विपक्ष में रह कर आक्रमक बन चुके कांग्रेसजनों को सत्तारूढ़ दल की तासीर में ढालना मोहन मरकाम की बड़ी उपलब्धि ,सुशील आनंद शुक्ला

रायपुर,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के एक वर्ष पूरे कर लिए । एक वर्ष जब मोहन मरकाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने तब उनके सामने एक बड़ी चुनौती थी पिछले पन्द्रह सालो तक विपक्ष में रहे और उसमें भी पिछले छ वर्षो से तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के नेतृत्व में आक्रमक और लड़ाकू हो चुके कार्यकर्ताओ को सत्तारूढ़ दल की तासीर के अनुसार आचरण और व्यवहार में ढालने की ।राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही कांग्रेस जनों के किरदार में भी परिवर्तन हो चुका था लेकिन पन्द्रह साल तक विपक्ष के रूप में रच बस चुके कार्यकर्ताओ के आचरण में सहसा बदलाव लाना आसान काम नही था।सरकार बनने के साथ महत्वाकांक्षाओं के ज्वार का उफान मारना स्वाभाविक है ।पन्द्रह सालो के संघर्ष की परिणिती के बाद बनने वाली सरकार में भागीदारी और हर छोटे बड़े कार्यकर्ता की अपनी अलग अलग लालसाएं थी इन सबको साथ ले कर अनुशाषित तरीके से संगठित हो कर आगे बढ़ना दुरूह कार्य था ।
सत्तारूढ़ दल होने के कारण संगठन के पास उतनी जबाब दारिया नही होती यह मत प्रचारित करने वाले यह भूल जाते है कि सरकार में आने के बाद सबको एक जुट रख कर सबकी आकांक्षाओं को सहेज कर सरकार के निर्णयों नीतियों को जनता तक पहुचाने की महति जबाबदारी ऐसे समय संगठन की और अधिक हो जाती है ।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मोहन मरकाम ने अपने इस दायित्व का बखूबी निर्वहन किया ।उनके इस काम मे उनका सबसे बड़ा सहारा बना उनका अपना खुद का व्यक्तित्व ।सरलता और सहजता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मोहन मरकाम के बड़े हथियार साबित हुए ।एक एक कार्यकर्ता से मिल कर उनकी बातों को धैर्यपूर्वक सुन कर व्यथित कार्यकर्ता के चेहरे पर मुस्कान लाने की अद्भुद क्षमता है मोहन मरकाम के व्यक्तित्व में ।
धरना ,प्रदर्शन, घेराव चक्काजाम जैसे लोकतांत्रिक कार्यक्रमो में महारथ हासिल कर चुके कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हाथ मे राज्य सरकार की उपलब्धियों के पर्चे थमा कर गली मोहल्ले शहरों में घुमाने का जो दायित्व उन्हें मिला उसको वे बखूबी निभा रहे ।
प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सम्भालने के ढाई महीने के अंदर ही हुए दंतेवाड़ा उपचनाव कांग्रेस की नई सरकार और नए प्रदेश अध्यक्ष दोनों के ही लिए बड़ा लिटमस टेस्ट था ।पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप पूरे चुनाव तक दंतेवाड़ा में डटे रहे ।राजनैतिक विश्लेषकों के सारे अनुमानों को ध्वस्त कर कांग्रेस दन्तेवाड़ा उप चुनाव जीतने में सफल हुई ।इसके बाद चित्रकोट उप चुनाव में पार्टी की सीट को बचाने की उपलब्धि भी मोहनमरकाम के लिए हर्ष का कारण बनी ।
लोक सभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर फैलाये गए झूठ के भाजपाई आवरण के कारण कांग्रेस को आशातीत सफलता नही मिली लेकिन राज्य में पार्टी के सांसद एक से दो हुए ।उसके बाद नगरी निकाय चुनाव में कांग्रेस की एक तरफा बढ़त दस में दस महापौरों का जीतना कांग्रेस की राज्य सरकार के साथ पार्टी संगठन के लिये भी बड़ी उपलब्धि थी ।नगरीय निकाय चुनाव के बाद पंचायत चुनाव में भी पार्टी के समर्थित उम्मीदवारों का जीतना इस बात का प्रमाण था कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र के मतदाता कांग्रेस पार्टी और उसकी सरकार से संतुष्ट हैं।
राज्य सरकार की उपलब्धियों के साथ केंद्र की भाजपा सरकार की नाकामियों दोनों को जनता के बीच ले जाने की जो जबाबदेही मोहन मरकाम के कंधों में कांग्रेस नेतृत्व ने डाला था उसे पूरा करने में वे सफल रहे हैं।

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