राहत की आस में बैठी जनता को जुमलों की तीसरी किस्त की सौगात

53 करोड पशुओं के टीकाकरण की चिंता तो है मोदी जी, 40 करोड़ गरीब, मजदूर, बेघर जनता के भूख, थकान और अभाव को कब महसूस करेंगे आप?

आज केवल कपड़ों का रंग बदला, हथेली पर चांद दिखाने वाली ठगी बिल्कुल वैसे ही जारी

जमाखोरों और बिचौलियों को संरक्षण देने के लिये आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर स्टॉक लिमिट खत्म करना उपभोक्ता विरोधी निर्णय, निंदनीय!

विज्ञापन से चुनी गई मोदी सरकार काल्पनिक ब्रांडिंग और मार्केटिंग से आगे कुछ सोच ही नहीं पा रही

रायपुर/15.05.2020। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पहले दिन आपने एम एस एम ई को बैंकों और आर्थिक संस्थानों के लोन पैकेज के नाम पर कर्ज को आपदा राहत घोषित किया, दूसरे पत्र वार्ता में विपत्तियों में फंसे गरीब, मजदूर, किसान रोजगार खो चुके युवा और संसाधन विहीन भटकते करोड़ों लोगों को भी केवल कर्ज के कुचक्र और जुमलों से ठगने का काम किया! आज पुनः आपने किसानों की बदहाली पर मजाक उड़ाने का काम किया! मोदी सरकार यदि किसानों का भला चाहती है, तो समर्थन मूल्य बढ़ाएं, 2014 के घोषणापत्र में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करने का वादा निभाए, कर्ज के कुचक्र में फंस कर आत्महत्या कर रहे किसानों का कर्ज माफ करें, यह बार-बार किसानों की आय दोगुना करने का तथ्यहिन और आधारहीन काल्पनिक सपने दिखाना बंद करे! हकीकत यह है कि किसान इतना बदहाल कभी नहीं रहा जितना मोदी राज में विगत 6 सालों में है! आपकी पूंजीवादी नीतियां श्रमिक विरोधी है, किसान विरोधी है! भाजपा शासित राज्यों में श्रम कानून में श्रमिक विरोधी संशोधन करने के बाद अब आप आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव करने का षड्यंत्र कर रहे हैं! कोचियों, जमाखोरों और बिचौलियों को संरक्षण देने के लिए अब मोदी सरकार स्टॉक लिमिट खत्म कर रही है! किसानों को सहायता के नाम पर आप जमाखोरों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं!
जो काम राज्य सरकार पहले ही कर रही हैं आपदा राहत के नाम पर उस बात का आप ढोल पीट रहे हैं! औषधि खेती के लिए पहले ही आयोग कार्यरत है हमारे छत्तीसगढ़ में तो लघु वानोपाजों और जड़ी बूटियों की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ ही ब्रांडिंग और मार्केटिंग “संजीवनी” के माध्यम से पूरा सिस्टम पहले से ही कार्यरत है! कश्मीर का केसर, केरल के मसाले छत्तीसगढ़ के धान और वनोपज आपके ब्रांडिंग की मोहताज नहीं, बड़ी हास्यास्पद है कि मोदी सरकार को ये बातें आपदा राहत के नाम पर आज सूझ रही है! 100% एफडीआई लागू करने वाली मोदी सरकार अब लोग में “लोकल से वोकल” का भ्रम फैला रहे हैं! सच यह है कि बिना तैयारी के अव्यवहारीक जीएसटी थोप जाने के कारण ना केवल स्थानीय व्यापार व्यवसाय, बल्कि निर्यात भी पूरी तरह से ठप हो गया है! बांग्लादेश को निर्यात होने वाले चावल में 70% से अधिक की गिरावट विगत 2 वर्षों में ही आई है!
53 करोड पशुओं को मुंहपका खुरपका रोगों से मुक्त करने टीकाकरण की मोदी सरकार को चिंता है, होनी भी चाहिए! पर वो 40 करोड़ गरीब, मजदूर, बेघर जनता जो पिछले 50 दिनों से सड़कों पर हैं, इनके भूख, थकान और अभाव कब महसूस होगा? सच यह है कि वर्चुअल दुनिया में जीने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता और विज्ञापन और ब्रांडिंग से चुनी हुई मोदी सरकार ने राहत के नाम पर केवल काल्पनिक योजनाएं परोसी है, तात्कालिक राहत कुछ भी नहीं मिल पाई।

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