बस्तर में चिंतन शिविर नहीं प्रायश्चित शिविर लगाकर 15 साल के वादाखिलाफ़ी और गुनाहों के लिए माफी मांगे भाजपाई
रायपुर/10 अगस्त 2021। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में खासकर बस्तर और सरगुजा के आदिवासी बहुल क्षेत्र में जनता द्वारा बुरी तरह से नकारे जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी अपनी बांटने और काटने की पुरानी नीति को आजमाने का कुत्सित प्रयास कर रही है। आगामी 1 और 2 सितंबर को भाजपा, आरएसएस का बस्तर में दो दिवसीय चिंतन शिविर उसी का प्रयास है। छत्तीसगढ़ में दबाव पूर्वक धर्मांतरण का एक भी मामला, एक भी शिकायत कहीं से भी नहीं आई है। जबरिया धर्मांतरण के संदर्भ में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से पूर्व ही कानून प्रभावशील है और यदि इस प्रकार से कहीं कोई अपराध घटित होता है तो कठोर कार्यवाही सुनिश्चित है। भारतीय जनता पार्टी के नेता लगातार इस विषय पर गलत बयानी करके भ्रम फैला रहे हैं। हाल ही में रामविचार नेताम के द्वारा लिखे गए पत्र से स्पष्ट है कि ऐसे प्रकरण तो भाजपा के शासनकाल में हुए हैं। भूपेश बघेल सरकार जबरिया धर्मांतरण के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने प्रतिबद्ध है। सामाजिक समरसता प्रभावित ना हो इसलिए अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। प्रशासन सजग और संवेदनशील है ताकि प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ने के हालात ना बने। झूठ, भ्रम और गलतबयानी को भी रोका जा सके और समय पर आवश्यक कदम उठाए जा सकें। विगत ढाई वर्षो में छत्तीसगढ़ी कला, संस्कृति, परंपरा, तीज-त्यौहार को सहेजने का काम भूपेश बघेल सरकार पूरी संवेदनशीलता से कर रही है। छत्तीसगढ़िया संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का कार्य प्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता में है। रमन सिंह के 15 साल के कुशासन में भाजपाई न केवल आदिवासी जनता से वादाखिलाफी करते रहे बल्कि पत्थलगढी जैसे सामाजिक, सांस्कृतिक परंपरा को भी रमन सरकार के इशारे पर धर्मांतरण से जोड़कर कुचला गया। पांचवी अनुसूची के क्षेत्रों में संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों से वंचित किया जाता रहा। सारकेगुडा, एडसमेटा, पेद्दागेलूर के फर्जी एनकाउंटर, मीना खालको और मडकम हिडमे के प्रकरण रमन सरकार के प्रशासनिक आतंकवाद और बर्बरता के प्रमाण है। प्रत्येक आदिवासी परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी, प्रत्येक आदिवासी परिवार को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय देने जैसे लोकलुभावन वादे सत्ता में रहने के दौरान रमन सिंह को कभी याद नहीं आए। ऐसे सारे वायदे सिर्फ़ ज़ुबानी जमाखर्च तक ही सीमित रहे। कमीशनखोरी के लालच में 15 साल बस्तर, मध्यक्षेत्र और सरगुजा विकास प्राधिकरण की कमान रमन सिंह खुद अपने हाथ में लेकर बैठे रहे। भूपेश सरकार ने तो आते ही स्थानीय आदिवासी नेताओं को बस्तर, मध्यक्षेत्र और सरगुजा विकास प्राधिकरण की कमान सौंपी ताकि अपने बेहतरी की योजनाएं वे स्वयं बना सकें और सरकार के निर्णयों में आदिवासी वर्ग की भी सहभागिता बनी रहे। ढाई वर्ष में 4,38,591 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र बांटे गए, 44,353 सामुदायिक वन अधिकार पत्र प्रदान किया गया। शहरी क्षेत्रों में भी वनभूमि पत्ता आबंटित करने वाला छत्तीसगढ़ एकलौता राज्य है। कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3000रू. प्रति क्विंटल और साथ ही धान के बदले कोदो कुटकी लगाने पर 10000रू. प्रति एकड़ का इनपुट सब्सिडी देश में केवल छत्तीसगढ़ में ही है। 7 के स्थान पर 52 वनोपजों की खरीदी प्रदेश में हो रही है, देशभर में वनोपजों की कुल खरीदी का 73 प्रतिशत केवल छत्तीसगढ़ में ही खरीदा गया है। गोठानों और प्रोसेसिंग सेंटर के माध्यम से वैल्यू एडिशन का लाभ 5000 से अधिक समूह की 50,000 से अधिक महिला हितग्राहियों को हो रहा है। यही वजह है कि हाल ही में ट्रायफेड के द्वारा 10 राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। लगभग 1200 परंपरागत वैद्य का प्रशिक्षण करवाकर आमजन को उपचार लाभ की व्यवस्था, मां दंतेश्वरी के नाम पर जगदलपुर से हवाई सेवा आरंभ कर रायपुर और हैदराबाद के लिए सीधे फ्लाइट की सुविधा, इसके साथ ही अंबिकापुर के दरिमा में भी शीघ्र हवाई सेवा आरंभ करने की तैयारी सुनिश्चित की जा रही है। लोहंडीगुडा में 1707 किसानों की 4200 एकड़ जमीन वापसी, स्वास्थ्य और सुपोषण अभियान, मलेरिया मुक्त बस्तर की परिकल्पना, नक्सलवाद का डर दिखाकर बस्तर में सैकड़ों बंद किए गए स्कूलों को वापस खुलवाना, प्रत्येक ब्लॉक में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल की स्थापना, नक्सली उन्मूलन के लिए जस्टिस पटनायक आयोग का गठन कर फर्जी मामलों की समीक्षा कर आदिवासी भाइयों को न्याय दिलाने का काम तेजी से हो रहा है, जिसके चलते छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी विशेषकर मुद्दा विहीन हो चुकी है और अनर्गल आरोप लगा रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी संस्कृति और परंपरा को सहेजने देवगुड़ी और घोटूल का निर्माण संस्कृति विभाग के सहयोग से हो रहा है। कांग्रेस के जनप्रतिनिधि लगातार आदिवासी समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी प्रत्येक जिले में रात रुक कर विशेष आयोजनों में सहभागी बने हैं। नई औद्योगिक नीति, स्थानीय स्तर पर भर्ती परीक्षा आयोजित कर मूल निवासियों के अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन कांग्रेस सरकार की पहली प्राथमिकता है। मुद्दा विहीन हो चुके भाजपाई धर्मांतरण के संदर्भ में कांग्रेस सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। वास्तविकता यह है कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान में ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनी है। जबरिया धर्मांतरण कानूनन अपराध है, जिसे रोकने छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ सरकार कृतसंकल्पित है।