क्वारेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था को सार्वजनिक करें ताकि हर व्यक्ति व्यवस्थाओं का सच जान सके : भाजपा

छत्तीसगढ़ लौट रहे प्रवासी मजदूरों की जाँच नहीं होने से बाकी लोग संक्रमण की आशंका से दहशत में हैं : उपासने

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था को पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक करने की मांग की है ताकि हर व्यक्ति यह जान सके कि इन क्वारेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्थाओं का सच क्या है? श्री उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार क्वारेंटाइन सेंटर्स को लेकर दावे तो खूब कर रही है लेकिन ज़मीनी सच प्रदेश सरकार को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि प्रदेशभर के क्वारेंटाइन सेंटर्स पूरी तरह बदइंतज़ामी के केंद्र बने हुए हैं। किसी धर्मशाला की तरह ही ये क्वारेंटाइन सेंटर्स संचालित किए जा रहे हैं जहाँ क्वारेंटाइन कर रखे गए लोगों की सुरक्षा और दीगर व्यवस्थाओं पर सरकार का ज़रा भी ध्यान नहीं है। कोई भी कभी भी इन सेंटर्स में क्वारेंटाइन कर रखे गए लोगों से मिलने के लिए आ-जा रहा है। मिलने आ रहे लोग अपने साथ खान-पीने की वस्तुएँ भी साथ लेकर आ रहे हैं। श्री उपासने ने कहा कि इन सेंटर्स में न तो बेरीकेट्स लगाए गए हैं और न ही क्वारेंटाइन कर रखे गए लोगों की गतिविधियों पर नज़र रखी जा रही है। उनके लिए बाहर से भोजन पहुँच रहा है, कोई आत्महत्या कर रहा है, कोई सर्पदंश से मौत के मुँह में जा रहा है। प्रदेश सरकार आख़िर नाममात्र के रह गए इन क्वारेंटाइन सेंटर्स की किन व्यवस्थाओं के लिए डींगें हाँक रही है? वहाँ मास्क तक उपलब्ध नहीं हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं हो रहा है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि ट्रेनों से जो प्रवासी मजदूर छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं, उन लोगों की पूरी जाँच तक नहीं की जा रही है। प्रदेश सरकार उनकी जाँच के प्रति संजीदगी नहीं दिखा रही है जबकि यह जाँच होना कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिहाज बेहद अनिवार्य है। जाँच नहीं होने के कारण बाहर से आ रहे लोगों को लेकर संक्रमण की आशंका से शहर-नगर-ग्राम के बाकी लोग दहशत में हैं।

श्री उपासने ने कहा कि सड़क मार्ग से पैदल चलकर आ रहे लोगों के हुजूम के प्रदेश से होकर अन्य प्रदेश जाने के दौरान न तो पूछताछ की जा रही है, न उनकी जाँच का कोई इंतज़ाम नहीं है और न ही प्रदेश सरकार व उसकी प्रशासनिक मशीनरी का उनकी इस बेरोक-टोक जारी आवाजाही पर कोई नियंत्रण है। कुल मिलाकर, प्रदेश सरकार के पास कोरोना संकट को लेकर न तो कोई सोच और समझ नज़र आ रही है, और न ही उसके पास इसे लेकर कोई रोडमैप है।

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