पढ़ई तुंहर दुआर में बच्चों ने सीखा पढ़ने का अनोखा तरीका
रायपुर, स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा कैरियर काउंसलिंग और डिजिटल साक्षरता जैसे विषयों की विस्तृत श्रृंखला पर विशेष साप्ताहिक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इसके तहत आज मेमोरी पावर पर विशेष ऑनलाईन कक्षा का आयोजन किया गया। इसका प्रसारण यूट्यूब चैनल पीटीडी छत्तीसगढ़ (PTD Chhattisgarh) पर किया गया। ऑनलाईन कक्षा में बच्चों ने पढ़ने का अनोखा तरीका सीखा। ऑनलाईन कक्षा से 3 हजार से अधिक लोग जुड़े।
आयोजित विशेष ऑनलाईन कक्षा में विद्यार्थियों को कुछ ऐसी तकनीक सिखाई गई जिससे रट्टा मारने के तरीके से मुक्त होकर अपनी कल्पना एवं संज्ञानात्मक शक्ति से अपने पढ़ने के तरीके में बदलाव ला सके। लिंक सिस्टम एवं हुक सिस्टम से यह संभव है। कक्षा में लाइव डेमो भी दिया गया, जिसमें 50 डिजिट का नंबर से लेकर इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं, विज्ञान के फार्मूले से लेकर गणित के इक्वेशन को इस तकनीक से पढ़ने और याद करने के तरीके को और बेहतर ढंग से बताया गया।
उल्लेखनीय है कि स्कूल शिक्षा विभाग पढ़ई तुंहर दुआर के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन करते आ रही है। अब तक एससीईआरटी ने कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिए विभिन्न विषयों पर सीजीस्कूलडाटइन पर वर्चुअल ब्रॉडकास्टिंग के माध्यम से 240 से अधिक कक्षाएं आयोजित की है, जिसमें राज्य से लगभग एक लाख 30 हजार छात्र शामिल हो चुके है।
स्कूल शिक्षा विभाग के पढ़ई तुहर दुआर कार्यक्रम में मेमोरी पॉवर पर आयोजित विशेष ऑनलाइन कक्षा में वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार सत्यराज अय्यर ने बताया कि अक्सर हम 100 में 100 अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को अधिक बुद्धिमान या विद्वान मानते है और जो व्यक्ति अधिक अंक प्राप्त करने से चूक जाए तो उसे समाज में उतना बड़ा स्थान नही मिल पाता। मगर सच्चाई यह है कि विश्व इतिहास में हम झांक कर देखे तो जितने भी बडे़ से बड़े दिग्गज व्यक्तियों ने कला से लेकर के विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है, वे या तो स्कूल के ड्रापआउट रहे अथवा स्कूल जाकर शिक्षा प्राप्त करने के सीमित साधन रहे। उन्होंने कहा कि अक्सर शालाओं में अलग-अलग विषयों पर चर्चा होती है। परंतु पढ़ने का तरीका विद्यार्थी को स्वयं चयन करना पड़ता है। वर्तमान में प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ रही है। विद्यार्थियों में तनाव का माहौल बढ़ता जा रहा है। इसी कारण काफी विद्यार्थी रट्टा मार के परीक्षाओं में अपनी नैया पार कर लेते है। इससे मस्तिष्क की ताकत का हमें बचपन में एहसास नही होता और उससे फायदा उठाने में चूक जाते है।
आजकल हमारे फोन और टीवी दिन-प्रतिदिन स्मार्ट होे रहे है लेकिन हमारी स्मरण शक्ति दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है। हम में से काफी लोग ऐसे है जिनको अपने परिवार वालों के फोन नंबर बताने के लिए अपना मोबाईल नंबर खोजना पड़ता है। एक तरफ डिजिटल टेक्नोलॉजी हमारे जीवन को आसान बना रही है और दूसरी तरफ इसने हमें डिजिटल गुलाम भी बना दिया है। दिलचस्प बात यह है कि हमारा दिमाग शरीर के वजन का तीन प्रतिशत का प्रतिनिधित्व और शरीर की 20 प्रतिशत ऊर्जा का उपयोग करता है। कितने लोग अपने अविश्वसनीय दिमाग की शक्ति के बारे में जानते हैं ? मस्तिष्क की शक्ति से बेहतर कोई तकनीक नहीं है। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम कल्पना शक्ति और रचनात्मक सोच पर आधारित अपने मस्तिष्क की शक्ति का अधिकतम उपयोग करने के लिए छात्रों और वयस्कों के बीच अधिक जागरूकता लाने की कोशिश कर रहे हैं।
अपने अनुभवों को साझा करते हुए आदर्श विद्यालय मोवा रायपुर की छात्रा कु. भाग्यश्री ने बताया कि आज की कक्षा से हम जैसे विद्यार्थियों को बहुत लाभ मिला और वे इस नई तकनीक को अपने पढ़ाई में जरूर आजमाएंगे।