तेंदूपत्ता की ख़रीदी जान-बूझकर अब तक आधी ही किए जाने से संग्राहकों को नुकसान हो रहा : भाजपा

लक्ष्य के विरुद्ध सिर्फ़ 50 पीसदी ही ख़रीदी, ठेकेदारों और अधिकारियों की साँठगाँठ पड़ोसी प्रदेशों में बिक रहा तेंदूपत्ता

पिछले तीन वर्षों की ख़रीदी को आधार मानकर इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्राहकों को औसत राशि का भुगतान करे : उसेंडी

संग्राहकों को बीमा और छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ भी नहीं दे रही सरकार, पिछले साल का बोनस भी तुरंत दिया जाए

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने तेंदूपत्ता की ख़रीदी अब तक आधी ही करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार के इशारे पर तेंदूपत्ता संग्राहकों से जान-बूझकर कम ख़रीदी की गई है। इस कोरोना-काल में भी प्रदेश सरकार अपने ओछे राजनीतिक हथकंडों से बाज़ नहीं आ रही है। श्री उसेंडी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए शुरू की गईं विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी संग्राहकों व उनके परिजनों-बच्चों को देना बंद कर दिया है। यह प्रदेश सरकार की कुनीतियों, बदनीयती और संवेदनहीन नेतृत्व का परिचायक है जिसके चलते प्रदेश का तेंदूपत्ता दूसरे प्रदेशों में बिकने जा रहा है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री उसेंडी ने कहा कि इस वर्ष लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों के माध्यम से 16,71,700 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अब तक इस लक्ष्य के विरुद्ध सिर्फ़ 50 पीसदी ही तेंदूपत्ते की ख़रीदी की गई है। इससे पहले वर्ष 2019 में 15,01,281 मानक बोरा, 2018 में 14,80,034 मानक बोरा और 2017 में 17,09,976 मानक बोरा तेंदूपत्त संग्रहण हुआ था। लेकिन इस वर्ष अधिकांश समितियों में सिर्फ़ तीन-चार दिन ही तेंदूपत्ता संग्रहण का काम कराया गया। प्रदेश सरकार के इशारे पर जान-बूझकर तेंदूपत्ते की ख़रीदी कम किए जाने से तेंदूपत्ता संग्राहकों को काफ़ी नुकसान उठाना पड़ रहा है। श्री उसेंडी ने मांग की है कि प्रदेश सरकार पिछले तीन वर्षों की ख़रीदी को आधार मानकर इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्राहकों को औसत राशि का भुगतान करे ताकि कोरोना संकट की इस घड़ी में इन गरीब, आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहकों के सामने कोई बड़ी दिक्कत खड़ी न हो।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री उसेंडी ने खुलासा किया कि बस्तर और सरगुजा संभाग में कम दिनों तक ही संग्रहण का काम चलने के कारण अब तेंदूपत्ता की अंतरराज्यीय तस्करी कर ठेकेदारों और अधिकारियों की साँठगाँठ से यह तेंदूपत्ता आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र ,ओड़िशा और झारखंड में बिकने के लिए भेजा रहा है, जिससे प्रदेश शासन को राजस्व की क्षति भी हो रही है। श्री उसेंडी ने इस बात पर भी हैरत जताई कि गरीबों, आदिवासियों की नित दुहाई देते रहने वाली प्रदेश सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2018 व वर्ष 2019 के दो साल के 700 करोड़ बोनस का अब तक भुगतान नहीं कर वनवासियों के साथ अन्याय कर रही है। यह भुगतान तत्काल संग्राहकों को किया जाए। प्रदेश के लाखों तेन्दूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना के तहत प्रीमियम जमा नहीं करने पर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए श्री उसेंडी ने कहा कि राज्य सरकार के इस कदम से सरकार का राजनीतिक प्रतिशोध झलक ही रहा है, साथ ही गरीब मजदूरों के प्रति दुराग्रह का साफ-साफ परिचय मिल रहा है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री उसेंडी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के लगभग 13 लाख तेन्दूपत्ता संग्राहकों व उनके परिजनों को बीमा योजना का लाभ मिलना बंद हो गया है और इन संग्राहकों को अब अपनी जोखिम पर ही तेन्दूपत्ता संग्रहण करना पड़ रहा है, जिनके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने मार्च 2018 से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना लागू की थी। उस वर्ष तत्कालीन प्रदेश भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ के सभी तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों का बीमा कराया था। प्रदेश सरकार राजनीतिक प्रतिशोध में गरीब तेन्दूपत्ता संग्राहकों के जीवन को भी दांव पर लगाने से नहीं हिचकिचाई और उसने जून 2019 से बीमा प्रीमियम की राशि ही जमा नहीं कराई। इसी तरह तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर बीमा दावे के भुगतान का लाभ नहीं मिल रहा है और लघु वनोपज समिति के प्रबंधक बीमा दावा भुगतान के लिए आवेदन नहीं ले रहे हैं।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री उसेंडी ने कहा कि इन तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए शुरू की गई अटल समूह बीमा और आम आदमी बीमा योजना भी बंद कर दी गई है। तेंदूपत्ता संग्राहकों के परिवार के मेधावी विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई योजनाओं व्यावसायिक शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति, मेधावी विद्यार्थी पुरस्कार और बीएससी नर्सिंग छात्रवृत्ति भी मौजूदा प्रदेश सरकार ने पिछले दो साल से देना बंद कर दिया है। श्री उसेंडी ने कहा कि गरीब मजदूरों और आदिवासियों के नाम पर प्रदेश की भूपेश सरकार बड़े-बड़े दावों का राजनीतिक पाखंड तो खूब रचती है लेकिन प्रतिशोध और दुराग्रह के राजनीतिक चरित्र का जैसा प्रदर्शन तेन्दूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना के मामले में उसने किया है, उस पर मुख्यमंत्री बघेल को शर्म महसूस करनी चाहिए।

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