रायपुर : सुराजी गांव योजना के तहत बने गौठानों ने गांवों को आर्थिक रूप से सशक्त करना शुरू कर दिया है। गौठानों में बनाए जा रहे वर्मी कंपोस्ट की बिक्री ने गौठान समितियों और इसके उत्पादन में लगीं स्वसहायता समूहों की महिलाओं को कमाई का नया जरिया प्रदान किया है। प्रदेश भर के गौठानों में तैयार एक लाख 17 हजार क्विंटल खाद में से अब तक बेचे गए 71 हजार क्विंटल से प्राप्त राशि में से कुल छह करोड़ 72 लाख रूपए का लाभांश राज्य सरकार द्वारा गौठान समितियों और स्वसहायता समूहों के खाते में अंतरित की जा रही है। इसमें से तीन करोड़ 99 लाख रूपए का लाभांश गौठान समितियों के और दो करोड़ 73 लाख रूपए का लाभांश स्वसहायता समूहों के खाते में डाली जा रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने नरवा, गरवा, घुरवा, बारी कार्यक्रम संचालित की जा रही है। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश में संचालित 5262 गौठानों में 4971 समूहों की कुल 50 हजार 772 सदस्य विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियां संचालित कर रही हैं। कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने आज रायपुर और महासमुंद जिले के गौठानों के अध्ययन भ्रमण पर आईं कांकेर जिले की गौठान समितियों और स्वसहायता समूहों की महिलाओं से चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने महिलाओं से उनके अध्ययन भ्रमण के अनुभव भी जानें। कृषि विभाग की सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता और राज्य कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक श्री जी.के. निर्माम भी इस दौरान मौजूद थे।
कृषि मंत्री श्री चौबे ने महिलाओं को बताया कि पशुधन के संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रदेश भर में स्वीकृत 9182 गौठानों में से अभी 5262 संचालित हैं। प्रदेश में 20 जुलाई 2020 से 28 फरवरी 2021 तक 42 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। इसके एवज में पशुपालकों को 84 करोड़ 17 लाख रूपए का भुगतान किया गया है। गौठानों में गोबर खरीदी का फायदा एक लाख 59 हजार पशुपालकों को मिला है जिनमें से 67 हजार 888 भूमिहीन हैं। गोबर बेचने वालों में 45 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने बताया कि बस्तर क्षेत्र के ग्रामीणों को कृषि गतिविधियों में नवाचार अपनाने, गोधन न्याय योजना को बेहतर ढंग से समझाने तथा उन्नत कृषि को अपनाने के लिए प्रेरित करने मैदानी क्षेत्रों के गौठानों का अध्ययन भ्रमण कराया जा रहा है। इसके लिए कांकेर, सुकमा, बीजापुर, बस्तर, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले के गौठान समितियों और स्वसहायता समूहों के 25-25 सदस्यों को बुलाया जा रहा है।
रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित राज्य कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान में अध्ययन भ्रमण के पहले दिन का अनुभव साझा करते हुए कांकेर जिले के सभी विकासखंडों से आईं महिलाओं ने कहा कि गौठानों में विभिन्न तरह के स्वरोजगार की गतिविधियों को देखकर उन्हें काफी अच्छा लगा और वे अपने गौठानों में भी मछलीपालन, मुर्गीपालन, फेंसिंग पोल, फेंसिंग जाली एवं गौ-काष्ठ निर्माण जैसे काम शुरू करना चाहती हैं। कृषि मंत्री ने महिलाओं को नई गतिविधियां शुरू करने के लिए जरूरी संसाधन एवं मशीनें मुहैया कराने का आश्वासन दिया। कृषि विभाग की सचिव डॉ. एम. गीता ने भी महिलाओं की इच्छा के अनुरूप गौठानों में स्वरोजगार के नए काम शुरू करने के लिए शासन द्वारा गंभीरता से पहल करने की बात कही। उन्होंने उम्मीद जताई कि अध्ययन भ्रमण के दौरान बस्तर के सातों जिलों के गौठान समितियों और स्वसहायता समूहों के सदस्यों को बहुत सी नई चीजें देखने और सीखने को मिलेंगी।
बस्तर क्षेत्र में पशुओं को खुला रखने की परंपरा है। परिणामस्वरूप वहां के ग्रामीणों द्वारा गौठान निर्माण एवं उनका संचालन नहीं किया जाता है। बस्तर में खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों, औद्योगिक एवं लघु कुटीर उद्योगों की अपार संभावनाएं हैं। गौठान से प्राप्त होने वाले लाभों को बस्तर क्षेत्र के ग्रामीणों तक पहुंचाने एवं नई तकनीकों, उन्नत कृषि एवं उद्यानिकी को अपनाने के लिए प्रेरित करने हेतु बस्तर संभाग के गौठान समितियों के सदस्यों को मैदानी क्षेत्रों के गौठानों और वहां सफलतापूर्वक संचालित रोजगारमूलक कार्यों के अवलोकन एवं भ्रमण का कार्यक्रम कृषि विभाग द्वारा तैयार किया गया है।