रायपुर, 28 अगस्त 2021 केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा के कहा है कि केंद्र सरकार वनांचल और दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों मे रहने वाले जनजातीय वर्गों के स्वास्थय, शिक्षा और बेहतर जीवन-यापन की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कृत संकल्पित है। आज रायपुर मे पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि वनांचल मे रहने वाले जनजातीय वर्गों को आर्थिक और सामाजिक रूप से स्वाबलंबी बनाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होने कहा कि जनजातीय वर्ग के समग्र विकास के लिए उनकी शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते हुए उन्हे अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। श्री मुंडा ने बताया कि ट्राइफेड वन धन योजना के माध्यम से जनजातीय वर्ग के लोगों को स्वाब्लंबी बनाने का कार्य कर रहा है। इनमे महिलाओं के स्व-सहायता समूह विशेष भूमिका निभा रही है।
उन्होने बताया कि ट्राइफेड के माध्यम से वनोपजों का बेहतर ढंग से संकलन, प्रसंस्करण और प्रभावी मार्केटिंग के जरिये वनांचलों मे रहने वाले जनजातीय वर्गों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। उन्होने कहा कि ये उत्पाद पूरी तरह से ओर्गेनिक होते हैं, जिनमे किसी तरह के केमिकल अथवा फर्टिलाइजर का उपयोग नहीं किया जाता। वनोत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन बिक्री करने वाली वैश्विक कंपनी अमेज़न के साथ बात-चीत जारी है और जल्द ही ये उत्पाद पूरे विश्व मे ऑनलाइन उपलब्ध होंगे।
जनजातीय क्षेत्रों मे स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश भर मे एकलव्य आदर्श विध्यालयों के माध्यम से जनजातीय क्षेत्रों के बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इन विध्यालयों मे रुचिकर तरीकों से शिक्षा देने का प्रावधान किया है।
इसके पहले धुरागांव वन धन विकास केंद्र छत्तीसगढ़ के अपने दौरे के दूसरे दिन, अर्जुन मुंडा ने जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ धुरागांव मे एक वन धन विकास केंद्र समूह (वीडीवीकेसी) का दौरा किया। जगदलपुर से 35 किलोमीटर की दूरी पर बस्तर जिले के लोहानिगुंडा तहसील मे स्थित मुख्यतः जनजातीय आबादी वाले धुरागांव की जनसंख्या 1805 है।
वन धन विकास केंद्र समूह से जुड़े गांवों में परपुर, लमरागुड़ा, कुत्थर, मतनार, मरदोम, बदरेंगा, कस्तूरपाल, अनजार, अलनार, मंदर, चापर-भनपुरी और कट्नार शामिल है। इस वन धन विकास केंद्र समूह के सदस्य इमली, आम, बेल, आंवला, जामुन, चिरौंजी, कटहल और अमरूद जैसे लघु वनोपजों की खरीद और प्रसंस्करण मे इस वन धन विकास केंद्र समूह मे श्री मुंडा ने जनजातीय लाभार्थियों के साथ बातचीत की, जिसमे वनोपज संग्रहकर्ता और कारीगर दोनों शामिल थे और लागू की गयी योजनाओं के संबंध मे उनके अनुभवों के बारे मे विस्तृत चर्चा की। एक घंटे से अधिक तक जिला प्रशासन के अधिकारियों और लाभार्थियों के साथ चर्चा की।
राज्य के दो-दिवसीय दौरे मे इस बात की झलक मिली कि योजनाओं को जमीनी स्तर पर कैसे लागू किया जा रहा है। इस दौरे के पहले दिन रायपुर मे एक समीक्षा बैठक आयोजित की गयी जहां मंत्री जी ने डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, माननीय स्कूल शिक्षा मंत्री, जनजातीय और अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विकास, सहकारिता, छत्तीसगढ़ सरकार, सचिव (पर्यावरण एवं वन), छत्तीसगढ़ सरकार, सचिव (जनजातीय कार्य), छत्तीसगढ़ सरकार, सचिव (ग्रामीण विकास और पंचायत ), छत्तीसगढ़ सरकार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की और राज्य मे जनजातीय विकास कार्यक्रमों जैसे लघु वनोपज, वन धन स्वयं सहायता समूह और ट्राईफूड परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा की।