अब तक जिले में वनोपजो का 19 लाख 33 हजार की दी गई राशि
वन-धन योजना विकास अंतर्गत 22 प्रकार के फसलों का किया जा रहा है संग्रहण
कोण्डागांव, कोविड-19 के प्रकोप के चलते कारण संपूर्ण देश में जारी तालाबंदी का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में सभी प्रकार के क्रय-विक्रय गतिविधियों पर भी पड़ा है। विशेषतौर पर दूरस्थ क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीण इस समय नगदी संकट का सामना भी कर रहे है। चूंकि यह पूरा सीजन स्थानीय ग्रामीणों के लिए वनोपज जैसे महुआ, ईमली आदि के संग्रहण को समर्पित रहता है
और इन्हीं वनोपजो की बिक्री के आधार पर ही वे अपनी दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं की खरीद-फरोख्त करते है लेकिन वर्तमान संकट से ग्रामीण भी इससे अछूते नहीं रहे है। इसके मद्देनजर कलेक्टर नीलकंठ टीकाम के निर्देश पर लॉकडाउन की स्थिति में भी वन-धन विकास योजना अन्तर्गत जिला यूनियन दक्षिण कोण्डागांव के द्वारा 155 ग्राम संग्रहण केंद्र एवं 31 हाट बाजारों में शासन द्वारा पंजीकृत 22 प्रकार के वनोपजों का संग्रहण कार्य स्थानीय स्वसहायता समूहों की महिलाओं द्वारा नगद भुगतान के माध्यम से किया जा रहा है। इस नगद भुगतान से ग्राम वासियों को दैनिक कार्यों हेतु राशि हांथों-हाथ प्राप्त भी हो रही है, जिससे ग्रामीण को इस आपदा की स्थिति में भी एक बड़ी राहत मिली है।
वनमण्डलाधिकारी उत्तम गुप्ता ने इस संबंध में बताया कि इस बार जिला यूनियन दक्षिण कोण्डागांव के अंतर्गत 22 प्रकार के वनोपजों का कुल 56500 क्विन्टल संग्रहण किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमे वर्तमान स्थिति तक चरोटा 141.62 क्वि., हर्रा 267.80 क्वि., बहेड़ा 227.24 क्वि.. एवं आटी ईमली 305 क्वि. का संग्रहण किया जा चुका है तथा इसके भुगतान के रूप में कुल 19 लाख 33 हजार के लगभग राशि ग्रामीणों को नगद प्रदान की गई है। ज्ञात हो कि कोण्डागांव संपूर्ण छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक वनोपज का उत्पादन करता है
साथ ही यह वनोपज संग्रहण हेतू किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा विगत दिनों कोण्डागांव प्रवास पर आए मुख्य सचिव आर पी मंडल ने भी की थी एवं सम्पूर्ण जिले में 26 करोड़ राशि से अधिक के वनोपज संग्रहण का लक्ष्य भी जिले को प्रदान किया है। बहरहाल ग्रामीणों को ऐसे विकट परिस्थिति में उनके वनोपजो का नगद भुगतान देना वास्तव में एक स्वागतोग्य एवं संवेदनशीलता से भरा निर्णय माना जा सकता है।