मनरेगा से रबी रकबा विस्तार से किसानों के आमदनी में वृद्धि

बलरामपुर सिंचाई ही वह आधार है जिस पर कृषि विकास निर्भर करता है, प्राकृतिक संसाधन के रूप में जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है। जल के दो स्त्रोत है सतह का जल जो नदियों एवं जलाशयों के रूप में प्राप्त होता है, वहीं दूसरा भूमि का जल जो नलकूपों एवं कुओं द्वारा प्राप्त किया जाता हैं। धरातली एवं भूमिगत जल वर्षा आधारित होते हैं। वर्षा से प्राप्त जल प्रवाहित होकर नदी, नालों एवं तालाबों तथा कुछ जल भूमि के परतो से रिसकर भूमि के निचली परतो में चला जाता है जिसे तालाबों, डबरी एवं कुओं के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
कलेक्टर संजीव कुमार झा की संयुक्त एवं समावेशी पहल से शासन के योजनाओं का लाभ एवं इसका ज्ञान पूरे ग्राम पंचायतों में पहुंचा है, इसके साथ ही इसका सफल क्रियान्वयन भी किया जा रहा हैं, जिसके फलस्वरूप जिले में खरीफ फसल हेतु पानी की प्रर्याप्त मात्रा उपलब्ध हो रही है एवं रबी रकबे में आवश्यक वृद्धि हो रही है, फलस्वरूप कृषक मिश्रित खेती की ओर अग्रसर हो रहे है एवं अपनी आमदनी को दूगनी करने हेतु एक कदम आगे बढ़ रहे है जिसका प्रभाव निश्चित तौर पर उनकी आजिविका एवं जीवनशैली में पड़ रहा हैं। रबी फसल का कृषि रकबा एवं खरीफ फसल हेतु पानी की प्रयाप्त मात्रा प्रत्येक ग्राम पंचायत में हो, इस हेतु बड़े स्तर पर डबरी का चिन्हांकन कर उचित जलग्रहण क्षेत्र के आधार पर निर्माण किया गया है। साथ ही शासन की महत्वकांक्षी योजना साथ नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी के तहत् स्वीकृत गोठान ग्राम पंचायतों में कलेक्टर संजीव कुमार झा के निर्देशन में कृषि विभाग ने किसानों को रबी कि अतिरिक्त फसल लेने हेतु प्रोत्साहित करते हुए आवश्यक सहायता दी परिणाम स्वरूप रबी फसल के सुने पड़े खेत लह-लहा रहे हैं। कृषि नवाचारों तथा उतेरा जैसे परम्परागत् पद्वतियों के सफल प्रयोग में कृषकों को नई दिशा एवं नई उम्मीद् दी हैं। पूर्व में रबी की फसल न लेने से किसानों को आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ता था। किन्तु अब कृषक रबी की फसल में अच्छी आय प्राप्त कर सकेगें, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। जिले में कृषकों के द्वारा पूर्व में विभिन्न फसलें ली जाती रही हैं, किन्तु रबी फसलों के रकबों में वृद्धि न होना एक महत्वपूर्ण समस्या थी। कलेक्टर संजीव कुमार झा ने महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत् जिले के सभी ग्राम पंचायतों में ऐसे सभी कृषकों का सर्वे कराया एवं उनकी सूची तैयार कराकर डबरी की उपयोगिता को तकनीकी अमलों के माध्यम से समझाया गया। इन सकारात्मक प्रयासों से न कृषक केवल आज रबी फसल के रकबे में वृद्धि कर पाये है, साथ ही साथ मिश्रित खेती का लाभ मछली पालन के माध्यम से ले रहे हैं। जिससे किसान अपनी आमदनी तो बढ़ा ही रहे हैं साथ ही साथ नगदी फसल लेने हेतु प्रोत्साहित हो रहे हैं। इन सकारात्मक प्रयासों से जिले में कुल 2253 डबरी पूर्ण हो चुके है एवं 2571 डबरी प्रगतिरत् हैं। जिले में गत् वर्ष रबी का रकबा 72558 हेक्टेयर था जो वर्ष 2019-20 में 5632 हेक्टेयर बढ़कर 78190 हेक्टेयर हो गया है ।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को रबी फसल लेने हेतु खरीफ के मौसम में ही जानकारी दी गई थी। सर्व प्रथम ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया, जहाँ सिचाई की सुविधा कम थी एवं रबी के फसल लेने में ग्रामवासियों में जागरूकता का अभाव था, उन क्षेत्रों में कृषकों को उतेरा पद्वति एवं मिश्रित खेती हेतु प्रोत्साहित किया गया एवं शासन के विभिन्न योजनाओं जैसे महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, कृषि विभाग, मत्स्य पालन विभाग, उद्यानिकी विभाग के आपसी समन्वयक के माध्यम से इन क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर कृषकों को डबरी के माध्यम से जल संग्रहण एवं जल संचयन के समावेशी विकास में अहम भागीदारी दिलाई। उपरोक्त डबरी के मेड़ पर कृषि विभाग के माध्यम से अरहर, उड़द, अलसी का फसल लिया जा रहा है।

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