रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर रेडी टू ईट की सामग्री और सूखा राशन वितरित करने तथा कोरोना संक्रमण से बचाव के उपायों की जानकारी देकर लोगों को जागरूक करने के काम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के नये मरीज मिल रहे हैं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पुनः घर-घर भेजकर लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी ली जाए और संदिग्ध मरीज मिलने पर स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से ऐसे मरीजों की स्वास्थ्य की जांच करायी जाए।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय पर आयोजित महिला और बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में ये निर्देश दिए। बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया, मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, समाज कल्याण विभाग के सचिव श्री आर. प्रसन्ना, संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग श्री जनमेजय महोबे और संचालक समाज कल्याण श्री पी. दयानंद उपस्थित थे।
बैठक में बताया गया कि पिछले वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ में शुरू किए गए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। इस अभियान के परिणाम स्वरूप प्रदेश के 62 हजार 617 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन अवधि के सुरक्षात्मक उपायों के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा 24 लाख 38 हजार हितग्राहियों को रेडी टू ईट और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत 3 लाख 62 हजार से अधिक हितग्राहियों को सूखा राशन घर-घर पहंुचाया जा रहा है और बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने का काम भी किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा महिलाओं और बच्चों को पोषण आहार पहंुचाने और लोगों को जागरूक करने के कार्य की सराहना की है।
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश के 90 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने हितग्राहियों के घरों में जाकर सामग्री वितरण के साथ-साथ लोगों को कोरोना से बचाव के संबंध में जागरूक करने का काम किया है। बैठक में बताया गया कि बस्तर क्षेत्र में बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए अण्डा वितरण प्रारंभ किया गया है। जिसे बच्चे पसंद कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए स्थानीय स्तर पर ही अण्डा लिए जाएं। इससे मुर्गी पालन से जुड़े स्थानीय लोगों को फायदा होगा। उन्होंने गौठानों में महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। श्री बघेल ने कहा कि इससे बच्चों के लिए ताजे अण्डे मिलेंगे। परिवहन का व्यय कम होगा और महिला समूहों को भी काम मिलेगा। मुख्यमंत्री ने गौठानों में मनरेगा से मुर्गी पालन के लिए शेड का निर्माण कराने और स्व सहायता समूहों को डीएमएफ तथा सीएसआर मद से सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने स्व सहायता समूहों को शहद उत्पादन से जोड़ने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ महिला कोष के माध्यम से महिला स्व सहायता समूहों और महिलाओं को मुर्गी पालन और शहद उत्पादन के लिए सहायता दी जा सकती है। बैठक में जानकारी दी गई कि लॉकडाउन के समय बच्चों को डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से घरों में ही रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने के लिए यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से प्रारंभ किए गए सजग और चकमक अभियान में बच्चे काफी रूचि ले रहे हैं। इन कार्यक्रमों से अब तक 18 लाख बच्चे जुड़े हैं। इस अभियान में बच्चों को स्थानीय बोलियों में बालगीत, कविता, कहानियों के माध्यम से शिक्षा दी जा रही है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस वर्ष प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को स्थानीय बुनकरों द्वारा तैयार साड़ियां वितरित की जाएंगी। प्रतिवर्ष कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को दो-दो साड़ियां यूनिफार्म के रूप में दी जाती हैं। श्री बघेल ने इस योजना के माध्यम से बुनकरों को रोजगार दिलाने के निर्देश दिए थे। बैठक में बताया गया कि लॉकडाउन के दौरान समाज कल्याण विभाग द्वारा समाज सेवी संगठनों की सहायता से प्रतिदिन लगभग 25 हजार से अधिक व्यक्तियों के लिए गर्म भोजन की व्यवस्था की गई और 27 हजार परिवारों को राशन सामग्री वितरित की गई। इसके साथ ही घुमंतू अर्द्ध विक्षिप्त और मानसिक रूप से अविकसित व्यक्तियों को सहारा देकर उनके भोजन और रहने की व्यवस्था भी विभाग द्वारा की गई। लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके इसके लिए विभाग द्वारा संचालित विशेष स्कूलों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाई करायी जा रही है।