रायपुर, पशुधन विकास विभाग द्वारा प्रदेश में उन्नत नस्ल के बछड़े-बछिया के लिए कृत्रिम गर्भाधान हेतु पशु पालकों को प्रोत्साहित किया जाता रहा है। कृषि कल्याण अभियान के अंतर्गत पशुओं के नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत जशपुर जिला आकांक्षी जिलों के रूप में शामिल किया गया है। पशु नस्ल सुधार हेतु 300 गांवों का चयन कर उन्हें सेक्टरों में विभाजित किया गया है। सभी सेक्टरों में कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता, सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्राधिकारी एवं निजी कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई गई है।
जशपुर जिले के उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं ने बताया कि पशुओं के नस्ल सुधार में कृत्रिम गर्भाधान अहम है। कृत्रिम गर्भाधान पूरी तरह से सुरक्षित होता है, इसके जरिए उन्नत नस्ल के बछड़े-बछिया प्राप्त होते हैं। इससे गायों को किसी भी तरह की हानि नहीं होती है। इसलिए राज्य सरकार द्वारा कृत्रिम गर्भाधान पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत जिले में 300 गांवों का चयन पशु नस्ल सुधार हेतु किया गया है। इन गांवों को 100 सेक्टरों में विभाजित कर कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। प्रत्येक सेक्टर में कम से कम 200 गायों का कृत्रिम गर्भाधान किए जाने का लक्ष्य है। सभी सेक्टरों में 500 से ज्यादा ब्रीडेबल गाय उपलब्ध हैं। कृत्रिम गर्भाधान वाली बछिया, गाय के रूप में अधिक दूध देती है एवं बछड़ा कृषि कार्य के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है। कृत्रिम गर्भाधान से जन्म लेने वाले बछड़े-बछिया शारीरिक रूप से तंदुरूस्त होते हैं।