रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के गरूवा कार्यक्रम के अंतर्गत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए निर्मित गौठानों से जुड़ी 9 हजार से अधिक महिला समूहों को उनके द्वारा गौठानों में संचालित आयमूलक गतिविधियों से अब तक 38 करोड़ 36 लाख रूपए की आय हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना महिला समूहों को रोजगार एवं आय उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण रोल अदा कर रही है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में गोबर की खरीदी कर महिला समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा रहा है। वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के लिए गौठानों में अब तक लगभग 90 हजार पक्के टांके स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 79 हजार 232 टांकों का निर्माण पूरा हो गया है और महिला समूहों द्वारा इन टांकों के माध्यम से वर्मी खाद तैयार की जा रही है। अब तक महिला समूहों द्वारा 7 लाख 17 हजार 839 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन तथा 5 लाख 12 हजार 309 क्विंटल खाद का विक्रय किया जा चुका है।
इसी तरह गौठानों में 3 लाख क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं 1 लाख 25 हजार क्विंटल से अधिक खाद का विक्रय हो चुका है। महिला समूहों ने खाद के उत्पादन एवं विक्रय से अब तक 20.01 करोड़ की लाभांश अर्जित किया है। सामुदायिक बाड़ी सब्जी उत्पादन से समूहों को 4.11 करोड रूपए, मशरूम उत्पादन से 49 लाख रूपए, मछली पालन से एक करोड़ 88 लाख, बकरी पालन से एक करोड़ 14 लाख, मुर्गी पालन से 78 लाख, पशुपालन से 39 लाख, गोबर-दीया, गमला, अगरबत्ती निर्माण से 49 लाख तथा अन्य आयमूलक गतिविधियों से अब तक 9.07 करोड़ रूपए की आय अर्जित कर चुकी है।