• आयोजन स्थल की साज-सज्जा ने भी लोगों को लुभाया, विभिन्न लोकेशनों पर जमकर ली गई सेल्फियां
• राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन भी कलाकारों ने मोह लिया मन
• लोगों ने कहा- अनूठा अवसर, अद्भुत अनुभव देने वाला आयोजन
रायपुर, 29 अक्टूबर 2021// रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान पर आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव समारोह के दूसरे दिन भी जनजातीय लोक-नृत्यों, वाद्यों एवं परिधानों ने इंद्रधनुषी छटा बिखेरी। इसके साथ ही आयोजन स्थल की साज-सज्जा ने भी दर्शकों को खूब लुभाया। इस दौरान लोगों ने विभिन्न लोकेशन पर जमकर सेल्फी ली और ग्रुफ फोटो भी खिंचवाई। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के करीब पाकर उन्होंने उनके साथ भी सेल्फी ली और फोटो खिंचवाई।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज भी आयोजन स्थल पर कलाकारों और आम लोगों के बीच लंबा समय बिताया। उन्होंने विभिन्न स्टॉलों और प्रदर्शनी स्थल का भी भ्रमण किया। इसी दौरान बहुत से लोगों ने मुख्यमंत्री से फोटो खिंचवाने का आग्रह किया और श्री बघेल ने कई मौकों पर उनके साथ उन्हीं के मोबाइल से खुद ग्रुप सेल्फी उतारी। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव देखने के लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में दर्शक रायपुर पहुंचे हैं। इन दर्शकों को लोक-कलाओं के साथ-साथ आयोजन स्थल की साज-सज्जा भी खूब लुभा रही है। मंच के सामने बांस से बनी साइकिल लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। लोगों ने इस साइकिल के साथ जमकर सेल्फी ली और ग्रुप फोटो भी खिंचवाई।
समारोह के दूसरे दिन के कार्यक्रमों की शुरुआत सुबह 9 बजे से हुई। जनजातीय कलाकारों के दलों ने पंरपरागत पर्वों, आध्यात्मिक मान्यताओं एवं जन-जीवन से जुड़ी जीवंत प्रस्तुतियां दीं। पारंपरिक वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के साथ लद्दाख के जबरो, मध्यप्रदेश के भगोरिया, असम के बीहू, केरल के वट्टाकली और महाराष्ट्र के गादली सुसुन लोक नृत्यों की मनोरम प्रस्तुतियां हुईं।
बिलासपुर से आए अनिल साहू ने कहा कि यहां आदिवासी संस्कृति की भव्यता को देखना एक अलग ही तरह का अनुभव है। भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम अक्सर इन कलाओं और कलाकारों का लुत्फ उठाने से चूक जाते हैं। ये कलाएं हमारी सभ्यता और संस्कृति का मूल है। भिलाई से आईं इंजीनियरिंग की छात्रा अनुपमा धीर ने कहा कि उन्होंने यहां भारत की विभिन्न जनजातियों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न शैलियों के बहुत सारे नृत्य एक ही दिन में देख लिए। ऐसा अवसर बार-बार नहीं आता। मैंने यहां आदिवासी संस्कृति के जो रंग देखे वे अकल्पनीय हैं। राजनांदगांव आए सुनील कुर्रे ने मेले में लगे स्टॉल्स को ज्ञानवर्धक बताया। उन्हें छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के स्टॉल में राम वन गमन पथ की आकर्षक प्रदर्शनी, खनिज विभाग, कुटीर उद्योग शिल्प कला के स्टॉल्स, क्षेत्रीय उत्पादन व्यंजनों की विविधता ने आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यहां बहुत सारे शासकीय विभागों ने भी स्टॉल लगाए हैं, इन स्टॉलों में जाकर शासन की सोच, उसकी योजनाओं, क्रियान्वयन और उपलब्धियों के बारे में पता चला। यह बहुत अच्छा अनुभव रहा।