रायपुर, 2 जून 2021/राज्य के सुदूर वनांचल के जिले नारायणपुर में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम तत्परता से जुटी है। जिले की विषम भौगोलिक परिस्थितियां भी इसके आड़े नहीं आ पा रही हैं। उबड़-खाबड़, जंगल और पहाड़ के दुर्गम रास्तों को पार करते हुए स्वास्थ्य टीम द्वारा गांव पहुंचकर वहां कैम्प लगाने के साथ ही ग्रामीणों का उपचार एवं निःशुल्क दवाएं एवं परामर्श दे रही है। जिला मुख्यालय से लगभग 82 किलोमीटर दूर वनांचल के गांव नेलांगुर में 30 मई को उल्टी-दस्त की सूचना मिलते ही जिला मुख्यालय से स्वास्थ्य विभाग की टीम रवाना हुई और लगभग 24 घंटे का दुष्कर सफर तय कर 31 मई को नेलांगूर गांव पहुंची। गांव में कैम्प कर टीम ने पीड़ितों का उपचार किया। कलेक्टर नारायणपुर ने मेडिकल टीम में शामिल चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की कर्तव्यनिष्ठा और सेवाभावना की तारीफ की है।
नेलांगूर गांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कुतुल सेक्टर के अंतर्गत आता है। इस गांव में 10-12 परिवार के लोगों में उल्टी-दस्त एवं सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित होने की सूचना मिलते डॉ. कमलेश इजारदार के नेतृत्व में मेडिकल टीम नेलांगूर गांव पहुंची। गांव में रामकृष्ण मिशन आश्रम के सहयोग से वहां के घोटूल में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। मेडिकल टीम शिविर स्थल के साथ-साथ घर-घर जाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। उन्हें स्वच्छ पेयजल, ताजा भोजन सहित दवाईयों के सेवन की समझाईश दी।
यहां गौरतलब है कि मेडिकल टीम के गांव पहुंचकर कैम्प लगाने के बाद भी ग्रामीण इलाज के लिए कैम्प में आने के लिए राजी नहीं थे। इसका कारण पूछने पर पता चला कि कोरोना महामारी के चलते वे किसी भी प्रकार की सामान्य बीमारी का भी इलाज नहीं करवाना चाहते हैं। वे किसी भी प्रकार की इंजेक्शन या गोली नहीं लेना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में मेडिकल टीम ने ग्रामीणों को पूरी तरह से आश्वस्त किया कि स्वास्थ्य टीम यहां सर्दी खांसी, उल्टी, दस्त, जैसी बीमारियों के इलाज के लिए आयी है। डॉ. कमलेश इजारदार और मेडिकल टीम घर-घर जाकर ग्रामीणों की काउंसिलिंग की इसके एक घंटे बाद ग्रामीणों का स्वास्थ्य शिविर में आना शुरू हुआ। स्वास्थ्य शिविर में 15 मरीजों का इलाज किया गया। जिनमें से 6 लोग मलेरिया पॉजिटिव मिले, जिनका इलाज किया गया और आवश्यक दवाईयां दी गयी। बाद में गांव के श्री मुसरा उसेण्डी को सामान्य सर्दी जुखाम, बुखार आदि की आवश्यक दवाईयां दी गयी। वापस लौटते समय मेडिकल टीम ने पदमकोट में 6 और कस्तूरमेटा में भी 4 मरीजों का इलाज किया।