुर ने बताया फिलहाल, “कोरोना महामारी के चलते जगह-जगह लॉकडाउन चल रहा है। इसलिए आपसी संवाद के लिए केवल ऑनलाइन माध्यम ही विकल्प है। कोविड-19 कार्यक्रम और नीतियों में मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता को भी शामिल करना आवश्यक है क्योंकि महिलाओं को इस दौरान जिन समस्यओं का सामना करना पड़ रहा है, उनका समाधान जरूरी है। कोरोना संकट के चलते अस्पतालों में आम मरीजों के लिए ही ओपीडी सेवाएं काफी प्रभावित हैं, ऐसे में महिलाएं माहवारी संबंधी चिकित्सकीय परामर्श से वंचित न हो सके। हालांकि आम दिनों में भी माहवारी संबंधी जटिल समस्याओं के समाधान के लिए हमें व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।यह सिर्फ महिलाओं से जुड़ा मुद्दा नहीं हैं, मानवीय मुद्दा है।