रायपुर। विधायक विकास उपाध्याय गांधी परिवार से जुड़े तीन ट्रस्टों की जाँच कराए जाने के बीच मोदी सरकार पर आज बड़ा हमला बोला है और कहा है नरेन्द्र मोदी पहले इस बात का स्पष्टीकरण दें जब 1948 से ही पीएम नेशनल रिलीफ़ फंड (पीएमएनआरएफ़) मौजूद है, तो नए ट्रस्ट के गठन की आवश्यकता क्यों पड़ी ? विकास उपाध्याय ने इसके साथ ही मोदी से कई सवाल पूछे हैं।
विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि मोदी द्वारा गठित पीएम केयर्स फंड में पारदर्शिता की पूरी तरह से कमी है। कांग्रेस विधायक विकास ने मोदी से सवाल की है कि जब 1948 से ही पीएम नेशनल रिलीफ़ फंड (पीएमएनआरएफ़) मौजूद है, तो नए फंड के गठन की आवश्यकता क्यों पड़ी। उन्होंने कहा लॉकडाउन शुरू होने के कुछ ही दिन बाद 27 मार्च को ही नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड का गठन कर लिया। देश की जनता जानना चाह रही है कि किस तरह इस फंड को बनाया गया है और इसे कैसे मैनेज किया जा रहा है, कितना पैसा अभी तक इस फण्ड में इकट्ठा हुआ है और ये किसके लिए और कैसे इस्तेमाल हो रहा है ? ये भी बताएं कि ट्रस्ट का गठन कैसे हुआ और ये कैसे काम कर रहा है।
विकास उपाध्याय ने ये सवाल इसलिए भी पूछा है, चूंकि पीएम केयर्स की वेबसाइट पर इन सवालों के कोई जवाब नहीं हैं। उन्होंने कहा इसका अर्थ ये तो नहीं कि सरकार कुछ छिपा रही है?
विकास ने प्रधानमंत्री मोदी से यह स्पष्ट करने कि माँग भी की है कि पीएम केयर्स फंड एक पब्लिक अथॉरिटी है की नही। क्या यह फण्ड आर टी आई के दायरे में आता है और यदि नहीं आता तो इसका मतलब ये भी हुआ कि इसकी जाँच सरकारी ऑडिटर्स भी नहीं कर सकते।
कांग्रेस विधायक उपाध्याय ने आशंका जाहिर की है कि मोदी के इस फण्ड में छिपाने के लिए काफी चीजें हैं। जिसे एक रहस्य बना कर रख दिया गया है। तभी बार-बार माँग करने के बावजूद मोदी इन सवालों के जवाब में चुप्पी साध बैठे हैं। ऐसा है तो ये कोरोना के आड़ में एक बड़ा घोटाला साबित होगा। प्रधानमंत्री को इसका जवाब देना ही चाहिए।
विकास ने कहा भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर मार्च अंत के समय पूरे देश में एक डर सा माहौल था। लोगों में दहशत थी। लोग चाहते थे कम से कम पूरे विश्व में भारत इससे अछूता रहे और पीएम मोदी की एक अपील के बाद कई क्षेत्रों से डोनेशन आने शुरू हो गए या कहें उद्योगपति, सेलिब्रिटीज ,कंपनियाँ और आम आदमी ने भी इसमें अपना योगदान देना शुरू कर दिया। एक रिपोर्ट से पता चलता है कि पीएम केयर्स फंड में 28 मार्च के बाद सप्ताह भर के अंदर ही इस फंड में 65 अरब रुपए इकट्ठा हो गए। माना ये जा रहा है कि अब ये राशि बढ़कर 100 अरब रुपए से भी ज्यादा हो चुकी है।
उन्होंने याद दिलाया कि नोटबंदी की घोषणा की तरह एका एक हुई लॉकडाउन की घोषणा से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों ने शहरों से अपने गाँवों की ओर उसी दिन से ही पलायन शुरू कर दिया। कई दिनों तक इन मज़दूरों ने सैकड़ों मील की दूरी पैदल तय की। भूखे प्यासे इन मजदूरों की तस्वीरें लंबे समय तक अखबार और टीवी चैनलों की सुर्ख़ियों में बनी रहीं। इस दौरान सैकड़ों से भी ज्यादा तादात में मजदूरों की जानें गई।
विकास उपाध्याय ने कहा तब ये उम्मीद कि जा रही थी कि सरकार इस फंड की कुछ राशि उन लोगों पर ख़र्च करेगी, जो शहर से पलायन करने को मजबूर थे, जबकि तब तक पीएम केयर्स फंड में अरबों रुपये आ चुके थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने माँग की है कि मोदी इस फण्ड की वेबसाइट पर सूचनाएँ सार्वजनिक करें। ये बताएँ कि उन्हें अभी तक कितना पैसा मिला, कहाँ से मिला और उसे कहाँ-कहाँ ख़र्च किया गया।