वैशाख मास की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है| कहते है इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी| शांति की खोज में कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ घर-परिवार, राजपाट आदि छोड़कर चले गए थे| भ्रमण करते हुए सिद्धार्थ काशी के समीप सारनाथ पहुंचे जहाँ उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचें कठोर तप किया| कठोर तपस्या के बाद सिद्धार्थ को बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह महान सन्यासी गौतम बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए.
बैशाख पूर्णिमा को श्रद्धालु गंगा स्नान करके दान पुण्य भी करते हैं। इसलिए इसे बैशाख स्नान का दिन भी कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि इसदिन गंगा स्नान करने से कुंभ में स्नान दान करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। रामचरित मानस में कहा गया है कि कलियुग में दान और प्रभु का नाम ही मुक्ति का आधार है। यही कारण है कि सभी पुण्य तिथियों सहित बैशाख पूर्णिमा को भी दान और विष्णुसहस्रनाम पाठ करना बहुत ही पुण्यदायी माना गया है।