केंद्र सरकार बनी कारपोरेट सरकार,अभिभावक,किसान,गरीब परिवार,मध्यम वर्गीय परिवार की नही है चिंता- विकास पाठक
रायपुर : केंद्र की बीजेपी सरकार आज पूरी तरह से कारपोरेट सरकार बन चुकी है जो चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुचाने के लिए किसान,अभिभावक,गरीब,मध्यम वर्गीय परिवार के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है. कोरोना काल के वैश्विक महामारी में भी केंद्र सरकार चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुचाने से बाज नही आरही है. विधायक एवं संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार हर वर्ग के साथ बराबर खड़ी है.
किसानों के कृषि विधयेक बिल के पारित को लेकर हो या निजी स्कूलों की फीस के मनमानी को लेकर हो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने साफ और स्पष्ट शब्दों पर कहा है कि फीस को लेकर निजी स्कूल संचालकों की नही चलेगी मनमानी कॉंग्रेस प्रवक्ता एवं आईटी सेल के पश्चिम विधानसभा के अध्यक्ष विकास पाठक ने बताया कि काँग्रेस सरकार ही ऐसी सरकार है जो सभी वर्गों के साथ समांतर रूप से खड़ी है.
आज कोरोना काल मे जहाँ आम आदमी के काम बंद है कईयों की नोकरी छूट गई करोड़ो लोग बेरोजगार होगये है ऐसी स्थिति में निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर फीस के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है ये ऐसी स्कूल है जो आज की नही बरसो से स्कूलों का संचालन कर रही है स्कूल संचालकों के पास खुद के करोड़ो अरबो रुपये का फंड है अभिभावकों का सिर्फ ये कहना है कि कोरोना काल के चलते फीस कम की जाए न कि पूर्व की तरह पूरी फीस ली जाए.
डॉ. विकास पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार कभी भी सामान्य परिवार,मध्यम वर्गीय परिवार के साथ खड़ी नही हुई शर्म आती है ऐसी बीजेपी सरकार पर ओर राज्य में उनके साथी बीजेपी के नेताओ पर जिन्होंने निजी स्कूल के संचालकों पर मनमानी फीस वसूली पर अब तक कोई जवाब या प्रतिक्रिया नही दिए जबकि कांग्रेस सरकार भूपेश बघेल की सरकार लगातार अभिभावकों के साथ खड़ी है.
संसदीय सचिव एवं विधायक विकास उपाध्याय स्वयं अभिभावकों एवं निजी स्कूलों के बीच मध्यस्थता को लेकर इसे हल करने की बात कह चुके है,वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा,विधायक कुलदीप जुनेजा,महापौर एजाज ढेबर स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी से मिल कर कोरोना काल को देखते हुए फीस कम करने की बात कही है अर्थात काँग्रेस सरकार सीधे- सीधे कोरोना काल मे अभिभावकों के दर्द और तकलीफ को समझ रही है पर बीजेपी के एक भी नेता का बयान निजी स्कूलों के फीस की मनमानी को लेकर नही आया.
डॉ. विकास पाठक ने बताया कि एक निजी स्कूल में औसतन 1000 से 1500 बच्चे पढ़ते है और एक बच्चे की औसतन फीस माने तो 20 हजार से 30 हजार तक है 20 हजार के हिसाब से 1500×20000= 30,000,000 अधिकतर स्कूलों की इनकम करोड़ो में है उसके बाद भी सिर्फ कोरोना काल मे स्कूल संचालकों द्वारा फीस कम न करना और अभिभावकों पर दबाव बनाना बड़ी ही शर्म की बात है काँग्रेस सरकार अभिभावकों के साथ बराबर खड़ी है और स्कूलों संचालकों द्वारा फीस को लेकर मनमानी नही की जाएगी।