कोरोना में उपयोगी दवा और उपकरणों को जीएसटी मुक्त करने के छत्तीसगढ सरकार के प्रस्ताव पर निर्णय लेने बनाए गए मंत्रियों की कमेटी में किसी भी कांग्रेस शासित राज्य के प्रतिनिधि को शामिल न करना संघीय प्रणाली और लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ़ षडयंत्र है
रोजगार, दवा, इलाज़ के लिए जूझ रही जनता को राहत देने के बजाय मोदी सरकार का पूरा फोकस सिर्फ और सिर्फ चंद पूंजीपतियों के मुनाफे और जनता से अधिक टैक्स वसूल कर कमाई मेंराज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति में हो रहे नुकसान की भरपाई और क्षतिपूर्ति की अवधि बढ़ाने की मांग पर केंद्र सरकार की उदासीनता, राज्यों के आर्थिक हितों के खिलाफ़ है।
रायपुर/02 जून 2021। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता, सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रदेश के वाणिज्य कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने 28 मई 2021 को आहूत जीएसटी काउंसिल की बैठक में कोरोना के इलाज़ में आवश्यक उपकरण और दवाओं पर जीएसटी में राहत देने की मांग की थी, जिस पर देश के लगभग सभी राज्यों की सहमति के बावजूद तत्काल राहत देने के बजाय केंद्र सरकार ने, मंत्रियो के समूह (GOM) के गठन की बात कह कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया था। उक्त संदर्भ में निर्णय लेने के लिए कल 1 जून 2021 को जीएसटी परिषद द्वारा केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर विभिन्न राज्यों के मंत्रियों के 8 सदस्यीय समूह का गठन किया गया है, जिसमें किसी भी कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्री या सदस्य को शामिल न किया जाना घोर आपत्तिजनक है, निंदनीय है, संघीय व्यवस्था और लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। जिस प्रकार से बिना सहमति के सांसदों की सांसद निधि पीएम केयर्स फंड में जब्त कर ली गई, उसी प्रकार से अधिनायकवादी फैसला थोपने की नीयत से कोरोना महामारी से संबंधित आवश्यक वस्तुओं के लिए कर छूट पर निर्णय लेने के लिए जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रियों के समूह में कांग्रेस शासित राज्यों के सदस्यों को षडयंत्रपूर्वक दूर रखा गया है।
विदित हो कि वर्तमान में केंद्र सरकार के द्वारा वैक्सीन और मास्क पर 5 प्रतिशत, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर/जनरेटर, पल्स ऑक्सीमीटर और कोविड टेस्टिंग किट पर 12 प्रतिशत, हैंड सेनीटाइजर, टेम्परेचर टेस्टिंग इंस्ट्रूमेंट, पोर्टेबल हॉस्पिटल यूनिट, आरटी -पीसीआर मशीन, आर-एन-ए निष्कर्षण मशीन पर 18 प्रतिशत और एंबुलेंस पर 28 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा है, जो पूरी तरह से अव्यावहारिक और अन्याय पूर्ण है।छत्तीसगढ़ के वाणिज्य कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने पृथक नोटिफिकेशन जारी कर इन सभी उपकरणों और दवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर करने का आग्रह किया जिस पर देश के लगभग सभी राज्यों के वाणिज्यकर मंत्रियों ने समर्थन किया। आपदा के समय भी जब लोग दोहरी मार झेल रहे हैं, एक तरफ आम आदमी की आमदनी कम हुई है, करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए, लगी लगाई नौकरी छूट गई, कारोबार पर विपरित असर पड़ा है, वहीं अधिक जीएसटी के भार से दवा और इलाज महंगे हो गए। भीषण आपदा के समय भी केंद्र सरकार की नीयत ज्यादा से ज्यादा टैक्स वसूली में है। यही कारण है कि 0 प्रतिशत रेट का एक्ट में प्रावधान नहीं होने का बहाना बनाते हुए अलग से मंत्रियों के समूह बनाने और बाद में फैसला लेने के नाम पर डाल दिया गया। दरअसल केंद्र की मोदी सरकार का फोकस आम जनता को राहत देने के बजाय चंद बड़े कंपनियों को मुनाफा पहुंचाने और अधिक टैक्स वसूली पर ही है। यदि केंद्र की नीयत टैक्स में छूट देकर जनता को राहत पहुंचाने की होती तो सुझाव के अनुरूप जीरो रेटेड (निल रेटेड नहीं) के सामान पृथक नोटिफिकेशन या सांकेतिक न्यूनतम दर (0.1 प्रतिशत ) तय करके पृथक से छूट का प्रावधान किया जा सकता था। जिससे जीएसटी से राहत भी मिले और उत्पादक कंपनियों को इनपुट जीएसटी का क्रेडिट भी।
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में छत्तीसगढ़ के वाणिज्यकर मंत्री सिंहदेव ने जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि 5 साल और बढ़ाने का अनुरोध किया। साथ ही एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल को जीएसटी की बजाय वैट के दायरे में रखने की मांग की, इस पर भी देश के लगभग सभी राज्यों के मंत्रियों की सहमति के बावजूद कोई भी फैसला नहीं लिया गया। सिंहदेव ने जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि बढ़ाने के अपनी मांग के समर्थन में कहा कि पिछले साल 1335.51 करोड़ का नुकसान छत्तीसगढ़ को क्षतिपूर्ति मद में हुआ है और तय है कि इस साल इससे ज्यादा ही नुकसान होगा। अतः राज्यों के आर्थिक हित के लिए यह आवश्यक है कि क्षतिपूर्ति की अवधि 5 साल और बढ़ाया जाए। टीएस सिंहदेव जी के द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर देश के लगभग सभी राज्यों के मंत्रियों ने समर्थन किया। लोकतांत्रिक परंपरा और संघीय व्यवस्था के तहत बहुमत की सहमति के आधार पर फैसले लेने के बजाय केंद्र के द्वारा टालमटोल और लटकाने की प्रवृत्ति राज्यों के हित के खिलाफ है। केंद्र का अड़ियल रवैया मोदी सरकार के सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ, संविधान विरोधी, लोकतंत्र विरोधी और अधिनायकवादी चरित्र को प्रमाणित करता है।