रायपुर। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज नागपुर प्रवास के दौरान देश में बढ़ती महंगाई के लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताते हुए जमकर हमले किए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के तौर पर श्री नरेंद्र मोदी न केवल सभी मोर्चे पर विफल हुए, बल्कि एक बार फिर साबित हो गया कि भारतीय जनता पार्टी को सरकार चलाना आता ही नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कभी जनहित की नहीं, बल्कि कार्पोरेट जगत के अपने मित्रों की ही चिंता की और उन्हीं के लिए नीतियां बनाईं। श्री बघेल ने कहा कि केंद्र की गलत नीतियों के कारण ईंधन, ऊर्जा और खाद्य संबंधी उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि के कारण आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है। भाजपा के लोग किसानों और आम लोगों के मुद्दों पर बातें करने के बजाए केवल भावनात्मक बातें कर जनता को गुमराह कर रहे हैं। श्री बघेल ने कहा कि सभी को एकजुट होकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि वह ऐसी नीतियां बनाए जिससे महंगाई पर अंकुश लगे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने नागपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि भाजपा का दिल दिल्ली की सत्ता के लिए धड़कता है, लेकिन उसका दिमाग नागपुर से काम करता है। इसलिए वे भाजपा की नीतियों के बारे में बातें करने के लिए नागपुर आए हैं। उन्होंने कहा- “आप सब जानते हैं कि मोदी सरकार बहुत मायावी है, जब भी जनता के मुद्दों को लेकर सवाल किया जाता है, मोदी सरकार जनता को इमोशनल ब्लैकमेल करने लगती है। उसे इतना भटका देती है कि जनता अपने असली सवालों को भूल जाती है।“ श्री बघेल ने कहा- “सवालों को भटका देने से सवाल मिट नहीं जाते, बल्कि नासूर बनकर कसकते हैं, और एक दिन फट पड़ते हैं, लेकिन अफसोस इससे नुकसान केवल और केवल जनता का होता है।“
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि मोदी सरकार देश में लगातार ऐसा महौल निर्मित कर रही है कि अब लोगों का दम घुटने लगा है। किसानों को कानून की कड़ाई मार गई, व्यापारी को जीएसटी की भराई मार गई, नौजवानों को रोजगार की लड़ाई मार गई और कमजोर को दिखावे की भलाई मार गई। जिन आम लोगों को अच्छे दिन के सपने दिखाए गए थे, उन्हें मोदी की महंगाई मार गई।
ईंधन और ऊर्जा में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी
श्री बघेल ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा महंगाई-दर ईंधन और ऊर्जा में बढ़ी है। 1 दिसंबर 2020 में ईंधन और ऊर्जा की महंगाई दर 6.1 प्रतिशत रही है जो कि मई 2021 में बढ़कर 37.61 फीसदी हो गई। ईंधन और ऊर्जा के उत्पादों में महंगाई दर की वृद्धि इस प्रकार है- एलपीजी- 60.95, पेट्रोल- 62.28 और डीजल में 66.03 प्रतिशत। खाद्य तेल के दामों में महंगाई दर 35.94 फीसदी हो गई है। कच्चे तेल पेट्रोलियम में महंगाई दर बढ़कर 102.51, खनिज पदार्थ 22.13 प्रतिशत, अंडे, मांस, मछली में 10.73, दालों में 12.9 प्रतिशत, फलों में 20.17, और प्याज में 23.34 प्रतिशत हो गई।
उन्होंने कहा- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मई 2021 के दौरान दाल 12 प्रतिशत, प्याज 23 प्रतिशत, फल 20 प्रतिशत, तिलहन 36 प्रतिशत, खाने पीने के दूसरे सामान 5 प्रतिशत तक महंगे हो गए थे। एक साल में किराना के सामान 40 फीसदी तक महंगे हो गए। खाद्य तेल के दामों में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई है। उपभोक्ता मामले विभाग के मूल्य निगरानी डिविजन के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल में अरहर दाल में 17 रुपए प्रति किलो याने 1700 रुपए प्रति क्विंटल इजाफा हुआ। उड़द दाल 30 रुपए प्रति किलो और सोया 59 रुपए प्रति किलो तक महंगे हुए हैं। मौजूदा समय में खुदरा महंगाई दर 6.31 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है। बीते छ महीने में सबसे ज्यादा महंगाई देखने को मिली है। आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.2 फीसदी थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने जो आंकड़े सुझाए थे, उससे भी महंगाई पार हो गई है। आरबीआई ने महंगाई के लिए 2 से 6 प्रतिशत का दायारा तय किया था।