बंजर भूमि को तकनीकि ज्ञान से सफल खेती कर महिलाओं ने बनाया पालनहार
सूरजपुर कलेक्टर श्री दीपक सोनी के निर्देशन में राज्य शासन की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरुवा एवं बाड़ी (एनजीजीबी) के अंतर्गत प्रथम चरण में 11 आदर्श गौठानों समेत कुल 86 गौठानों की स्थापना की गयी है। इसी क्रम में नरवा, गरुवा, घुरुवा एवं बाड़ी (एनजीजीबी) के बाड़ी अवयव की कार्यवाही उद्यान विभाग की देखरेख में की जा रही है। सूरजपुर के आदर्श गौठानों में बाड़ी विकास के कार्य से महिलाओं को जोड़कर उन्हें स्वरोजगार की मुख्य धारा में संलग्न किया गया है, वहीं ग्राम पंचायत में स्कूल तथा आंगनबाडि़यों में इन्हीं बाडि़यों से सब्जियॉ उपलब्ध कराई जा रही है जिससे सुपोषित सूरजपुर के सपने को सफल होते देखा जा सकता है। महिलाएॅ आज आत्मनिर्भर होकर पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं और ग्रामीण विकास हेतु अपना योगदान भी साझा कर रही हैं, इस बदलाव से ग्रामीण ढांचे में असामान्य बदलाव देखा जा सकता है, जहॉ महिला विकास और बच्चों के स्वास्थ्य का पूर्ण ध्यान रखा गया है वहॉ विकास की धारा सतत् प्रवाहमान दिखाई पड़ती है।
कलेक्टर श्री दीपक सोनी के द्वारा बाड़ी विकास हेतु महिला संगठनों एवं समूहों पर विश्वास जताते हुए उन्हें प्राथमिकता देने के निर्देश दिये जिससे प्रशासन की पहल तथा गौठान प्रबंधन समितियों के प्रयासों से आदर्श गौठानों में आदर्श बाडि़यों का निर्माण कराया गया है। इन बाडि़यों का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ, सुपोषित, पीड़कनाशी रहित फल-सब्जियों का उत्पादन कर अन्य कृषकों हेतु उदाहरण प्रस्तुत करना और सबसे अग्रणी उद्देश्य महिला समूहों को वर्ष भर रोजगार प्रदान करना साथ ही स्कूली बच्चों को वर्ष भर मध्यान्ह भोजन हेतु हरे साग-भाजी व पोषण युक्त फलाहार की व्यवस्था करना है। गौरतलब है कि बाडि़यों हेतु चयनित भूमि सालों से बंजर पड़ी थी, लेकिन जिले के गौठान प्रबंधन समितियों की महिलाओं ने प्रशासन के सहयोग से सही उर्वरक और मृदा परीक्षण के माध्यम से मेहनतकश संकल्प के कारण आज यहाँ की भूमियाँ पालनहार हो गयी हैं। गौठान प्रबंधन समितियों के द्वारा बताया गया कि ‘‘आदर्श बाड़ी में उन्होने अदरक, हल्दी, लौकी, टमाटर, गाजर, मटर, मिर्च, बैगन, आलू, चुकंदर, धनिया, गेंदा, ग्लेडियोलस आदि की खेती की है। सूरजपुर जिले के सभी 11 आदर्श गौठान प्रबंधन समितियों के द्वारा अबतक कुल 66112 रूपये के फल-सब्जियों का विक्रय ग्रामों के स्कूलों व आंगनबाडि़यों को मध्यान्ह भोजन हेतु किया जा चुका है।