रायपुर, /कोरोना संक्रमण के कारण जारी लाॅक डाउन में कोरबा में रह रहे प्रवासी श्रमिकों को यहीं काम देने की तैयारी की जा रही है। यहां ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों को मिलाकर दस राहत शिविर संचालित किये जा रहे हैं, जिनमें राजस्थान, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के 141 प्रवासी श्रमिकों को रखा गया है। जिला प्रशासन ने ऐसे सभी प्रवासी श्रमिकों की कार्य कुशलता और अनुभव की जानकारी मांगी है। कलेक्टर ने आज वीडियो कांफे्रंसिंग के माध्यम से जिले में कोरोना संक्रमण से बने हालातों में शासकीय कार्यों के साथ-साथ प्रभावितों के लिए किये गये इंतजाम और सुविधाओं की भी जानकारी ली। राहत शिविरों में इन सभी प्रवासी श्रमिकों के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं शासन द्वारा सुनिश्चित की जा रही है। भोजन, मेडिकल जांच के साथ-साथ उनके मनोरंजन की भी व्यवस्था इन शिविरों में की गई है।
कलेक्टर ने लाॅक डाउन अवधि में रूके अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिकों की कार्य कुशलता और अनुभव के आधार पर उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने की कार्ययोजना तैयार कर उन्हें इसका लाभ सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। इसका उद्देश्य श्रमिकों को उनकी दक्षता के आधार पर काम उपलब्ध कराकर उन्हें आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाना और उनकी दक्षता, कार्यक्षमता का सदुपयोग करना है।
वीडियो कंाफ्रेंसिंग में जानकारी मिली कि कुछ श्रमिक कुशल ड्राईवर हैं, कुछ रसोईया है तो कुछ ट्रेक्टर चलाने के काम में दक्ष है। कलेक्टर ने वीडियो कांफे्रसिंग में निर्देशित किया कि प्रवासी श्रमिकों को उनकी दक्षता के आधार पर आसपास के क्षेत्रों में काम दिलाया जाए। स्थानीय स्तर पर जरूरतों के हिसाब से वाहन चलाने में दक्ष श्रमिकों की सेवाएं ली जाए। रसोईयों को राहत शिविरों में ही खाना बनाने के काम पर लगाया जाए। ट्रेक्टर चलाकर भूमि समतलीकरण के काम में दक्ष लोगों को भी गांव-गांव में कार्य उपलब्ध कराया जा सकता है। सिविल वर्क के कार्य अनुभव वाले श्रमिकों को भी सिविल काम से जोड़ा जा सकता है। कारपेंटर, पंप मैकेनिक, फीटर जैसा काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों को भी काम उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे इन प्रवासी श्रमिकों के समय को सदुपयोग होने के साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाया जा सकेगा।