सीएम रहते कमीशनखोरी में लिप्त रमन सिंह स्वाभिमान की बात ना करें
रायपुर/15 जुलाई 2021। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह स्वाभिमानी की बात ना करें। जिनका 15 साल के सत्ता के दौरान कमीशनखोरी मुख्य एजेंडा रहा है। जिन्होंने छत्तीसगढ़ के ढाई करोड़ जनता से किये वादे को पूरा नहीं किया। किसानों को धान की कीमत 2100 रु प्रति क्विंटल और 300रु बोनस, आदिवासी वर्ग को 10 लीटर दूध देने वाली गाय और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का वादा कर वादाखिलाफी किया हो। जिन्होंने युवाओं के नौकरी को आउटसोर्सिंग के माध्यम से बेचा है, जिनके शासनकाल में किसान आत्महत्या कर रहे थे और जिनके संरक्षण में माफिया छत्तीसगढ़ को लूट रहे थे वो रमन सिंह स्वाभिमान की बात ना करें।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि फ़िरंगियो से अनेक बार माफी मांग चुके माफीवीर सावरकर का जयकारा लगाने वाले रमन सिंह के श्री मुख से स्वाभिमान की बात शोभा नहीं देता है। भाजपा बेईमानों से भरी पार्टी है। भाजपा में तड़ीपार, घोटालेबाज, बलात्कारी, चोर, डकैत को बड़े पद से नवाजे जाते हैं। बलात्कारियों को बचाने भाजपा से जुड़े हुए लोग झंडा लेकर सड़कों पर निकलते हैं। भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है। ऐसे पार्टी से जुड़े डॉ रमन सिंह को पहले अपने गरेबांन में झांक लेना चाहिए। रमन सिंह और भाजपा से जुड़े लोगों में स्वाभिमान नाम की चीज ही नहीं है। सत्ता प्राप्ति के लिए भाजपा के नेता निम्न स्तर तक गिर सकती है। दलबदल खरीद फरोख्त और अवसरवादिता भाजपा का चरित्र है। जो अपने नीति और नियम को दरकिनार कर ले, जो पार्टी के एजेंडा से भटक जाए, जनता से किए वादे को जुमला ठहरा दे, ऐसे लोग स्वाभिमान की बात ना करे। जनता के साथ वादाखिलाफी करना, धोखा देना, जनता को ठगना जिसकी नीति रही हो, उनको स्वाभिमान से क्या लेना देना है। रमन सिंह की स्थिति भाजपा में आडवाणी की तरह हो गई है। छत्तीसगढ़ की जनता पहले ही उनको नकार दी है। अब भाजपा के कार्यकर्ता भी उनसे किनारा करने लगे हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि 15 साल के सत्ता के बाद भाजपा को छत्तीसगढ़ की जनता ने 15 सीट में समेट दिया, कार्यकर्ताओं ने भी रमन सिंह से किनारा कर लिया। विधानसभा चुनाव के हार के बाद तत्कालीन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने भाजपा के करारी हार के लिए कार्यकर्ताओं को ही दोषी ठहरा दिया, जो भाजपा के नेता अपने स्वाभिमानी कार्यकर्ताओं की कदर नहीं कर पाए उनके मुख से स्वाभिमान शब्द निकलना हास्यपद लगता है।