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। देश का दुर्भाग्य है कि आज केंद्र सरकार नाकारा, हर मोर्चे पर विफल, और केवल कार्पोरेट की चिंता करने वाली सरकार बन कर रह गई है। आज देश की जनता यह महसूस कर रही है कि प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी जी न केवल विफल साबित हुए हैं, बल्कि भाजपा को सरकार चलाना आता ही नहीं। इस सरकार की नाकामियों की तुलना जब अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए वाली सरकार की उपलब्धियों से होती हैं तब इस देश का आम इनसान भी कहता है कि सरकार तो केवल कांग्रेस को चलानी आती है। मोदी सरकार को सात बरस से अधिक हो चुके हैं, सिवाय हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद, युद्ध करेंगे, घुसकर मारेंगे जैसी भड़काऊ बातों के, जनहित के नाम पर बड़ा शून्य है। इन्हें जनहित की चिंता होती तो पेट्रोल डीजल से लेकर दाल-सब्जियों के दाम आज आसमान न छू रहे होते। तकनीकी भाषा में कहें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रिटेल महंगाई छः महीने में सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है। कंज्युमर प्राइज इंडेक्स (सीपीआई) आधारित रिटेल महंगाई मई में 6.3 रही। यह अप्रैल में 4.2 प्रतिशत थी। कामर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री के मुताबिक थोक महंगाई दर मई महीने में 12.94 प्रतिशत तक पहुंच गई है। जबकि यह मई 2020 में केवल 3.37 प्रतिशत थी।
सार्वजनिक संपत्तियां बेचने में ही रुचि
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार- “बहुत हुई महंगाई की मार“- इस नारे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन पहले कार्यकाल में उसके नोटबंदी और जीएसटी जैसे अदूरदर्शी कदमों ने देश की अर्थव्यव्सथा को रसातल में धकेल दिया। दूसरे कार्यकाल में कोरोना से निपटने में विवेकहीन कदमों से तो उसने जनता को मार ही डाला। महंगाई न तो पहले कार्यकाल में इनकी चिंता का विषय थी और न ही दूसरे कार्यकाल में। अब तक का अनुभव यही है कि देश की सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने में ही इनकी रुचि है, और नीतियां केवल अपने कार्पोरेट दोस्तों के लिए बना रहे हैं। इन सबका बाई-प्रोडक्ट अनिवार्य रूप से महंगाई ही है। श्री बघेल ने कहा कि अगले चुनाव में- “बहुत हुई महंगाई की मार-गद्दी छोड़ो मोदी सरकार“- ये बात तो जनता कहने ही जा रही है। मैं केवल यह कहने आया हूं कि आज हम सबकी बड़ी जवाबदारी है कि केंद्र सरकार पर ऐसा दबाव डालें कि वह कार्पोरेट-परस्त नीतियों को छोड़कर महंगाई पर अंकुश लगाने वाली नीतियां लागू करे।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में होड़
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा- हमारे नेता राहुल गांधी हर संकट के मौके पर सरकार को सलाह देते आए हैं, और भाजपा की ट्रोल-सेना राहुल जी का मजाक उड़ाती आई है। लेकिन हर बार राहुलजी ही सही साबित हुए। राहुलजी वे बातें कहते रहे हैं जो गांधी, नेहरू, पटेल, सुभाष के विचार से समृद्ध कांग्रेस की विचारधारा है। इसी विचारधारा से भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, काम करने का अधिकार, सूचना का अधिकार जैसे कानून और मनरेगा जैसी योजनाएं बनती हैं। यही योजनाएं और कानून आम जनता का सबसे बड़ा सहारा है। मोदी सरकार 2014 में पहली बार सत्ता में आई थी, तब ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 93 डालर प्रति बेरल थी। उस समय पेट्रोल की कीमत 71 रुपए और डीजल की कीमत 57 रुपए प्रति लीटर के करीब थी। आज सात साल के बाद कच्चे तेल की कीमत 30 डालर प्रति बेरल कम होकर 63 डालर के आसपास है। फिर भी पेट्रोल सेंचुरी बना रहा है और डीजल उसके पीछे-पीछे भाग रहा है। मोदी सरकार के अभी तक के कार्यकाल में पेट्रोल के दाम में 26 फीसदी और डीजल के दाम में 42 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। इससे साबित होता है कि मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है। अर्थव्यवस्था इतनी चौपट हो गई है कि अब इससे उबरना मुश्किल हो गया है। यही स्थिति रही तो आने वाले तीन सालों में और बुरे दिन देखने को मिलेंगे। जब यूपीए सरकार में पेट्रोल की कीमते 71 रुपए प्रति लीटर पहुंच गई थी, तब मोदी जी, स्मृति ईरानी जी, हेमामालिनी जी जैसे नेता सड़क पर उतर गए थे। सात साल बाद अब पेट्रोल की कीमत सेंचुरी लगा रही है। उसका पीछा डीजल की कीमत वैसे ही कर रही है जैसे गावस्कर की सेंचुरी का पीछा वेंगसरकर किया करते थे। गावस्कर सेंचुरी लगाते थे तब वेंगसरकार 99 में अटक जाते थे। उसी तरह डीजल अभी 99 के नीचे ही है, उसकी भी सेंचुरी होने ही वाली है। कोई भाजपा नेता इसके खिलाफ एक शब्द नहीं बोल पा रहा है। अब 100 रुपए से ज्यादा पेट्रोल होने पर उनमें से कोई भी हाय-तौबा नहीं मचा रहा है।
