कोरिया में कृषि आधारित अन्य आजीविका गतिविधियों को गति प्रदान कर रही महात्मा गांधी नरेगा योजना
कोरिया! प्रदेश के अन्य जिलों की तरह कोरिया भी वर्षा आधारित धान की खेती के लिए पहचाना जाता है। यहां के षत-प्रतिषत कृषक परिवार धान की खेती में ही संलग्न रहते हैं परंतु अब स्थिति धीरे धीरे बदल रही है। कोरिया जिले में कृषि के परंपरागत तौर तरीकों से आगे बढ़ते हुए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसान या कहें मनरेगा श्रमिक परिवार अब अन्य कृषि आधारित गतिविधियों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में आगे आया है। ज्यादातर आदिवासी पंजीकृत श्रमिक परिवार और उनकी महिलाएं स्व सहायता समूहों में जुड़कर नरेगा के सहयोग से कृषि आधारित अन्य आजीविका गतिविधियांे में संलग्न होकर आर्थिक विकास की राह पर आगे बढ़ने लगे हैं। इस तरह की गतिविधियों में संलग्न होकर आगे बढ़ने वाले समूहों में जनपद पंचायत खड़गंवा के ग्राम पंचायत सिंघत में रहने वाले जय मां सरस्वती स्व समूह एक नजीर पेष कर रहा है। ग्राम पंचायत सिंघत में गठित हुए इस समूह से जुड़ी सभी आदिवासी महिलाएं अब पारंपरिक खेती के अलावा गांव के ही एक तालाब को लीज में प्राप्त कर उसमें मछली पालन कर रही हैं। दो वर्ष पूर्व यह तालाब केवल निस्तार के काम आता था परंतु महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत हुए गहरीकरण कार्य के बाद से इसकी उपयोगिता निस्तार जल के अलावा रोजगार देने वाले एक संसाधन की तरह बढ़ गई है। अब इस तालाब में मछली पालन होने लगा है जिससे आस-पास रहने वाले परिवारों की महिलाओं को अब स्वरोजगार से एक अतिरिक्त आय और उनके परिवार को सुपोषण का एक अच्छा माध्यम मिल गया है।
जनपद पंचायत खड़गंवा के ग्राम पंचायत दुग्गी का एक आश्रित ग्राम सिंघत अब आबादी बढ़ने के बाद नई ग्राम पंचायत बन चुका है। इस नवीन ग्राम पंचायत सिंघत के युवा सरपंच श्री रामनारायण सिंह ने बताया कि गांव के विद्यालय के पास काफी पुराना एक तालाब बना हुआ था। यह लगभग 16 साल पहले बना था और गांव के लोग इसे पंचायती तालाब के नाम से जानते हैं। समय के साथ इसमें काफी गाद जमा होने के कारण यह तालाब ठंड के अंत तक सूख जाता था। गांव के लोग पशुओं को पानी पिलाने के अलावा और कोई विशेष उपयोग नहीं करते थे। दो वर्ष पूर्व इस तालाब की खराब होती स्थिति पर गांव की पंचायत में चर्चा हुई और इस तालाब के गहरीकरण का प्रस्ताव पारित किया गया। ग्राम पंचायत की ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव के आधार पर इस तालाब को महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत गहरीकरण कार्य कराने के लिए 6 लाख 83 हजार रुपए की स्वीकृति जिला पंचायत से प्राप्त हुई। इस कार्य के लिए ग्राम पंचायत को ही निर्माण एजेंसी नियुक्त किया गया था।
सरपंच श्री रामनारायण सिंह ने बताया कि इस कार्य को वर्ष 2020 में प्रारंभ कराया गया। गांव के पंजीकृत श्रमिकों को इस कार्य से 4 हजार 321 मानव दिवस का रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ। तालाब के गहरीकरण हो जाने के बाद पहली बारिष से ही इसमें काफी मात्रा में जलसंचय होने लगा। इससे नीचे की तरफ के खेतों में नमी का स्तर भी बढ़ गया। इसके बाद इस तालाब को गांव के ही जय मां सरस्वती महिला स्व सहायता समूह को मछली पालन के लिए प्रदान कर दिया गया है। मछली पालन से इस समूह को खेती के अलावा एक अलग रोजगार और अतिरिक्त लाभ का जरिया मिल गया है। मछली पालन करने वाले समूह इसकी देखरेख भी करते हैं। इस तालाब को मछली पालन के लिए उपयोग कर रहे जय मां सरस्वती महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती पार्वती और समूह की सचिव श्रीमती कलसिया बाई ने बताया कि बीते साल बारिश के समय इस तालाब में हमने लगभग 10 हजार रुपए का मछली बीज डाला था। फिर गर्मियों में मछली बेचकर हर परिवार को खर्च निकालकर भी चार हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हुई। इस बार इस तालाब में अगस्त माह तक लगभग 15 हजार रुपए का मछली बीज डाला है, उम्मीद है कि इस बार प्रत्येक सदस्य को कम से कम लगभग 10-10 हजार रुपए का लाभ जरूर मिलेगा।
समूह की अन्य सदस्यों श्रीमती रामबाई, श्रीमती मानकुंवर, श्रीमती सारकली, श्रीमती इंदु आदि ने बताया कि इस साल लाकडाउन के दौरान ही सबने मिलकर लगभग एक क्विंटल से ज्यादा कतला मछली निकालकर बेची है। अब उन्हे घर में खाने के लिए भी मछली मिल जाती है। इससे हमारे भोजन की थाली में अच्छा आहार जुड़ गया है। इसके लिए अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता है जब जरूरत हो हम मछली निकाल लेते हैं इससे हमारा एक अलग मांसाहार में लगने वाला भोजन खर्च भी बचने लगा है। महात्मा गांधी नरेगा से जुड़े पंजीकृत आदिवासी परिवारों के लिए पंचायती तालाब गहरीकरण के बाद एक आय का साधन बन गया है। इससे एक ओर जहां इन महिलाओं को एक स्वरोजगार का अवसर मिला है वहीं दूसरी ओर इन परिवारों के नियमित आहार में भी गुणवत्ता सुधार हो रहा है।
कलेक्टर कोरिया एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक मनरेगा श्री ष्याम धावड़े के निर्देषानुसार कृषि आधारित अन्य खेती व आजीविका गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत बीते गर्मियों तक मनरेगा योजनांतर्गत बनाए गए नवनिर्मित और साथ ही पुराने तालाबों में गहरीकरण कार्य के बाद बिहान से जुड़ी महिलाओं को मछली पालन के व्यवसाय से जोड़ा गया है। महात्मा गांधी नरेगा के तहत तालाबों को जलसंचय का एक बेहतर संसाधन बनाते हुए जिले में इस बारिष के बाद से अब तक लगभग 136 तालाबों को नए स्व सहायता समूहों को देकर मछली पालन कार्य कराया जा रहा है। इससे सीधे 1360 महिलाओं को अतिरिक्त आय का माध्यम मिलेगा। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री कुणाल दुदावत ने बताया कि कोरिया जिले में अभियान चलाकर नवीन तालाबोें और पुराने तालाबों को जीर्णोद्धार के बाद स्व सहायता समूह की महिलाओं को मछली पालन के लिए प्रदान किया गया है। जिले में बिहान के माध्यम से चयनित स्व सहायता समूहों को कृषि आधारित व्यवसाय मछली पालन से जोड़ने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। जिले में अब 524 से ज्यादा तालाबों में ग्राम पंचायत के माध्यम से लीज प्रदान कराकर महिला समूहों के द्वारा मछली पालन कार्य कराया जा रहा है।