रमन सिंह जी को मोदी तक पर भरोसा नहीं
रायपुर/11 जुलाई 2020। कुलपति चयन संशोधन पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2009 में कुलपति नियुक्ति का नियम बनाया था कि कुलपति का चयन राज्य सरकार करेगी और अधिसूचना राज्यपाल जारी करेगें। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी कुलपति चयन का अधिकार कैबिनेट को देते हुये संशोधन लाया है जो राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिये है। रमन सिंह जी को मोदी तक पर भरोसा नहीं है। नरेन्द्र मोदी ने कानून बनाया है तो अच्छा कानून होगा, यह रमन सिंह जी को और भाजपा को मान लेना चाहिये। भाजपा अगर ऐसे कानून को अधिकार छीनने की और अधिनायकवादी प्रवृति कहती है तो यह प्रवृत्ति तो नरेन्द्र मोदी जी की हुयी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि राज्यपाल से मंत्रियों का मिलने में भी रमन सिंह जी को परेशानी पूरी तरह से गलत है। रविन्द्र चौबे, मो. अकबर, डॉ. शिवकुमार डहरिया, उमेश पटेल जैसे जिम्मेदार मंत्री राज्यपाल जी से मिलने गये थे। पूरे सम्मान से राज्यपाल जी से बात की गयी। संवैधानिक स्थिति स्पष्ट की गयी। इसमें रमन सिंह जी को क्यों तकलीफ हो रही है भाजपा को क्यों तकलीफ हो रही है? क्या भाजपा यह चाहती है कि राज्यपाल से सरकार की मंत्री न मिले? या भाजपा ये चाहती है कि छत्तीसगढ़ की कोई बात राज्यपाल तक न पहुंचाई जाये। रमन सिंह ने जिस तरह से 15 वर्ष तक छत्तीसगढ़ को चलाया है। पूरा छत्तीसगढ़ त्रस्त हो गया था और भाजपा को 15 सीटो पर पहुंचना पड़ा। रमन सिंह जी जैसा हम नहीं चलाने वाले है हम जनता की बात महामहिम तक पहुंचायेंगे और महामहिम का पूरा आदर और सम्मान करेंग। रमन सिंह जी कितना भी कुढ़ते रहे और कितना भी परेशान होते रहे कांग्रेस वहीं करेगी जो संविधान सम्मत है जो राज्यपाल के मान, सम्मान मर्यादा के अनुरूप है जो छत्तीसगढ़ की जनभावना के अनुरूप है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उस समय गुजरात में कानून बना था कुलपति चयन को लेकर नियम बनाये गये थे और छत्तीसगढ़ सरकार ने वैसा ही कानून बनाया हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को रमन सिंह जी अलोकतांत्रिक कहते है तो उसके पहले वे भाजपा के गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को अलोकतांत्रिक कह रहे है। दरअसल रमन सिंह जी को मोदी पर भरोसा ही नहीं है। नरेन्द्र मोदी ने अगर कोई कानून बनाया था तो अच्छा ही बनाया होगा और अगर रमन सिंह जी इसे अधिनायकवादी प्रवृत्ति कहते है तो रमन सिंह जी का इशारा नरेन्द्र मोदी जी तरफ है। ये तो भाजपा का आंतरिक मामला है। रमन सिंह जी पहले मोदी जी से पूछ ले और आपस में इसे हल कर ले इसको उसके बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाये।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य की जनता ने तीन चौथाई बहुमत से कांग्रेस को जीताई है। संघ की विचारधारा भाजपा की विभाजनकारी विचारधारा को छत्तीसगढ़ की जनता ने छत्तीसगढ़ की मतदाताओं ने खारिज किया है। स्वाभाविक रूप से यदि इस विचारधारा का व्यक्ति कही किसी विश्वविद्यालय में बैठता है तो यह पीड़ा सिर्फ सरकार की नहीं पूरे राज्य की पीड़ा है। पूरे राज्य के जनमत के खिलाफ यह नियुक्ति हुई है। इसके बारे में अपने नियम बनाना, इसके बारे में राज्यपाल जी के सामने अपनी बात रखना बहुत विनम्रता से लेकिन उतनी ही दृढ़ता से रखना राज्य सरकार का अधिकार है, यही राज्य सरकार की मंत्रियों ने किया है। संशोधन भी पारित हुआ है। राज्य में बड़े बहुमत से पारित हुआ है। इस संबंध में जो भी संवैधानिक प्रावधान है उनका पालन भी किया जाना चाहिये यही हम सब चाहते है, यही राज्य के लोग चाहते है। संभवतः राज्यपाल जी भी यही चाहती है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कियदि राज्यपाल जी ने अभिमत लेने की बात कही है, यदि राज्यपाल जी ने यदि कोई ऐसी पहल की है अच्छी बात है। राज्यपाल जी के कार्यालय में बहुत पहले संशोधन दे