मनरेगा और बैंक सखी का ‘कन्वर्जेंस’ : खाते में आई मजदूरी निकालने बैंक जाने की जरूरत नहीं

बैंक सखी द्वारा कार्यस्थल पर ही श्रमिकों को जरूरत के मुताबिक नगद भुगतान

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री सिंहदेव की पहल पर

मनरेगा श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर ही नई सुविधा 

रायपुर. यूं तो ‘कन्वर्जेंस (Convergence)’ शब्द मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के लिए नया नहीं है। मनरेगा और अलग-अलग विभागों की योजनाओं के ‘कन्वर्जेंस’ (अभिसरण) से अनेक काम होते रहे हैं और हो भी रहे हैं। छत्तीसगढ़ में मनरेगा के साथ एक नया ‘कन्वर्जेंस’ जुड़ गया है। यहां ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि श्रमिकों के खाते में आई मजदूरी की राशि को निकालने उन्हें बैंक नहीं जाना पड़ेगा। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत गांव-गांव में काम कर रहीं बैंक सखी कार्यस्थल पर पहुंचकर जरूरत के मुताबिक नगदी उनके हाथों में सौंप देंगी।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव की पहल पर मनरेगा श्रमिकों के लिए इस नई सुविधा की शुरूआत सरगुजा जिले में हो चुकी है। अंबिकापुर विकासखंड की दो ग्राम पंचायतों सोहगा और बकालो में बैंक सखी ने सवेरे-सवेरे कार्यस्थल पर पहुंचकर श्रमिकों के खाते में अंतरित मजदूरी राशि का नगद भुगतान किया। वर्तमान कठिन परिस्थितियों में यह मजदूरों के लिए बेहद राहत भरा कदम है। कोविड-19 के चलते लागू लॉक-डाउन के कारण परिवहन सेवाएं बंद हैं। ऐसे में वनांचलों और दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों के लिए बैंकों तक पहुंचना बहुत परेशानी भरा है। मनरेगा कार्यस्थल पर बैंक सखी की मौजूदगी ने इस मुश्किल को दूर कर दिया है। सरगुजा जिले में अभी संचालित 1751 मनरेगा कार्यों में 88 हजार 746 मजदूर काम कर रहे हैं।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव दूर-दराज के गांवों में बैंकिंग सेवाएं देने वाली बैंक सखी के कार्यों की कई बार सराहना कर चुके हैं। हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंस से उन्होंने कई बैंक सखियों से सीधे बातकर उनकी हौसला अफजाई भी की है। मनरेगा कार्यस्थलों पर बैंक सखी के माध्यम से नगद भुगतान पर उन्होंने कहा कि यह मजदूरों के लिए बहुत सुविधाजनक है। खासतौर से उन क्षेत्रों में जहां बैंकों की संख्या कम है और गांव से दूर बैंक तक बार-बार जाना समय और श्रमसाध्य होने के साथ खर्चीला भी है। लॉक-डाउन के कारण परिवहन सेवाओं पर बंदिश से बैंकों तक पहुंचना अभी और भी मुश्किल है।

श्री सिंहदेव ने कहा कि कार्यस्थल पर मजदूरी राशि के भुगतान से कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव में भी मदद मिलेगी। इससे वे बैंकों की भीड़ और लाइन में लगने की असुविधा से बचेंगे। बैंक पहुंचने पर कई बार लिंक-फेल हो जाने या अत्यधिक भीड़ के कारण खाताधारकों का काम नहीं हो पाता और उन्हें दूसरे दिन दोबारा जाना पड़ता है। इस तरह की परेशानियों से भी उन्हें जूझना नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आगामी 21 मई को सरगुजा जिले में कार्यरत सभी 73 बैंक सखियों के माध्यम से मनरेगा कार्यस्थलों पर श्रमिकों को नगद आहरण की सुविधा दी जाएगी। बैंक सखियों का रोस्टर बनाकर अलग-अलग कार्यस्थलों पर अलग-अलग दिन यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि लॉक-डाउन के बाद से सरगुजा जिले में मनरेगा श्रमिकों को कुल सात करोड़ रूपए का मजदूरी भुगतान किया जा चुका है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में काम कर रहीं बैंक सखी पेंशन, मनरेगा व प्रधानमंत्री आवास योजना की मजदूरी और किसान क्रेडिट कॉर्ड की राशि का भुगतान कर रही हैं। बुजुर्गों और दिव्यांगों के घर तक जाकर उनकी जरूरत की रकम मुहैया करा रही हैं। बैंक सखियों के माध्यम से बैंकिंग सेवाएं गांव और जरूरतमंदों के घर तक पहुंच रही हैं। इससे उन्हें छोटे-मोटे लेन-देन के लिए बार-बार बैंकों तक जाना नहीं पड़ रहा है। बैंक सखियों ने सरगुजा जिले में लॉक-डाउन अवधि में सात करोड़ 18 लाख रूपए का वित्तीय लेन-देन किया है।

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