उत्तर बस्तर कांकेर :लॉकडाउन के कारण जहां ग्रामीणों के आय के सभी साधन बन्द हो गये है, वहीं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्य शुरू होने से ग्रामीण मजदूरों को राहत मिली है तथा उनकी अर्थव्यवस्था एवं जिन्दगी पटरी पर लौटी है। जिले में लॉकडाउन में ढील होने के बाद से मनरेगा के कार्यो में तेजी आई है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यों में सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जा रहा है तथा मास्क का उपयोग किया जा रहा है।
कांकेर जिले के 357 ग्राम पंचायतों के 454 ग्रामों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्य संचालित हो रहे है, जिसमें 43 हजार 299 मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। इस योजना अंतर्गत कांकेर विकासखण्ड में 5 हजार 789, चारामा में 8 हजार 142, नरहरपुर में 7 हजार 472, भानुप्रतापपुर में 7 हजार 955, दुर्गूकोंदल में 4 हजार 906, अन्तागढ़ में 3 हजार 508 और कायेलीबेड़ा विकासखण्ड में 5 हजार 527 मजदूरों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। मनरेगा के कार्यों में मजदूरी दर 176 रूपये से बढ़कर 190 रूपये होने से ग्रामीण मजदूरों का उत्साह भी बढ़ा है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. संजय कन्नौजे ने बताया कि पिछले वर्ष 2019-20 में अपै्रल माह में जहॉ 26 हजार मजदूर कार्यरत थे, वहीं इस वर्ष लॉकडाउन होने के बावजूद 43 हजार 299 मजदूर कार्यरत हैं। ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों द्वारा काम की मांग लगातार आ रहा है, जिससे मजदूरों की संख्या बढ़ता जा रहा है। जिले में मनरेगा के तहत् वर्तमान में जल संरक्षण, जल संर्वधन, गौठान एवं चारागाह, नरूवा, व्यक्तिगत डबरी निर्माण, तालाब गहरीकरण, नये तालाबों का निर्माण, कुंआ निर्माण आदि कार्यों को प्र्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किये जा रहे हैं।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा मनरेगा के कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है, उनके द्वारा वीडियो कान्फ्रेस के माध्यम से सभी जनपद सीईओ, पीओ मनरेगा व तकनीकी सहायकों को निर्देशित किया गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्यां में मजदूरी का भुगतान समय पर किया जाये। उन्होंने सभी जनपद सीईओ से कहा है कि सभी पंचायतों में मनरेगा के तहत् पर्याप्त कार्य स्वीकृत किए जायें ताकि लोगों को रोजगार मिलता रहे।
जिले में जहां बैंक, पोस्ट आफिस के माध्यम से मनरेगा के मजदूरी भुगतान किया जा रहा है, वहीं स्वसहायता समूह की 60 बीसी सखियों के द्वारा भी मनरेगा मजदूरी का भुगतान किये जाने से लोगों को राहत व सुविधा मिल रहा है। मनरेगा के कार्य शुरू से ग्रामीण परिवारों की अर्थव्यवस्था व जिन्दगी पटरी पर लौट आई है, जिससे ग्रामीण परिवारों के घर चलने लगे हैं। इस प्रकार लॉकडाउन में मनरेगा के कार्य ग्रामीण मजदूरों के लिये संजीविनी का कार्य कर रही है।