प्रदेश के 3.93 लाख किसानों को 533 करोड़ रूपए फसल बीमा दावा भुगतान

सिंचाई परियोजना में सृजित होंगे 26.86 लाख मानव कार्य दिवस

लाॅकडाउन के दौरान 19.87 लाख किसानों को 397.47 करोड़ रूपए भुगतान का प्रस्ताव

मनरेगा के माध्यम से 9,997 बाड़ी का विकास

रायपुर, राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत खरीफ वर्ष 2019 में 3 लाख 93 हजार 763 किसानों को 533 करोड़ 9 लाख रूपए फसल बीमा का दावा भुगतान की राशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त दावा की राशि लगभग 101 करोड़ रूपए किसानों को भुगतान करने की कार्यवाही की जा रही है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ वर्ष 2019 में 15 लाख 52 हजार किसानों का कुल 8,142.18 करोड़ रूपए का बीमा किया गया है। जिसके लिए 1139.75 करोड़ रूपए प्रीमियम राशि का भुगतान बीमा कम्पनी को किया गया है। जिसमें किसानों का अंशदान 162.84 करोड़ भी शामिल है।
राज्य में मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत खरीफ वर्ष 2019 में 11 हजार 475 किसानों द्वारा उद्यानिकी फसल का बीमा कराया गया था। जिसमें से 7 हजार 668 किसानों को 12 करोड़ 38 लाख रूपए का दावा भुगतान किया जा चुका है एवं 2 हजार 593 किसानों को फसल बीमा दावा की राशि एक करोड़ 85 लाख रूपए की भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत वाटरशेड संबंधित कार्याें में लगभग 24 लाख 86 हजार मानव दिवस एवं लघुत्तम सिंचाई तालाब एवं चेकडेम निर्माण में 2 लाख मानव कार्य दिवस सृजित किए जाएंगे।
राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लाॅकडाउन के बाद 19 लाख 87 हजार किसानों को 397.47 करोड़ रूपए प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत भुगतान के लिए भारत सरकार को आनलाईन प्रस्ताव भेजा गया है। भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के तहत भुगतान की कार्यवाही किस्तों में की जा रही है।
राज्य शासन के बीज निगम द्वारा बीज उत्पादक किसानों को 5 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा रहा है। शेष राशि 20 करोड़ रूपए की भुगतान की कार्यवाही जारी है। राज्य में सुराजी गांव के बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत 2019-20 में मनरेगा के तहत 9 हजार 997 बाड़ी स्वीकृत किया गया है। राज्य पोषित बाड़ी विकाय योजना के तहत उद्यानिकी विभाग को वित्तीय वर्ष 2019-20 में 10 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। जिसका उपयोग खरीफ 2020 में बाड़ी विकास के लिए किया जाएगा।

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