उल्टे पांव चल रही है अर्थव्यवस्था
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि पहली बार भारत की अर्थव्यवस्था उल्टे पांव चल रही है। आर्थिक गतिविधियों में 10 प्रतिशत के आसपास निवेश घटा है। आजादी के बाद से अब तक निवेश को लेकर इतनी बुरी स्थिति कभी नहीं थी। मई 2021 में भारत में बेरोजगारी दर 11.9 फीसदी के करीब रही। इतनी बड़ी बेरोजगारों की फौज भारत में आजादी के बाद से लेकर अब तक कभी नहीं देखी। आंकड़ों में देखा जाए तो 5 से 8 करोड़ लोग बिना काम के जिंदगी जी रहे हैं। याने लोगों के हाथ में पैसा, रोजगार नहीं है। लोग पहले से अधिक गरीब हो गए हैं। उत्पादन के सभी साधन रुके हुए हैं। बाजार में खरीदार नहीं हैं, लेकिन खाने-पीने के सामान महंगे हो गए हैं। अर्थव्यवस्था के सभी जानकार से लेकर पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदबंरम सभी की सहमति है कि इसका कारण पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ही है।
अमीर और अधिक अमीर, गरीब और ज्यादा गरीब हो रहे
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि ईंधन के क्षेत्र में महंगाई दर 37.6 प्रतिशत के आसपास है। मांग नहीं है, फिर भी महंगाई बढ़ रही है। यह महंगाई सामानों और सेवाओं में लागत बढ़ने की वजह से बढ़ रही है। इसलिए इसे कास्ट पुल इन्फ्लेशन कहा जाता है। इससे अमीर और अधिक अमीर तथा गरीब और अधिक गरीब होते जा रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार सरकार की नीतियां होती हैं। बीते एक साल में महंगाई के कारण आय और खर्च की क्षमता घटने से देश की 97 प्रतिशत आबादी गरीब हुई है। यह तस्वीर विनाशकारी है।
वन-नेशन फाइव-टैक्स लागू किया
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए श्री बघेल ने जीएसटी के मुद्दे पर कहा कि जीएसटी जब चर्चा में आई तब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी का विरोध किया था, लेकिन सरकार में आते ही उन्होंने गलत ढंग से जीएसटी लागू कर दी। इसे मध्य रात्रि को लोकसभा में पारित किया गया। उन्होंने देश के साथ धोखा किया। वन नेशन-वन टैक्स की बात उन्होंने कही थी, लेकिन लागू किया वन-नेशन फाइव-टैक्स। कृषि-यंत्रों पर भी जीएसटी लगा दी गई। ट्रैक्टर में 12 प्रतिशत, फर्जीलाइजर, पेस्टीसाइट में भी जीएसटी लगा दी गई। उन्होंने कहा कि हमने भी जीएसटी की बात कही है, लेकिन हमारा तरीका दूसरा होगा। हम इसे इस तरह से लागू करेंगे जिससे लोगों पर भार कम पड़े।
4 फीसदी सेस पर वित्तमंत्री चुप
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने जब बजट प्रस्तुत किया तो उन्होंने केंद्रीय करों में 4 प्रतिशत सेस लगा दिया। सेंट्रल एक्साइस का हिस्सा राज्यों को भी मिलता है, लेकिन सेस का पूरा पैसा केंद्र को जाएगा। मैंने पत्र भी लिखा लेकिन निर्मला जी की ओर से मुझे जवाब नहीं मिला।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल कहा कि कोरोना संकट के समय प्रधानमंत्रीजी से बैठकें हुईं। उनकी बैठकें वन-वे हुआ करती हैं, लेकिन हमारी कुछ बातें बाद में मानी गईं। पहले लॉकडाउन के समय छत्तीसगढ़ द्वारा किए गए उपायों को कापी-पेस्ट करके पूरे देश में लागू किया गया। कोरोना के उपचार से संबंधित उपकरणों पर जीएसटी लगाए जाने के मामले को सबसे पहले मैंने मीटिंग में उठाया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जी ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा, उसके बाद जीएसटी की दरों में कमी आई। पहले लॉकडाउन के समय छत्तीसगढ़ सरकार ने तीन महीने तक मुफ्त अनाज देने की घोषणा की, बाद में केंद्र ने भी घोषणा की। दूसरी लहर के समय हमने दो माह का राशन देने की घोषणा की, बाद में भारत सरकार ने भी घोषणा की।
राहुलजी की चेतवानी हमेशा सच हुई
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारी बातों को हमेशा बाद में माना जाता है। राहुल जी ने कहा था कि नमस्ते ट्रंप मत कीजिए, गंभीर संकट आने वाला है, उस समय हंसी उड़ाई गई। बाद में यह बात सच साबित हुई। राहुल गांधी जी ने कहा कि आर्थिक संकट की सुनामी आएगी। उस समय भी उन्हें ट्रोल किया गया।
श्री बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार उत्पादक राज्यों को जीएसटी के उनके हिस्से का पैसा दे नहीं पा रही है, उल्टे कर्ज लेने के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सेंट्रल एक्साइज और जीएसटी मिलाकर 36,000 करोड़ का बेकलाग है। भारत सरकार यह पैसा दे दे तो हमें कर्ज लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।