रायपुर, राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने मध्यप्रदेश में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों की सूचना मिलने पर स्वयं सुध ली और उनके रहने-खाने और छत्तीसगढ़ आने का भी इंतजाम कराया। इस समय सारे मजदूर बिलासपुर जिले के ग्राम हरदी के एक स्कूल में क्वारेंटाइन में हैं। उन्होंने राज्यपाल को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी पहल से हमारा जीवन बचा, हम उनके सदैव आभारी रहेंगे।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के ग्राम हरदी निवासी श्री चन्द्रमणि सहित 25 लोग होशंगाबाद में निर्माण कार्य में मजदूर के रूप में होली के पूर्व से कार्यरत थे। अचानक कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने पर लॉकडाउन की घोषणा के बाद काम बंद हो गए, तो उन्होंने कुछ दिनों तक आसपास के मदद से खाने का इंतजाम किया, उसके बाद हालत बिगड़ने पर वहां से निकलने का निर्णय लिया और वहां से पैदल ही घर के लिए रवाना हो गए। होशंगाबाद से पैदल निकले बिलासपुर छत्तीसगढ़ के मजदूर शनिवार रात को छिंदवाड़ा पहुंचे और खजरी बायपास पर एक निर्माणाधीन भवन में ठहरे थे। मजदूरों का छिन्दवाड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता के माध्यम से राज्यपाल से संपर्क हुआ। उनकी पहल पर वहां के समाजसेवी संस्थाओं ने भी उनके लिए खाने-पीने का इंतजाम कराया। सुश्री उइके ने फोन पर संपर्क होते ही छिंदवाड़ा के जिला प्रशासन से संपर्क कर छिंदवाड़ा में ही रहने खाने-पीने का इंतजाम कराया और शासन को निर्देशित कर छत्तीसगढ़ आने का इंतजाम कराया।
राज्यपाल ने तुरंत ही छत्तीसगढ़ के श्रम विभाग के सचिव श्री सोनमणि बोरा को मजदूरों की मदद के लिए निर्देशित किया। इसके बाद श्रम सचिव श्री बोरा ने मध्यप्रदेश के श्रम विभाग के सचिव श्री केसरी से चर्चा की। इसके बाद श्री बोरा ने समन्वय कर मजदूरों के लिए छिंदवाड़ा में उपयुक्त इंतजाम कराया। छत्तीसगढ़ में पहुंचने के पश्चात् राज्य शासन द्वारा ग्राम हरदी में पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई।
मजदूरों के समूह के श्री चन्द्रमणि कर्माकर ने कहा- पिछले 45 दिनों से होशंगाबाद में फंसे हुए थे। छह दिन चलकर छिंदवाड़ा पहुंचे। उनके साथ 6 महिलाएं और 5 छोटे बच्चे भी शामिल थे। राज्यपाल की पहल पर हम लोगों को बहुत मदद मिली। राज्यपाल को उनकी संवेदनशीलता के लिए हम धन्यवाद देते हैं।