अर्जुनी – कोरोना से बचाव के लिए योग के आसन एक रामबाण उपाय हैं। दीपक कुमार वर्मा योग शिक्षक महासंघ प्रदेश मिडिया प्रभारी ने बताया, योग से शरीर पूर्णतया स्वस्थ रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही श्वसन तंत्र भी मजबूत होता है। जाहिर है स्वस्थ शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण का सवाल ही नहीं उठता। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने का एकमात्र सर्वमान्य हल योगासन ही है।
बढ़ती हैं श्वेत रक्त कणिकाएं
(WBC), या श्वेताणु या ल्यूकोसाइट्स (यूनानी: ल्यूकोस-सफेद और काइटोस-कोशिका), शरीर की संक्रामक रोगों और बाह्य पदार्थों से रक्षा करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकायें हैं।
प्रतिदिन नियमित तौर पर योगासन करने से शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं में वृद्धि होती है। इन्हीं की वजह से रोग से प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है। जब हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है कि कोई वायरस या कीटाणु हमें संक्रमित नहीं कर पाता है। हमारे शरीर की रोगों से लड़ने वाली यह प्रणाली उसे स्वमेय खत्म कर देती है। इस तरह महज योग से हम कोरोना से लड़ाई जीत सकते हैं। इसके साथ ही पांच प्राणायाम और पांच आसनों के जरिये रक्तचाप, तनाव, मुधमेह, हृदयरोग आदि से बचा जा सकता है। कोरोना वायरस के संक्रमण ज्यादातर उन्हीं लोगों के लिए खतरा हैं जो उपरोक्त बीमारियों से ग्रस्त हैं। इन आसनों को करने में अधिक समय नहीं लगता। अपनी दिनचर्या में कम से कम तीस मिनट तो निकाले ही जा सकते हैं।
खानपान का रखें ध्यान :
शुद्ध और ताजा भोजन लेना ही श्रेयस्कर है। मांसाहार से परहेज करना ही ठीक है। इसके विकल्प के तौर पर सोया को लिया जा सकता है। भारतीय खानपान संस्कृति में शाकाहार से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। खाने में विटामिन-सी से भरपूर सामाग्री का इस्तेमाल करें। नींबू, संतरा और आंवले का इस्तेमाल किया जा सकता है। तुलसी, गिलोय और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर दिन में तीन से चार बार लेना चाहिए। इससे शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है। संभव हो तो घर में हवन सामग्री में गाय का घी, गूग्गल और कपूर मिलाकर यज्ञ करें। इसके धुएं से घर में किसी भी तरह का बैक्टीरिया अथवा वायरस मर जाएगा।
योगाचार्य दीपक वर्मा ने बताया कीपांच तरह के प्राणायाम कर श्वसन तंत्र को मजबूत कर रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। ये पांच प्राणायाम में हैं भास्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम: विलोम, भ्रामरी और उदगीथ।
भास्त्रिका: पाचन तंत्र, हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। पित्त और कफ को संतुलित रखता है। कपालभाति: शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ रखने में सहायक अनुलोम-विलोम: हृदय रोगियों को स्वस्थ रखने में सहायक भ्रामरी: तनाव से मुक्त रखने में सहायक उदगीथ: माइग्रेन और अवसाद से निजात दिलाता है
पांच प्रकार के आसन असरकारक
उष्ट्रासन-पाचन तंत्र को बेहतर कर भूख बढ़ाता है। कमर दर्द में भी आराम
पश्चिमोत्तानासन- यह यकृत और गुर्दे से संबंधित रोगों से बचाव करता है।
पवनमुक्तासन-वायु विकार और कब्ज मिटाने में प्रभावी है। दुर्बलता होती है दूर।
उत्तानपादासन- हाजमे को दुरुस्त रखने के साथ ही तंत्रिका तंत्र को भी मजबूत करता है।
मंडूकासन-मधुमेह, कोलाइटिस से मुक्ति में सहायक। पैंक्रियाज से इंसुलिन रिलीज करने में मददगार। ऐसे में आपकी इम्यूनिटी बढ़ जाती है।