रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश में सहकारी समितियों में दो बोरी वर्मी खाद ख़रीदने की शर्त पर किसानों को यूरिया व डीएपी खाद देने की सामने आ रहीं ख़बरों के मद्देनज़र प्रदेश सरकार के पूरी तरह किसान-विरोधी चरित्र पर कड़ा ऐतराज़ जताया है। डॉ. सिंह ने कहा कि जिस प्रदेश सरकार ने गोबर ख़रीदी योजना को ज़रूरत से ज़्यादा हाईलाइट किया और उसमें अपनी वाहवाही लूटने का प्रयास किया, उस सरकार का दो रुपए में गोबर ख़रीदकर अब उसे 10 रुपए प्रति किलो की दर पर किसानों को ख़रीदने के लिए बाध्य करना प्रदेश के किसानों के साथ खुला अन्याय है।
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि दो बोरी वर्मी खाद ख़रीदने की अनिवार्यता कर राजीव गांधी न्याय योजना की ढिंढोरची प्रदेश सरकार किसानों के साथ कौन-सा न्याय कर रही है? डॉ. सिंह ने कहा कि कोई भी सरकार किसी भी चीज को ख़रीदने के लिए किसी को भी बाध्य नहीं कर सकती। यह ख़रीददार का ऐच्छिक अधिकार है। प्रदेश सरकार वर्मी खाद ख़रीदने के प्रेरित भले ही करे, परंतु कर्ज़ में खाद लेने वाले किसानों को वर्मी खाद लेने के लिए बाध्य करना अनुचित है। खेतों में गोबर या गोबर की खाद किसान डालें, हम उसके विरोधी नहीं हैं; लेकिन प्रदेश सरकार किसानों को यह ख़रीदने के लिए बाध्य कैसे कर सकती है?
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की भी एक योजना चल रही है, जिसमें किसान अपने घर में ही गोबर की खाद बनाकर अपने खेतों में डाल सकता है। उसमें किसानों को दो रुपए का गोबर 10 रुपए में नहीं पड़ेगा और सहज प्रक्रिया से किसान ख़ुद उसे तैयार कर लेगा। डॉ. सिंह ने सवाल किया कि केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजना के बीच प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों को दोहरी आर्थिक चोट पहुँचाने और उनके साथ धोखाधड़ी करने पर क्यों आमादा है?
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि भाजपा ने शुरू में ही यह दावे के साथ कहा था कि प्रदेश सरकार किसानों की एक जेब में नाममात्र के रुपए डालकर दूसरी जेब पर डाका डालने का काम करेगी। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश के अधिकांश गौठानों में या तो गोबर की ख़रीदी सही ढंग से हुई नहीं है या फिर ख़रीदी गया गोबर बारिश के चलते बह गया है। अब प्रदेश सरकार यह स्पष्ट करे कि जो गोबर खाद प्रदेश सरकार किसानों को दे रही है, क्या वह प्रदेश सरकार द्वारा ख़रीदे गए गोबर से बनी हुई है या बाहर से खाद लाकर उसे किसानों ज़बरिया बेचने का धंधा यह सरकार कर रही है? डॉ. सिंह ने प्रदेश सरकार से यह भी साफ़ करने को कहा है कि जब 15 करोड़ किलो कम्पोस्ट खाद सरकार ने तैयार की है तो फिर केंद्र सरकार से पिछले वर्ष के मुक़ाबले इस वर्ष 30 प्रतिशत अतिरिक्त रासायनिक खाद क्यों मांगी गई है?