दिया गया है। जानकारी भी दे दी है। अब निर्णय राज्यपाल जी को करना है। संविधान के जो प्रावधान है उनके अनुरूप कार्यवाही करना है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि इसके पहले तीन बार जब रमन सिंह जी सरकार ने नियुक्तियां प्रस्तावित की। केन्द्र में जब यूपीए की थी तो उस समय उन नियुक्तियों में कोई बदलाव का काम यूपीए सरकार के द्वारा नहीं किया गया, राज्यपाल के द्वारा नहीं किया गया। आज जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है तो ऐसा कार्य केन्द्र की मोदी सरकार के द्वारा, भाजपा सरकार के द्वारा क्यों किया जा रहा है? आखिर राज्यपाल केन्द्र सरकार और राष्ट्रपति के नामित प्रतिनिधि होते है। राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते है और ऐसी स्थिति में हम राज्यपाल जी से अपेक्षा करते है कि वे राज्य की जनता के भावनाओं के अनुरूप और राज्य सरकार के सिफारिशों के अनुरूप और संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही करें और इसमें बुरा क्या है? अगर वरिष्ठ मंत्रियों ने मिलकर राज्यपाल जी के आगे इस बात को रखा है तो यह राज्य की सरकार का अधिकार है, राज्य के लोगो का अधिकार है और हमें पूरा विश्वास है कि राज्यपाल जी संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप सही निर्णय लेंगे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पूर्व में जैसा होता रहा है अगर उन्हीं परंपराओं पालन होता तो हमें कोई आपत्ति नहीं होती। जो आज देश के प्रधानमंत्री है नरेन्द्र मोदी जी। उन्होने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते जो संशोधन लाये थे वैसे ही संशोधन कांग्रेस की सरकार इस बार छत्तीसगढ़ में ला रही है और मोदी जी का संशोधन स्वीकृत हुआ था तो छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का संशोधन भी स्वीकृत होना चाहिये। इसमें कोई परेशानी या टकराव की बात नहीं है। परंपरा ये है कि पैनल राज्य सरकार बनाती है और उसी पैनल से नियुक्ति राज्यपाल जी करती है लेकिन राज्यपाल जी के द्वारा उस पैनल पर बाहर नियुक्ति के कारण समस्या हुई है यह संशोधन लाया गया है। हमारे मन में राज्यपाल जी के प्रति पूरा सम्मान है। राज्यपाल जी इस राज्य के प्रति बहुत संवेदनशील रही है लेकिन जहां पर राज्य सरकार के अधिकारों का सवाल है वहां पर यदि राज्य सरकार अपने अधिकारों के अनुरूप, संविधान के अनुरूप पहल कर रही है तो यह राज्य सरकार का अधिकार है। उसमें कोई आपत्ति नहीं की जानी चाहिये।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि बलदेव प्रसाद शर्मा जी की पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नियुक्ति हुयी है वे पांचजन्य के संपादक रहे है। पांचजन्य आरएसएस का मुखपत्र रहा है। सवाल ये है कि एक कांग्रेस शासित प्रदेश में पांचजन्य के संपादक बलदेव शर्मा जी को कुलपति बनाके क्या संदेश दिया जा रहा है? इससे राज्य के छात्रों में क्या संदेश जायेगा? छात्र जगत में क्या संदेश जायेगा? क्या इस तरीके से शिक्षा का राजनीतिकरण जायज है? हम छत्तीसगढ़ के लोग वो दिन नहीं भूले है जब सरस्वती शिश मंदिर के कार्यालय में कुलपतियों की बैठक हुआ करती थी रमन सिंह जी के शासनकाल में। इस हद तक राजनीतिकरण भाजपा ने अपनी सरकार में किया है। कांग्रेस की सरकार इसमें सुधार करने की दिशा में काम कर रही हे। निष्पक्ष लोगों की नियुक्ति की कोशिश कर रहे है। संवैधानिक प्रावधानों के पालन की कोशिश कर रहे है। कांग्रेस और भाजपा में बहुत अंतर है। दोनों की नीति अलग-अलग है वे अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिये काम करते है। कांग्रेस छात्र जगत के विकास के लिये शैक्षणिक संस्थानों में बेहतर वातावरण के लिये काम कर रही है। भूपेश बघेल की सरकार ने सुधार किये है वे अदभुत है शिक्षण जगत के लिये लेकिन उन सुधारों को यदि कुलपतियों में ऐसी नियुक्तियां होंगी तो कैसे कैम्पस से आवश्यक समर्थन मिल पायेगा, कैसे क्रियान्वयन होगा? ये बड़ा सवाल है।