रूर्बन मिशन बंद होना दुर्भाग्यपूर्ण- देवेन्द्र तिवारी


बैकुण्ठपुर – वर्ष 2016 में सोनहत के लिए स्वीकृत डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन आज राजनीति की भेंट चढ़ गया। करोड़ों रुपये सिर्फ निर्माण कार्यों में खींचतान की वजह से जिले से वापस जाना सोनहत व कोरिया जिले के 45 गांवों के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
पूर्व जिपं सदस्य देवेन्द्र तिवारी ने बताया कि मेरे कार्यकाल में जिला प्रशासन के सहयोग से मेरी ही मांग एवं तत्कालीन सांसद डॉ बंशीलाल महतो के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने इस विशेष प्रोजेक्ट हेतु सोनहत विकासखंड का चयन किया था। तत्कालीन प्रभारी मंत्री अमर अग्रवाल जी की विशेष पहल पर सोनहत के 20 ग्राम पंचायतों के 45 राजस्व गांवों के विकास की योजना बनाई गई थी।सोनहत में इस प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए पूर्व विधायक चंपा देवी पावले की भी सहमति मिली थी। उस समय केंद्र ने 110 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट सोनहत विकासखंड के शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना, पेयजल, कृषि, सिंचाई,सौर ऊर्जा, हितग्राही मूलक कार्यों,रोजगार उपलब्धता सहित समग्र ग्रामीण विकास के लिए क्रांतिकारी योजना की मंजूरी दी थी। सरगुजा संभाग में सोनहत विकासखंड का इस हेतु चयन होना हम सबके लिए बड़ी उपलब्धि थी। इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद हमने दूसरे चरण में बैकुंठपुर के पटना कुड़ेली क्षेत्र का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा था किंतु इस सरकार में राजनीतिक खींचतान और निर्माण कार्यों में नियमों को दरकिनार कर स्वीकृत कराने के दबाव की वजह से लगभग कई करोड़ रुपये जिले को आवंटित नहीं हो पाए। श्री तिवारी ने कहा कि 2016-17 से 2022 तक सोनहत में ज्यादातर निर्माण कार्य रूर्बन मिशन के माध्यम से स्वीकृत हुए हैं। जो केंद्र के मोदी सरकार की विशेष योजना है। उन्हें इस महत्वपूर्ण योजना के बंद होने का समाचार मिलने पर दुख हो रहा है क्योंकि अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क कर उन्होंने इस प्रोजेक्ट को तैयार कराया था।

अगले चरण में रूर्बन क्लस्टर होता बैकुंठपुर में– पूर्व जिपं सदस्य देवेन्द्र तिवारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को सोनहत में 2020 ही पूर्ण हो जाना था ,किन्तु 2022 में भी स्वीकृत राशि का सोनहत विकासखंड में उपयोग नहीं हो पाया।
2020 में हमने बैकुंठपुर विकासखंड के लगभग 25 ग्राम पंचायतों को रूर्बन योजना से जोड़ने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को दिया था। उम्मीद थी कि जैसे सोनहत में सड़कों, नहरों, स्मार्ट क्लासेस,हाई मास्क लाइट, सहित अन्य अधोसंरचना के कार्य बृहद स्तर पर हुए हैं, बैकुंठपुर के कई ग्राम पंचायतों के लिए होते किन्तु कांग्रेस सरकार की उदासीनता की वजह से यह बड़ा प्रोजेक्ट दिसम्बर माह से बंद होने जा रहा है। स्वीकृत राशि का भी वापस होना यहां के जनप्रतिनिधियों की बड़ी नाकामी है, जिसके लिए आम जनता इन्हें कभी माफ नहीं करेगी।

 *क्या है रूर्बन मिशन?*  केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना से गांवों का कायाकल्प होना था। चयनित गांवों में शहरों जैसे सीसी सड़के, नालियां, स्ट्रीट लाइट, खेलमैदान, पेयजल आपूर्ति,स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, स्मार्ट क्लासेस की सुविधाएं विस्तार की कार्ययोजना बनाई गई थी।

इस क्लस्टर से कृषकों एवं जनजातीय समुदाय को कृषि एवं रोजगार से जोड़ने एवं प्रोत्साहन हेतु भी बजट का प्रावधान था। इसी कारण सोनहत में ऐसे कई प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे किंतु 2018 के बाद से यह योजना राजनीति की भेंट चढ़ने लगी। सिर्फ सोनहत में ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में इस योजना में निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं किया गया। इसी वजह से माह दिसम्बर में यह योजना बंद हो जाएगी।इस मिशन में राज्य सरकार की अरुचि ने छत्तीसगढ़ का बड़ा नुकसान किया है। लगभग 27 हजार करोड़ केंद्र द्वारा छत्तीसगढ़ के लिए मंजूर किये गए हैं किंतु राज्य सरकार ने ग्रामों के विकास में इस बड़ी योजना का सही ढंग से विकास पर कार्य नहीं किया। आज यह योजना बंद होने के कगार में है।

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