विशेष लेख, न्याय के चार वर्ष: खनन प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच रही विकास की नई रोशनी

                                                                       *आलेख-जी.एस.केशरवानी, ए.पी.एस. सोलंकी* 

      खनिज राजस्व से प्रदेश के खनन प्रभावित अंचलों में विकास की नई रोशनी पहंुच रही है। इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं, अधोसंरचना के विकास  कार्यों के साथ-साथ  लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के कार्य हो रहे हैं। लोगों को पहले छोटी-छोटी समस्याओं के लिए राजधानी की ओर देखना पड़ता था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इन क्षेत्रों में डीएमएफ की राशि के व्यय करने की प्रक्रिया को और अधिक लोकतांत्रिक बनाते हुए, इसके लिए गवर्निंग बाडी में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ प्रभावित क्षेत्र के लोगों, महिलाओं की भागीदारी तय की है, इससे लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के कार्य आसानी से हो रहे हैं। 
     छत्तीसगढ़ को प्रकृति के वरदान के रुप में मिली खनिज सम्पदा की भागीदारी राज्य के विकास में लगातार बढ़ती जा रही है। नये खनिज भण्डारों की खोज, नये क्षेत्रों में खनन प्रारंभ होने, बेहतर प्रबंधन से राज्य को मिलने वाले खनिज राजस्व में जबरदस्त वृद्धि हुई है। राज्य का लगभग 27 प्रतिशत राजस्व खनिजों के दोहन और खनिज राजस्व से प्राप्त हो रहा है। खनिजों की रायल्टी सें मिलने वाली राशि में से 10 से 30 प्रतिशत राशि डीएमएफ में जमा होती है। इस मद का उपयोग खनिजधारित  और आदिवासी अंचलों में लोगों के जीवन स्तर में वृद्धि के लिए किया जा रहा है। पिछले 4 वर्षों में राज्य को मिलने वाला खनिज राजस्व 6000 करोड़ रुपए से बढ़कर 12 हजार 305 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। खनिज प्रशासन को सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से पारदर्शी बनाया गया है। खनिजपट्टों की आनलाइन स्वीकृति, ई-नीलामी जैसे कार्यो के लिए छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया गया है। 
        प्रदेश में खनिज आधारित उद्योगों के विस्तार से रोजगार के अवसर बढ़े हैं, वहीं सामाजिक -आर्थिक विकास की गतिविधयों में तेजी आयी हैै। राज्य के सुपोषण अभियान, नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना, हाट बाजार और स्लम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने, गौठानों के विकास और स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के संचालन में डीएमएफ फंड के माध्यम से खनिजों की रायल्टी से मिलने वाली अंशदान की राशि की महत्वपूर्ण भूमिका है। डीएमएफ मद का उपयोग खनिज प्रभावित क्षेत्रों के विकास और आजीविका के साधनों के विकास में किया जा रहा है। अपनी खनिज संपदा के बल पर छत्तीसगढ़ देश के विकास में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। राज्य में पंचायत प्रणाली को मजबूती देने के लिए अनुसूचित क्षेत्रों में रेत की खदानों का संचालन का अधिकार पंचायतों को दिया गया है। इसी प्रकार पंचायतों ओर नगरीय निकायों को पिछले 4 वर्षों में गौण खनिजों से प्राप्त राजस्व में से लगभग 434 करोड़ रूपए की राशि उपलब्ध करायी गई है।
     खानिज धारित क्षेत्रों के लोगों को जिला खनिज न्यास की गवर्निंग बाडी में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ प्रभावित क्षेत्र के लोगों और महिलाओं की भागीदारी तय की गई है। नवीन प्रावधानों के अनुसार खनिज न्यास निधि के माध्यम से संसाधनों पर स्थानीय लोगों के अधिकार को सुनिश्चित करने के साथ शासी निकाय को लोकतांत्रिक बनाया गया है। डीएमएफ मद में प्राप्त राशि का न्यूनतम 50 प्रतिशत राशि प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों में व्यय करने का प्रावधान किया गया है। इस राशि से प्रभावित क्षेत्रों में कृृषि, लघु वनोपज, वनौषधि प्रसंस्करण, कृृषि की उन्नत तकनीकों के प्रयोग संबंधी कार्य, गौठान विकास से संबंधित कार्य, खनन प्रभावित क्षेत्र के वन अधिकार पट््टाधारकों के जीवन स्तर में सुधार एवं जीविकोपार्जन के उपाय किए जा रहे हैं। 
   नए प्रावधानों के अनुसार ज्वार, बाजरा, मक्का, कोदो कुटकी एवं दलहन-तिलहन के उत्पादन, इन फसलों का रकबा बढ़ाने के उपाय, जैविक कृषि को प्रोत्साहन, फलदार वृृक्षों का रोपण का प्रावधान किया गया है। इस राशि से शिक्षा सेक्टर अंतर्गत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों के परिवार के सदस्यों की शिक्षा तथा सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग क्लासेस, आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था, आत्मानंद इग्लिश मिडियम स्कूल के संचालन से संबंधित कार्यों का प्रावधान किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय के जीवन स्तर में सुधार हेतु सतत जीविकोपार्जन, सार्वजनिक परिवहन, सांस्कृृतिक मूल्यों के संरक्षण, मूलभूत सुविधाएं एवं युवा गतिविधियों को बढ़ावा जैसे संबंधित नए सेक्टर शामिल किए गए हैं। ऑनलाईन स्वीकृृति एवं भुगतान हेतु डीएमएफ पोर्टल का निर्माण एवं संचालन किया जा रहा है। जीआईएस टैंगिंग, मोबाईल एप एवं स्वीकृति, भुगतान संबंधी राइडर युक्त क्लाउड आधारित पोर्टल के नवीन वर्जन का कार्य अंतिम चरण पर है, इन प्रावधानों को करने वाला छत्तीसगढ़ देश का प्रथम राज्य है।
    डीएमएफ मद से अक्टूबर 2022 की स्थिति में राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना में 233.89 करोड़, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना में 19.16 करोड़, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना में 195.35 करोड़, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना में 0ण्63करोड़, मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना में 1.38 करोड़, स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना में 196.80 करोड़, गौठान विकास के लिए 170.14 करोड़ रूपए की राशि व्यय की गई है।
       डीएमएफ में मुख्य खनिज एवं गौण खनिज के खनिपट्टों, पूर्वेक्षण सह खनिपट्टों से राज्य शासन को प्राप्त रायल्टी की 10 से 30 प्रतिशत राशि जमा हो रही है। राज्य में बढ़ती खनिज क्षेत्र की गतिविधियों से डीएमएफ मद में प्राप्त होने वाली राशि में लगभग दो गुनी वृद्धि हुुई है। पूर्व में डीएमएफ मद में औसत वार्षिक प्राप्ति 1200 करोड़ रुपए थी, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 2199 करोड़ रूपये हो गई है। वर्ष 2022-23 में इस मद में 2400 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है। न्यास में अब तक 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि प्राप्त हो चुकी है।

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