रायपुर, 15 जून 2022 : छत्तीसगढ़ सरकार के विकास, विश्वास और सुरक्षा के मूलमंत्र के चलते बस्तर अंचल के वातावरण में तेजी से सकारात्मक बदलाव दिखाई देने लगा है। नक्सल प्रभावित चार जिलों में समुदाय की आकांक्षा के अनुरूप राज्य शासन द्वारा 260 स्कूलों को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। जिला बीजापुर में 158, सुकमा में 97, नारायणपुर में 4 और दंतेवाड़ा में एक स्कूल को फिर से खोला जा रहा है। इन स्कूलों से 11 हजार 13 विद्यार्थियों को शिक्षा सुलभ होगी। राज्य स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव के अवसर पर 16 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा इन स्कूलों को फिर से खोले जाने की घोषणा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि लगभग 15 वर्ष पूर्व नक्सल इलाकों में 400 से अधिक स्कूलों को विभिन्न कारणों से बंद कर दिया गया था। भीतरी इलाकों में रहने वाले परिवारों को सलवा जुडूम के चलते कैम्प में रहने की सुविधा देकर सुरक्षित स्थानों में रखने का प्रयास किया गया। धीरे-धीरे ये परिवार कैम्पों से वापस अपने गांव लौटने लगे। इनके बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था स्कूलों के नष्ट हो जाने की वजह से नहीं हो पा रही थी। कुछ सुरक्षित इलाकों में शासन द्वारा पोटा केबिन खोलकर ऐसे इलाकों के बच्चों को शांत स्थलों में सड़क किनारे आवासीय सुविधा देकर पढ़ाने में सहयोग दिया गया।
धीरे-धीरे स्थिति के सामान्य होने पर स्थानीय स्तर पर समुदाय द्वारा उनके गांवों में स्कूलों को पुनः संचालित करने की मांग सामने आने लगी। ऐसे स्थिति में जिन इलाकों में समुदाय से मांग आने लगी और बहुत से स्कूलों से बाह्य बच्चों की उपलब्धता मिली, वहां समुदाय के सहयोग से स्थानीय स्तर पर कच्चे स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से स्कूल भवन निर्मित किए गए या उपलब्ध कराए गए। जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय खनिज मद से स्थानीय युवाओं को शिक्षादूत के रूप में बच्चों को सीखने में सहयोग देने की जिम्मेदारी दी गई। इस तरह से स्कूलों को ऐसे इलाकों में प्रारंभ करने का प्रयास किए गए।
वर्तमान में शासन द्वारा इस दिशा में संवेदनशीलता दिखाते हुए 16 जून को पूरे प्रदेश में स्कूल खुल रहे हैं और बच्चों को दर्ज करने एवं नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने प्रवेश उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसी कार्यक्रम में नक्सल प्रभावित इन चार जिलों-नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर एवं सुकमा में 260 बंद पड़े स्कूलों को पुनः प्रारंभ करने का फैसला लिया है। जिसे विषम परिस्थितियों में भी इन क्षेत्रों में बच्चों का सीखना जारी रखने में सहयोग कर रहे शिक्षादूतों की सेवाएं आगे जारी रखी जाएंगी।
इन 260 स्कूलों में सफल संचालन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं जैसे – बच्चों को दर्ज करना, पोटा केबिन या कहीं और पढ़ रहे बच्चों को अपने परिवार के साथ रहकर करने इन स्कूलों में प्रवेश दिलवाना, इन स्कूलों में शिक्षादूतों के साथ-साथ शिक्षकों की व्यवस्था, सीखने-सीखाने के लिए सभी अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं करते हुए बच्चों को गुणवत्ता परक शिक्षा देने के सभी प्रयास किए जाएंगे।