लॉक डाउन के प्रबंधन में असफलताओं और गरीबों मध्यमवर्ग के साथ क्रूर अमानवीय व्यवहार के लिये देश से माफी मांगने के बजाय केंद्रीय मंत्रियों द्वारा ताली ठोकना चैलेंज करना मानसिक दिवालियापन,सुरेंद्र वर्मा

केंद्र सरकार का करोना पैकेज

भूखे प्यासे मजबूर मजदूर सड़कों पर बेबस और पस्त
मोदीसरकार और उनके चहेते उद्योगपति AC में मस्त

पूंजीपतियों के हाथों देश का संसाधन सौंपने में लगी मोदी सरकार करोना आपदाकाल में न्याय योजना की ही तरह 7500/- प्रतिमाह गरीबों और किसानों के खातों में सीधे पैसे डाले

अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह नाकाम मोदी सरकार ने मजदूरों को राहत पंहुचाने में अड़ंगे लगाये

रायपुर/19 मई 2020। मोदी सरकार के कथित 20 लाख करोड़ के करोना पैकेज पर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भूखे प्यासे मजबूर मजदूर सड़कों पर बेबस और पस्त हैं लेकिन मोदी सरकार और उनके चहेते उद्योगपति AC में मस्त हैं।लॉक डाउन के प्रबंधन में असफलताओं और गरीबों मध्यमवर्ग के साथ क्रूर अमानवीय व्यवहार के लिये देश से माफी मांगने के बजाय केंद्रीय मंत्रियों द्वारा ताली ठोकना चैलेंज करना मानसिक दिवालियापन है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि देश के श्रमवीरों को मदद पहुंचाने, कांग्रेस द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता राजनीति कर रहे हैं। पहले मजदूरों की वापसी के लिए चलाए जा रहे ट्रेन के किराए पर झूठ और भ्रम फैलाया और अब बसों और निजी वाहनों के लिए भी वही टालमटोल! देशभर में संसाधन विहीन, बदहाल करोड़ों प्रवासी मजदूर सपरिवार पैदल चलने को मजबूर हैं! इस अंतरराज्यीय समस्या के लिए पूरीतरह से मोदी सरकार ही जिम्मेदार है! देश में लागू लॉक डाउन के लगभग 2 माह होने को है, पर अब तक मोदी सरकार प्रवासी मजदूरों के संदर्भ में कोई ठोस नीति बनाना तो दूर की बात कोई फैसला भी कर पाने में असफल रही है! मोदी सरकार यह जान चुकी है कि उनसे भारी चूक हुई है! खासकर हिंदी भाषा राज्यों के मजदूरों की स्थिति ज्यादा दयनीय है! मोदी सरकार यह भी जानती है कि ये मजदूर जो पिछले 58 दिनों से अपने बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के साथ हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा के लिए सड़क पर हैं ये भिखारी नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इनका पसीना ही कारखानों का ईंधन है! इन्हीं लगभग 15 करोड़ प्रवासी मजदूरों से देश के लगभग 60% छोटे और मध्यम उद्योग संचालित होते हैं। इसके अलावा निजी स्कूलों, संस्थानों और घरेलू क्षेत्र में रोजगार खो चुके लगभग 12 करोड़ लोग भी सड़कों पर हैं! यह भी पता है कि ये कामगार मोदी सरकार की उपेक्षा और संवेदनहीनता से व्यथित हैं, आक्रोशित हैं! गरीबों मजदूरों की मदद के बजाय मोदी सरकार के मंत्री अब झल्ला कर स्तरहीन प्रतिक्रिया से इनके स्वाभिमान और आत्मसम्मान को कुचलने का काम कर रही हैं!

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की राहुल गांधी जी पर प्रतिक्रिया और रेल मंत्री पियूष गोयल की प्रदेश के मुख्यमंत्री को चैलेंज की ड्रामेबाजी निंदनीय है! आपदकाल के में लिए गए फैसलों से मोदी सरकार की जनविरोधी, राष्ट्रविरोधी और पूंजीवादी असलियत सामने आ गया है! पहले लॉक डाउन लागू होते ही मोदी सरकार की नीयत को ये मजदूर शायद भांप गए थे, और 12 घंटे बाद ही लाखों की संख्या में पैदल निकल पड़े! उस वक्त भी बहुतों को यह उम्मीद रही होगी कि सरकार अनाज और पैसे से इनकी प्रत्यक्ष मदद करेगी! Lockdown 1 के 21 दिन और Lockdown 2 के 19 दिन अर्थात कुल 40 दिन बीतने के बाद जब सरकार के पास पूरा समय था कि इन बेघर किए गए संसाधन विहीन श्रमवीरो तक अनाज और आर्थिक मदद सीधे तौर पर पहुंचाया जा सकता था, पर 40 दिनों से इनकी मोदी सरकार ने कोई मदद नहीं की !

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा बिना ठोस योजना और प्रत्यक्ष मदद सुनिश्चित किए Lockdown 3 लागू करते ही इनके सब्र का बांध टूट गया और फिर अनिश्चितता, भूख और अभाव के भय से बाकी श्रमिक परिवार भी बदहवास निकल पड़े ।लाखों की संख्या में अपने गांव अपने प्रदेश वापस लौटने! राहुल गांधी जी जनवरी महीने से लगातार करोना महामारी की गंभीरता और उससे आने वाले अर्थव्यवस्था के बड़े संकट से मोदी सरकार को आगाह कर रहे थे! लॉक डाउन लागू होने के बाद से बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों से चर्चा कर आपदा काल में न्याय योजना लागू कर आपदा काल के लिए ₹7500/- प्रतिमाह गरीबों के खाते में डालने की राहुल गांधी जी ने मांग की, पर अहंकार के मद में चूर मोदी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी !

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि कामगारों के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी जी की अपील पर पूरे देश में प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने युद्ध स्तर पर सारे संसाधन झोंक दिया है! इनके भोजन और परिवहन की व्यवस्था लगभग सारे प्रदेशों में कांग्रेस कमेटी के द्वारा की जा रही है! इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जी, जो यूपी की प्रभारी भी हैं उन्होंने योगी सरकार को इन प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए 1000 बस चलाने का पेशकश की जिसे 2 दिन की सियासी नौटंकी के बाद योगी सरकार ने मानी!

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सत्ता होने के बाद भी जिम्मेदारियों से भागना और विपक्ष के रचनात्मक भूमिका में अड़ंगा लगाना भारतीय जनता पार्टी के अमानवीय और संवेदनहीन रवैया को प्रमाणित करता है!

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