तेन्दूपत्ता संग्राहकों को मिलेगा 650 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक
नरवा कार्यक्रम के तहत 160 करोड़ के कार्य प्रारंभ
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कैम्पा मद से 300 करोड़ रूपए खर्च करने
भारत सरकार से अनुमति के संबंध में भेजा गया प्रस्ताव
राज्य सरकार द्वारा महुआ फूल को अब 30 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदने का लिया गया अहम निर्णय
रायपुर, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कोरोना संकट के दौरान लॉक डाउन में जीवन और जीवकोपार्जन में संतुलन को ध्यान में रखते हुए वन विभाग द्वारा विशेष तैयारी की जा रही है। वनांचल क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए कई क्षेत्रों में काम शुरू किया गया है। वनमंत्री ने बताया कि वन क्षेत्रों में लोगों को रोजगार दिलाने के लिए तेन्दूपत्ता संग्रहण की तैयारी पूर्ण कर ली गई है। राज्य में 13 लाख तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को लगभग 650 करोड़ रूपए की राशि संग्रहण के लिए भुगतान की जाएगी। श्री अकबर आज यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने लॉकडाउन की अवधि में प्रदेश में लोगों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाव तथा राहत पहंुचाने के लिए विभाग द्वारा लिए गए कई अहम फैसलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
श्री अकबर ने कहा कि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए संचालित की जा रही महत्वाकांक्षी योजना सुराजी गांव योजना के अंतर्गत प्रदेश के वन क्षेत्रों में 7 हजार 887 संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से 324 ग्रामों में आवर्ती चराई योजना के तहत गौठान का निर्माण कराया जा रहा है। इन कार्यो में अब तक 8 हजार से अधिक ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है। इसीप्रकार वनांचल क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा और भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए जल संरक्षण और संवर्धन कार्य भी शुरू किए गए हैं। नदी नालों को उपचारित करने के लिए एक हजार 142 स्टापडेम चेकडेम आदि संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इन कार्यों में लगभग 8 हजार जरूरतमंदों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। इन पर 160 करोड़ रूप्ए की राशि व्यय की जाएगी। उन्होंने बताया कि कैम्पा मद में नालों के निर्माण कार्यो का जियो टेगिंग किया जा रहा है। वनों की सुरक्षा के लिए वर्तमान में 59 वनपरिक्षेत्र अधिकारियों और 300 गार्डो की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
श्री अकबर ने चर्चा में बताया कि छत्तीसगढ़ प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन तथा योजना प्राधिकरण (कैम्पा) की जमा मद योजना के अंतर्गत 300 करोड़ रूपए की राशि कोविड-19 से निपटने व्यय के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजे जाने की भी जानकारी दी। केन्द्र से अनुमति मिलने के पश्चात राशि का उपयोग वनांचल में ग्रामीणों के स्क्रीनिंग टेस्ट, पी.पी.ई. किट, क्वारेंटाईन तथा आईसोलेशन आदि में किया जाएगा। एक प्रश्न के उत्तर में वन मंत्री ने बताया कि राज्य में अभी 23 लघु वनोपजों की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इसमें महुआ फूल की खरीदी 17 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर की जा रही थी, जिसे बढ़ाकर राज्य सरकार द्वारा लघु वनोपजों के संग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए 30 रूपए प्रति किलोग्राम कर दिया गया है। किसी व्यवसायी द्वारा इन लघु वनोपजों के निर्धारित समर्थन मूल्य से अधिक के दर पर खरीदी की जाने पर संग्राहकों को उनके स्वैच्छा से बिक्री करने के लिए छूट भी प्रदान कर दी गई है। इस तरह संग्राहक अपने वनोपज को अधिक दर पर विक्रय करने के लिए स्वतंत्र है।
वन मंत्री श्री अकबर ने बताया कि राज्य में इस वर्ष बरसात में लगभग 7 करोड़ पौधे के रोपण का लक्ष्य रखा गया है, इसमें अभी पौधे तैयार करने में 13 हजार 120 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। वन समितियों के माध्यम से वनवासियों की आमदनी बढ़ाने के लिए आर्थिक गतिविधयों का संचालन किया जा रहा है। नौ हजार 300 लोग धान तथा मशरूम की खेती, देशी मुर्गी पालन, तालाब गहरीकरण, वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण, ट्री-गार्ड तथा साबुन व आचार आदि के निर्माण जुटे हुए हैं। इसी तरह वन समिति के सदस्यों तथा महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा 50 लाख मास्क का निर्माण तीव्र गति से किया जा रहा है। वनों में अग्नि सुरक्षा कार्यो के जरिए वर्तमान में 6 हजार 700 लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। वनांचल में पेयजल सुविधाओं के लिए 4 हजार 133 बोर खनन का कार्य किया जा रहा है।
वन मंत्री श्री अकबर ने बताया कि माल परिवहन करने वाले ट्रक आदि वाहनों की मरम्मत के गैरेज तथा राजमार्गो पर ढाबें संचालित करने की अनुमति दी गई है। उन्होंने प्रदेश में बस-ट्रक मालिकों के हित को ध्यान में रखते हुए लगभग 331 करोड़ रूपए की बकाया टेक्स, ब्याज अथवा पेनाल्टी की माफ करने का अहम निर्णय भी लिया गया है। वाहनों की फिटनेस, परमिट, ड्रायविंग लाईसेंस, रजिस्ट्रेशन तथा अन्य दस्तावेजों की वैधता को 30 जून 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। वर्तमान में प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक नगरों भिलाई, रायपुर, रायगढ़, बिलासपुर तथा कोरबा में पर्यावरण संरक्षण की स्थिति बेहतर है। इन नगरों में कोरबा को छोड़कर अन्य नगरों में एयर क्वालिटी इनडेक्स 50 प्रतिशत से कम है, जो कि अच्छा माना जाता है। इस अवसर पर वन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी, प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री संजय शुक्ला सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।