भोपाल
राज्य सरकार आबकारी नीति में बदलाव कर अंगूरी शराब के निर्माण और अंगूर उत्पादन को बढ़ावा देने का काम भी अगले वित्त वर्ष से करने जा रही है। इसके लिए अंगूर से शराब बनाने वाले ठेकेदारों को प्रदेश के 15 पर्यटन स्थलों में दुकान खोलने की अनुमति देने का काम किया जाएगा। आबकारी नीति पर चर्चा के लिए एसीएस आज डिप्टी कमिश्नरों के साथ बैठक करने वाले हैं और कल कलेक्टरों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर नीति क्रियान्वयन पर बात करेंगे।
प्रदेश के अंगूर उत्पादन का काम रतलाम, मंदसौर जिलों में किया जाता है। इन इलाकों में किसान और व्यापारी अंगूर से शराब बनाते हैं जिसको लेकर आबकारी विभाग के पास सुझाव आए थे कि इन्हें शराब बनाने और बेचने की अनुमति दी जाए। इसे देखते हुए वाणिज्यिक कर विभाग ने अंगूर उत्पादक किसानों की आय में वृद्धि और अंगूर की खेती को बढ़ावा देने का फैसला आबकारी नीति में किया है। नीति में यह प्रावधान है कि दस हजार रुपए की वार्षिक फीस चुकाकर प्रदेश के 15 पर्यटन स्थलों पर अंगूर से शराब बनाने वालों को बिक्री के लिए अनुमति दी जाएगी।
नई आबकारी नीति के क्रियान्वयन के लिए अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी कल सभी कलेक्टरों और जिला आबकारी अधिकारियों, सहायक आयुक्त आबकारी से बात करेंगे और अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की जानकारी देंगे। आबकारी आयुक्त राजेश बहुगुणा भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे। एसीएस केशरी आज डिप्टी कमिश्नरों के साथ आबकारी नीति पर बैठक करने वाले हैं।
सरकार ने तय किया है कि राजस्व बढ़ाने के लिए 2544 देशी मदिरा दुकानों और 1061 विदेशी मदिरा दुकानों की नीलामी 25 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। यह व्यवस्था 36 जिलों में शराब दुकानों पर लागू होगी। दुकानों का निष्पादन ई-टेंडर सह-नीलामी प्रक्रिया से होगा। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में दुकानों के 2-2 समूह बनेंगे। इन समूहों में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की देशी-विदेशी मदिरा की दुकानें शामिल होंगी। शेष 12 नगर निगम वाले जिलों में दुकानों का एक समूह बनाया जाकर निष्पादन की कार्यवाही ई-टेंडर सह-नीलामी प्रक्रिया से होगी।