गरिमा गृह के साप्ताहिक बैठक में ट्रांसजेंडर के परिजन भी होते हैं शामिल
रायपुर। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती पारिवारिक और सामाजिक स्वीकृति की रहती है। 2018 में आएं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 2 प्रतिशत ट्रांसजेंडर अपने परिवार के साथ रहती है। परिवार व समाज से बहिष्कृत होने के कारण ट्रांसजेंडर को अपनी दिन प्रतिदिन के जीवन में अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लव्या उन कुछ भाग्यशाली ट्रांसजेंडर में से है जिसके माता-पिता उसे स्वीकार किए और उसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। लव्या को उचित मार्गदर्शन मिल सके इसके लिए उन्होंने गरिमा गृह में एडमिशन कराया और पैरंट्स वीकली मीटिंग में भी आते हैं। माता-पिता को यह डर था कि उनका बच्चा कोई गलत राह में ना चल दे पर लव्या का सिलाई के काम में रुचि देखकर पेरेंट्स बहुत खुश हुए। लव्या ने स्वयं के डिजाइन किए हुए कपड़े अपने माता-पिता को भी दिखाया। यह बदलाव उन तमाम ट्रांसजेंडर के माता पिता लिए सकारात्मक संदेश है।
उल्लेखनीय है कि गरिमा गृह, रायपुर छत्तीसगढ़ में बच्चों की काउंसलिंग के साथ ही साथ उनके परिवारजनों की काउंसलिंग करती है ताकि परिवार में एक ट्रांसजेंडर बच्चे की स्वीकार्यता बढ़े |